8 बार सांसद रहीं पूर्व लोकसभा अध्यक्ष 'ताई' को पद्म भूषण मिलने पर कमलनाथ ने जताई खुशी, सम्मान में कही ये बात
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8 बार सांसद रहीं पूर्व लोकसभा अध्यक्ष 'ताई' को पद्म भूषण मिलने पर कमलनाथ ने जताई खुशी, सम्मान में कही ये बात

इंदौर से 8 बार सांसद रहीं पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन को पद्म भूषण अवार्ड मिलने पर कमलनाथ ने इसे प्रदेश का गौरव बताया है. पढ़िए पूरी खबर...

8 बार सांसद रहीं पूर्व लोकसभा अध्यक्ष 'ताई' को पद्म भूषण मिलने पर कमलनाथ ने जताई खुशी, सम्मान में कही ये बात

भोपाल: गणतंत्र दिवस के मौके पर केंद्र सरकार ने भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों की घोषणा की है. जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे को पद्म विभूषण और पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन सहित 10 लोगों को पद्म भूषण पुरस्कार दिया जाएगा. सुमित्रा महाजन इंदौर से 8 बार सांसद रही हैं. उनके अलावा मध्य प्रदेश की आदिवासी कलाकार भूरी बाई को कला और कपिल तिवारी को साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में कार्य के लिए पद्मश्री अवार्ड के लिए चुना गया है. मध्यप्रदेश की इन तीन हस्तियों को अलग-अलग क्षेत्र में अवार्ड मिलने पर मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बधाई दी है.

कमलनाथ ने क्या कहा?

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एमपी कांग्रेस के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपने ट्वीट में लिखा है कि देश की पूर्व लोकसभा अध्यक्ष श्रीमती सुमित्रा महाजन को पद्मभूषण, प्रदेश के झाबुआ जिले की लोकप्रिय कलाकार भूरी बाई व कपिल तिवारी को पद्मश्री सम्मान से अलंकृत किए जाने पर हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं. प्रदेश के लिये गौरव का क्षण है.'

मध्यप्रदेश की इन शख्सियतों को मिला अवार्ड

1. सुमित्रा महाजन

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पूर्व लोकसभा अध्यक्ष व इंदौर से 8 बार सांसद रहीं सुमित्रा महाजन को उनकी सार्वजनिक सेवाओं के लिए भारत सरकार ने पद्म भूषण अवार्ड से सम्मानित किया है. 12 अप्रैल 1943 को महाराष्ट्र के चिपलुन में जन्मी सुमित्रा महाजन को इंदौर में लोग प्यार से ताई बुलाते हैं. इंदौर के अधिवक्ता जयंत महाजन से उनका विवाह हुआ था. जिसके बाद वे इंदौर आ गईं. इंदौर लोकसभा सीट से लगातार 8 बार लोकसभा चुनाव जीतने का अनोखा रिकॉर्ड उनके नाम हैं. वे देश की एक मात्र महिला सांसद हैं जिन्होंने लगातार आठ लोकसभा चुनाव जीते हैं. सुमित्रा महाजन 16वीं लोकसभा की अध्यक्ष बनी थी. वे देश की दूसरी महिला लोकसभा अध्यक्ष बनी थी.

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2. भूरी बाई

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भूरी बाई को इस बार पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया है. झाबुआ जिले के पिटोल गांव में जन्मी भूरी बाई भारत के सबसे बड़े आदिवासी समूह भीलों के समुदाय से हैं. पितौल गांव की भूरी बाई अपनी चित्रकारी के लिए कागज और कैनवास का इस्तेमाल करने वाली प्रथम भील कलाकार हैं. भूरी बाई भोपाल में आदिवासी लोककला अकादमी में एक कलाकार के तौर पर काम करती हैं. उन्हें मध्यप्रदेश सरकार से सर्वोच्च पुरस्कार शिखर सम्मान (1986-87) प्राप्त हो चुका है. 1998 में मध्यप्रदेश सरकार ने उन्हें अहिल्या सम्मान से विभूषित किया था. उनके चित्रों में जंगल में जानवर, वन और इसके वृक्षों की शांति तथा गाटला (स्मारक स्तंभ), भील देवी-देवताएं, पोशाक, गहने और टैटू, झोपडि़यां, अन्नागार, हाट, उत्सव तथा नृत्य और मौखिक कथाओं सहित भील के जीवन के प्रत्येक पहलू को समाहित किया गया है.

3. कपिल तिवारी

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कपिल तिवारी को साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में कार्य के लिए पद्मश्री अवार्ड के लिए चुना गया है. सागर में जन्मे 68 वर्षीय तिवारी ने लोक संस्कृति साहित्य से संबंधित 39 पुस्तकों का संपादन किया है. वर्तमान में वे विदेश मंत्रालय की भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के सदस्य हैं. कपिल तिवारी आदिवासी लोककला अकादमी के निदेशक भी रह चुके हैं. उन्होंने मध्यप्रदेश में लोक कलाओं और लोक कलाकारों के संवर्धन में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. संस्कृति विभाग में उन्होंने अविभाजित मध्य प्रदेश के जनजातीय बहुल क्षेत्रों से होनहार लोक कलाकारों को खोजकर उन्हें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंच प्रदान किया.

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