भोपाल: सनातनी धर्म ग्रंथ रामचरित मानस की चौपाइयां तो आपने सुनी होंगी, अब इन्हीं चौपाइयों को वैज्ञानिक नजरिए से समझने के लिए मध्य प्रदेश की राजा भोज यूनिवर्सिटी में एक नया डिप्लोमा कोर्स शुरू किया गया है. दरअसल, राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत भारतीय संस्कृति को पाठ्यक्रम में शामिल करने के लिए विश्वविद्यालय ने सत्र 2021-22 से श्रीरामचरितमानस में एक नया डिप्लोमा कोर्स शुरू किया है. 


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इस डिप्लोमा कोर्स में श्रीरामचरितमानस की चौपाइयों को भौतिक, रसायन, जीवविज्ञान और पर्यावरण विज्ञान से जोड़कर पढ़ाया जाएगा. ताकि यह समझा जा सके कि सनातन धर्म कितना ज्यादा विज्ञान आधारित है. यह एक साल का कोर्स है, और कोई भी 12वीं पास व्यक्ति इस डिप्लोमा कोर्स में एडमिशन ले सकता है.  अभी तक 50 बच्चो ने एडमिशन ले लिया है. 


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नए सत्र के लिए 31 मार्च 2021 तक आवेदन की प्रक्रिया चलेगी. इस डिप्लोमा कोर्स का नाम "रामचरितमानस में विज्ञान से सामाजिक उत्थान" रखा गया है. इसके पाठ्यक्रम में ''रामचरितमानस और भौतिक विज्ञान'', ''रामचरितमानस और रसायन विज्ञान'', ''रामचरितमानस और जीव विज्ञान'', ''रामचरितमानस और पर्यावरण विज्ञान'' पढ़ाया जाएगा.


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साइंटिफिक तरीके से हर बात बताएंगे
राजा भोज यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉक्टर जयंत सोनवलकर का कहना है कि इस डिप्लोमा कोर्स के जरिए लोगों को श्रीरामचरितमानस के बारे में साइंटिफिक तरीके से बताया जाएगा. रामचरितमानस में पुष्पक विमान के बारे में बताया गया है. जैसे एक कहावत है ''हनुमान की पूंछ में लगन न पाई आग, सिगरी लंका जल गई गयो निशाचर भाग''. लंका तो जल गई लेकिन हनुमान जी की पूंछ में आग क्यों नहीं लग पाई? इसका एक साइंटिफिक कारण क्या था? इन सभी चीजों के बारे में छात्रों को पढ़ाया जाएगा.


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