किशोर शिल्लेदार/राजनांदगांवः छत्तीसगढ़ के मेडिकल कॉलेज अस्पताल में दिव्यांग दम्पत्ति से रिश्वत मांगने का मामला उजागर हुआ है. दम्पति के रिश्वत देने से मना करने पर डॉक्टर इलाज में देरी हुई. जिस कारण उनका बच्चा पेट में ही मर गया. दिव्यांग महिला की हालत अब भी गंभीर बताई गई हैं, जिसे आईसीयू में भर्ती कराया गया है. दूसरी ओर अस्पताल प्रशासन अपनी इस लापरवाही से पल्ला झाड़ता नजर आया.


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गर्भवती पत्नी का नहीं हो रहा था ठीक से इलाज
राजनांदगांव जिले का धूर, जो कि एक नक्सली प्रभावित इलाका है. वहां रहने वाले रामजन अपनी गर्भवती पत्नी को इलाज के लिए छुईखदान स्वास्थ्य केंद्र लेकर आए थें. जहां से उन्हें जिला मेडिकल कॉलेज अस्पताल रेफर किया गया. जहां मदर एंड चाइल्ड केयर यूनिट में भर्ती कराने के बाद उनकी पत्नी का ठीक से इलाज नहीं किया जा रहा था.


नर्स ने मांगे पांच हजार रुपये
चिंतित रामजन ने पत्नी की गंभीर हालत देख ड्यूटी पर तैनात नर्स से पूछना चाहा. परेशानी में देख नर्स ने उनसे पांच हजार रुपये मांगे, जो रामजन ने देने से मना कर दिया. उनका कहना है कि पैसे मांगने के दो दिन बाद पत्नी का सीजर ऑपरेशन किया गया.


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रिश्वत के पैसे के लिए मांग रहा भीख
पीड़ित ने बताया कि ऑपरेशन की वजह से उसके बच्चे की पेट में ही मौत हो चुकी थी. अब अस्पताल के बाहर बैठे रामजस का रो-रो कर बुरा हाल है. उसके पास खाने तक के पैसे नहीं है. किसी तरह दिव्यांग ने अपने आप को संभाला और परिसर में ही भीख मांगने लगा.


उसका कहना है कि बच्चा तो नहीं बचा अब पैसे देकर अपनी पत्नी को ही बचा लूं. वह रिश्वत देने के लिए भीख मांग कर रुपये जुटा रहा है. उसने नर्सों से कहा भी कि वह डिलीवरी के बाद पैसे का इंतजाम कर देगा, लेकिन किसी ने उसकी बात नहीं सुनी और नवजात की जान नहीं बची.


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लापरवाही से पल्ला झाड़ता रहा प्रशासन
अस्पताल अधीक्षक डॉ. प्रदीप बेक से इस लापरवाही को लेकर सवाल किए गए. उन्होंने पीड़ित रामजन द्वारा लगाए गए सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया. उनका कहना है कि पीड़ित की पत्नी की फाईल उन्होंने खुद देखी, उसे काफी देर बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था. स्थिति ठीक नहीं होने की वजह से बच्चे की मौत हुई है.


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