नई दिल्ली: कोरोना है कि जाने का नाम ही नहीं ले रहा है. प्रतिदिन के हिसाब से हज़ारों की संख्या में लोगों की जान जा रही है. लोगों के घरों में पूरा का पूरा परिवार संक्रमित हो रहा है. भारत में कोरोना की दूसरी लहर किसी सुनामी की तरह आई है. मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर चरमरा चुकी है. सिस्टम या सरकार कहीं नजर नहीं आ रही है. इसका नतीजा ही है कि लोगों में डिप्रेशन और एंग्जायटी की समस्याएं जन्म ले रही है. इस दौरान मानसिक सेहत को लेकर जो डेटा सामने आ रहे हैं वो डराने वाले हैं.  एक्सपर्ट का कहना है कि कोविड ने समाज को हमेशा के लिए बदल दिया है. एक तरह से मेंटल पेनडेमिक की शुरुआत हो हुई है.


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डिप्रेशन का शिकार हो रहे लोग
डॉक्टर्स को भी इस बात की चिंता सता रही है कि कोरोना से उबर चुके भी डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं. डिप्रेशन को लेकर देशभर में एक सर्वे किया था जिसमें एक हजार से अधिक भारतीयों ने हिस्सा लिया था. इसमें 55 फीसदी लोगों ने घबराहट और 27 फीसदी लोगों ने डिप्रेशन की बात स्वीकारी थी. ऑक्सीजन की शार्टेज है. अस्पतालों में बेड नहीं मिल पा रहे हैं. इसे लेकर लोग घबराए हुए हैं. उनके मन में बार-बार सवाल रहता है कि यदि हमारे साथ ऐसा कुछ हुआ तो हम क्या करेंगे. वही लोग डिप्रेशन से पीड़ित नहीं हो रहे हैं जो कोरोना से ग्रस्त हुए हैं बल्कि इससे उबर चुके लोग या अपनों को गंवाने वाले भी सदमे और अवसाद का शिकार हो रहे हैं. कोरोना महामारी की वजह से अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है. सरकारें लॉकडाउन लगा रही हैं. लोगों को नहीं पता कि कब क्या होगा. आगे क्या होगा. इसकी वजह से लोग घरों में  पहले से सामान इक्कट्ठा करने में लगे हैं. घर वालों के घर से निकलते ही डर जाते हैं कि कहीं उनके अपने को कोरोना ना हो जाए.


सोशल मीडिया भी ज़िम्मेदार
आपके फ़ोन पर रोज़ कोरोना को लेकर कोई न कोई मेसेज आता ही होगा. किसी मैसेज में आंकड़े बताए जाते होंगे किसी में श्मशान घाट की तस्वीरें डराती होगी तो किसी मेसेज में हॉस्पिटल की व्यवस्थाओं को लेकर चिंता बढ़ जाती होगी. ये भी एक वजह है कि नेगेटिव पोस्ट लोगों को डिप्रेशन की तरफ ले जा रही हैं. तो इससे भी लोग कन्फयूज़्ड स्टेट ऑफ़ माइंड में आ रहे हैं.


अपनों को खोने का ग़म
जिन लोगों ने किसी अपने को खोया है उनका चिंतित होने का अपना ही एक दुःख है.कोरोना की वजह से अपनों को खोने से लोगों को धक्का लग रहा है. इस तरह की अचानक डेथ से लोगों में ग्रीफ रिएक्शन क्रिएट हो रहा है. लोगों में बहुत अधिक गुस्सा बहुत अधिक अधूरापन और बहुत अधिक डिप्रेशन की शिकायतें देखी जा रही है. लोगों को रात में नींद सही से नहीं आ रही है. वो घबराकर उठ रहे हैं उन्हें लगने लगता है कि उनमें कोविड के लक्षण हैं. ऐसे में लोग बार-बार अपना ऑक्सीजन लेवल चेक कर रहे हैं इससे भी एंग्जायटी बढ़ रही है.


युवा और बुज़ुर्ग ज़्यादा शिकार
इस दौरान युवा और पचास साल से अधिक उम्र के लोग अधिक चिंतित हैं. युवा कुछ न कुछ नया एक्सप्लोर करते रहना चाहते हैं.लेकिन अचानक आई कोविड महामारी ने उनकी जिंदगी को रोक दिया है. इसका असर उनके मानसिक स्वास्थ्य पर हुआ है. वहीं पचास से अधिक उम्र के लोगों में एक तरह का अकेलापन होता है. वो भी कुछ नया एक्सप्लोर करना चाहते हैं. जो इस दौर में नहीं हो पा रहा है.सावधान रहना अच्छी बात है.लेकिन सावधानी का डर में बदल जाना खतरनाक है.


डिप्रेशन के लक्षण
दिल की धड़कन बहुत तेज़ हो जाना  
मुंह सूखना हाथ-पैर में कंपन होना  
सांस उखड़-उखड़ कर आना सब एंग्जायटी के लक्षण हैं
लगभग हर दिन थकावट और कमजोरी महसूस करना.
स्वयं को अयोग्य या दोषी मानना.
एकाग्र रहने फैसले लेने में कठिनाई होना.
लगभग हर रोज़ बहुत अधिक या बहुत कम सोना.
सारी गतिविधियों में नीरसता आना.
बार–बार मृत्यु या आत्महत्या के विचार आना.
बैचैनी या आलस्य महसूस होना.
सही समय पर इसे ट्रीट नहीं किया गया तो यही डिप्रेशन बन जाता है.


उपाय क्या अपनाएं
अपने आप को काम में व्यस्त रखें.
उदासी भरे गानें ना सुने.
दिल ही दिल में घुटने की बजाये अपनी बाते किसी विश्वासपात्र या मनोचिकित्सक को ज़रूर बताये.
काम को करने के नए तरीके निकले.
सकारात्मक बातें पढ़े.
योग करें, ध्यान को सीखकर ध्यान करें.
अगर आपके पास इन्टरनेट है तो सकारात्मक कहानियाँ विचार सुने या पढ़े.
रात में सोने के एक घंटे पहले टीवी बंद कर दे क्योकि टीवी में अगर आप कुछ नकारात्मक देखतें है तो इसका असर आपके दिमाग पर रहता है.


कोरोना महामारी भले ही हमारे जीवन में कठिनाईयां लेकर आई हो लेकिन कहते है ना अंधेरे के बाद उजाला जरूर होता है तो इस कोरोना रूपी अंधकार के बाद कोरोना के ख़ात्मे का उजाला जरूर होगा. आप बस अपना ओर अपनों का ख्याल रखें. कोरोना से बचने के नियमों का पालन जरूर करें.


 


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