भोपालः गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर पद्म पुरस्कारों की घोषणा की गई. जिनमें इस बार मध्य प्रदेश को तीन पद्म सम्मान दिए गए हैं. देश की पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन को पद्म भूषण सम्मान से नवाजा गया. तो भूरी बाई और कपिल तिवारी को पद्मश्री से सम्मानित किया जाएगा. झाबुआ जिले की भूरी बाई को कला के क्षेत्र में उत्कृष्ठ कार्य करने के लिए पद्मश्री दिया गया है, तो कपिल तिवारी साहित्य के क्षेत्र में पद्मश्री सम्मान दिया गया है.


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कौन है भूरी बाई
मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले के पिटोल गांव में जन्मी भूरी बाई आदिवासी समुदाय से आती हैं. वे बचपन से ही चित्रकारी करने की शौकीन थी.  खास बात यह है कि उन्हें हिंदी बोलना भी ठीक से नहीं आती थी वे केवल स्थानीय भीली बोली जानती थी. लेकिन चित्रकारी का उनका शौक ही धीरे-धीरे उनकी पहचान बन गया. वे कैनवास का इस्तेमाल कर आदिवासियों के जीवन से जुड़ी चित्रकारी करने की शुरूआत की और देखते ही देखते ही उनकी पहचान पूरी देश में हो गई.


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भूरी बाई का बचपन बेहद गरीबी में बीता था
भूरी बाई का बचपन बेहद गरीबी में बीता था. भूरी बाई पहली आदिवासी महिला हैं, जिन्होंने गांव में घर की दीवारों पर पिथोरा पेंटिंग करने की शुरूआत की. बाद में जब उनकी पेटिंग की पहचान जिलेभर में होने लगी. इस दौरान वे जीवन का गुजर बसर करने के लिए राजधानी भोपाल में आकर मजदूरी करने लगी. वे उस दौर में भोपाल में पेटिंग बनाने का काम करती थी. बाद में संस्कृति विभाग की तरफ से उन्हें पेटिंग बनाने का काम दिया गया. जिसके बाद वे राजधानी भोपाल के भारत भवन में पेटिंग करने लगी. जिसके बाद उन्हें 1986-87 में मध्‍यप्रदेश सरकार के सर्वोच्‍च पुरस्‍कार शिखर सम्‍मान से सम्मानित किया गया. इसके अलावा 1998 में मध्‍यप्रदेश सरकार ने उन्‍हें अहिल्‍या सम्‍मान भी सम्मानित किया.


अमेरिका तक पहुंची भूरी बाई की पेटिंग
भूरी बाई की बनाई गई पेटिंग्स ने न केवल देश बल्कि विदेशों में भी अपनी पहचान बनाई. उनकी पेटिंग अमेरिका में लगी वर्कशॉप में भी लगाई गई. जहां उनकी पेटिंग खूब पसंद की गई. भूरी बाई आज चित्रकारी के क्षेत्र में एक बड़ा नाम बन चुकी है. वे देश के अलग-अलग जिलों में आर्ट और पिथोरा आर्ट पर वर्कशॉप का आयोजन करवाती है. अब केंद्र सरकार ने उन्हें पद्मश्री सम्मान देने का ऐलान किया है.


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कौन हैं कपिल तिवारी
मध्य प्रदेश के सागर जिले से आने वाले कपिल तिवारी को पद्मश्री अवार्ड के लिए चुना गया है. वे साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र जुड़े हैं. कपिल तिवारी ने लोक संस्कृति साहित्य से संबंधित 39 पुस्तकों का संपादन किया है. वर्तमान में वे विदेश मंत्रालय की भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के सदस्य हैं. कपिल तिवारी आदिवासी लोककला अकादमी के निर्देशक भी रह चुके हैं. उन्होंने मध्यप्रदेश में लोक कलाओं और लोक कलाकारों के संवर्धन में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. संस्कृति विभाग में उन्होंने अविभाजित मध्य प्रदेश के जनजातीय बहुल क्षेत्रों से होनहार लोक कलाकारों को खोजकर उन्हें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंच प्रदान किया.


आदिवासी लोक कला अकादमी के निर्देशक रह चुके हैं कपिल तिवारी
डॉ. कपिल तिवारी मध्य प्रदेश आदिवासी लोक कला अकादमी के पूर्व निर्देशक भी रह चुके हैं. उन्होंने ही मध्य प्रदेश के जनजातीय बहुल क्षेत्रों से होनहार लोक कलाकारों को खोजकर उन्हें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंच प्रदान किया. उनके प्रयासों से मध्य प्रदेश की लोक संस्कृति और कलाओं को एक अलग पहचान मिली. डॉ. कपिल तिवारी ने लोक कलाओं पर कई पुस्तकें भी लिखी हैं. अब उन्हें केंद्र सरकार ने उन्हें पद्मश्री सम्मान देने का ऐलान किया है.


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