Kukshi Vidhan Sabha Seat: कुक्षी सीट कांग्रेस का सबसे मजबूत गढ़, क्या बीजेपी इस बार करेगी कमाल?
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Kukshi Vidhan Sabha Seat: कुक्षी सीट कांग्रेस का सबसे मजबूत गढ़, क्या बीजेपी इस बार करेगी कमाल?

Kukshi Vidhan Sabha Seat: मध्य प्रदेश के धार जिले की कुक्षी विधानसभा सीट (Kukshi Seat Analysis) पर वर्तमान में कांग्रेस का कब्जा है. इस बार यहां का क्या समीकरण होगा और इस सीट का क्या इतिहास है यहां जानें. 

Kukshi Vidhan Sabha Seat: कुक्षी सीट कांग्रेस का सबसे मजबूत गढ़, क्या बीजेपी इस बार करेगी कमाल?

Kukshi Vidhan Sabha Seat: मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव (Kukshi Vidhan Sabha Seat) का ऐलान कभी भी हो सकता है. ऐसे में राजनीतिक दल एक-एक विधानसभा सीट पर तैयारियों में जुटे हैं. इसी कड़ी में मध्यप्रदेश के धार जिले की कुक्षी सीट पर सभी की नजर हैं. कुक्षी सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीट है.  ये प्रदेश की चर्चित और हाई प्रोफाइल सीटों में से एक है. इस सीट को कांग्रेस की जमुना देवी के नाम से जाना जाता है, जो प्रदेश की पहली महिला उपमुख्यमंत्री बनी थीं. इसके अलावा सुरेंद्र सिंह बघेल की वजह से ये सीट चर्चा में है, यहां पर कांग्रेस का कब्जा है.

बता दें कि भारतीय जनता पार्टी ने पिछले महीने अपने उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया है. बीजेपी ने जयदीप पटेल को यहां से उम्मीदवार बनाया है. फिलहाल इस सीट पर सुरेंद्र सिंह बघेल विधायक हैं, जो यहां से 2 बार विधायक चुने गए हैं.

कुक्षी सीट का जातीय समीकरण
साल 2018 विधानसभा चुनाव के मुताबिक इस सीट पर कुल 2,20,215 वोटर्स थे. जिसमें पुरुष वोटर्स की संख्या 1,11,238 थी जबकि महिला वोटर्स की संख्या 1,08,962 थी. बता दें कि यहां पर अनुसूचित जनजाति के वोटर्स की संख्या सबसे अधिक है. जो निर्णायक साबित होते हैं. इसके अलावा यहां पाटीदार समुदाय और सिर्वी भी हार-जीत में अहम भूमिका निभाते हैं.

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कुक्षी सीट का राजनीतिक इतिहास
मध्यप्रदेश की कुक्षी विधानसभा सीट कांग्रेस की परंपरागत सीट रही है. 1952 से 2018 तक 16 बार चुनाव हुए हैं. इसमें एक उपचुनाव भी शामिल है. 13 बार यहां कांग्रेस जीती है. जबकि भाजपा दो बार और एक बार जनसंघ को जीत मिली. यानी ये सीट कांग्रेस का गढ़ रही है. यहां 1990 के चुनाल में रंजना बघेल विधायक चुनी गई थी. उन्होंने कांग्रेस की उम्मीदवार जमुना देवी को हराया था. जमुना देवी 1998 के बाद 2003 और 2008 के चुनाव में भी विजयी रही थीं. इससे पहले 1952 और 1985 में भी चुनी गई थीं. इसके बाद जमुना देवी का निधन हुआ तो 2011 में हुए उपचुनाव में बीजेपी ने यह सीट कांग्रेस से झटक ली. हालांकि 2013 में कांग्रेस ने फिर इस सीट को हासिल किया.

साल 2018 में कैसा रहा नतीजा
साल  2018 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो बीजेपी के वीरेंद्र सिंह बघेल और कांग्रेस के सुरेंद्र सिंह बघेल के बीच मुकाबला हुआ था. सुरेंद्र सिंह बघेल ने 67 फीसदी यानी 108,391 वोट हासिल किए जबकि बीजेपी के वीरेंद्र सिंह को 45,461 वोट मिले थे. सुरेंद्र सिंह बघेल ने 62,930 मतों के बड़े अंतर से जीत हासिल की है.

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