बहुचर्चित किसान आंदोलन मामले में 7 साल बाद फैसला, कांग्रेस नेता धाकड़ समेत 43 बरी, 1 को मिली सजा
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बहुचर्चित किसान आंदोलन मामले में 7 साल बाद फैसला, कांग्रेस नेता धाकड़ समेत 43 बरी, 1 को मिली सजा

MP के रतलाम में किसान आंदोलन में हुई हिंसा, आगजनी व तोड़फोड़ के बहुचर्चित मामले में करीब 7 साल बाद कोर्ट का फैसला आ गया है. रतलाम की जिला कोर्ट ने कांग्रेस नेता समेत 43 लोगों को बरी कर दिया है. वहीं एक को सजा सुनाई है.

बहुचर्चित किसान आंदोलन मामले में 7 साल बाद फैसला, कांग्रेस नेता धाकड़ समेत 43 बरी, 1 को मिली सजा

Ratlam News: रतलाम के धमनोद गांव में 4 जून 2017 को हुए किसान आंदोलन में हुई हिंसा, आगजनी व तोड़फोड़ के बहुचर्चित मामले में करीब 7 साल बाद कोर्ट का फैसला आ गया है. इस मामले में  44 आरोपियों का चालान पुलिस ने रतलाम जिला न्यायालय में पेश किया था. जिसमें मुख्य आरोपी डीपी धाकड़ द्वारा भड़काऊ भाषण दिया गया था. वहीं 1 भगवतीलाल पाटीदार द्वारा पथराव में पुलिस जवान को गंभीर चोट आई थी. अब इसमें से 43 आरोपितों को बरी कर दिया है, और 1 आरोपी को 3 साल की सजा सुनाई गई है.

वहीं अधिक जानकारी देते हुए शासकीय अधिवक्ता ने बताया कि 4 जून 2017 को शाम धमनोद में किसान आंदोलन हुआ था, किसान आंदोलन के दौरान पथराव हुआ था जिसमे 1 पुलिस जवान को गंभीर चोट आई थी. इस मामले में 12 फरियादी पुलिसकर्मियों में से 6 ने घटना में बयान बदल दिए. वहीं 43 बरी हुए आरोपितों में कांग्रेस नेता डीपी धाकड़, राजेश भरावा, राजेश पुरोहित, सहित वर्तमान के बीजेपी कार्यकर्ता भी शामिल है, जो 2017 में कांग्रेस में थे लेकिन अब भाजपा में शामिल हो चुके हैं.

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एक दूसरे को खिलाई मिठाई
कोर्ट के फैसले के बाद सभी बरी हुए कांग्रेसियों के साथ वर्तमान में भाजपा के कार्यकर्ताओं ने भी न्यायालय से बरी होने पर एक दूसरे को मिठाई खिलाई. न्यायालय के सामने सड़क पर सभी ने नारेबाजी कर जीत की खुशी जाहिर की.

आखिर क्या था मामला
बता दें कि  मध्य प्रदेश के रतलाम में 4 जून 2017 की शाम किसान आंदोलन के दौरान प्रदर्शनकारी ग्राम डेलनपुर में प्रदर्शन कर रहे थे. यहां प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए पुलिसकर्मी पहुंचे थे. कुछ लोग सड़क पर आ गए थे, पुलिस ने उन्हें समझाकर हटाने की कोशिन की, लेकिन इस दौरान विवाद की स्थिति बन गई  और प्रदर्शनकारियों ने पुलिस दल पर पथराव कर दिया था, तीन वाहनों में आग लगा दी गई थी. हिंसक हुए इस आंदोलन में कई पुलिसकर्मी घायल हुए. इसे लेकर आरोप था कि मौके पर किसान नेता डीपी धाकड़ ने ग्रामीणों को संबोधित करते हुए भाषण दिया था, जिसके बाद हिंसा हुई थी.

रिपोर्ट- चंद्रशेखर सोलंकी

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