Ganga Maiya Temple In Balod: छत्तीसगढ़ के बालोद जिले के प्रसिद्ध शक्तिपीठ मां गंगा मैया मंदिर में चैत्र नवरात्रि महोत्सव शुरू हो गया है. आज विशेष पूजा-अर्चना के साथ गंगा मैया मंदिर में 900 और शीतला माता मंदिर में 100 आस्था के ज्योति कलश जलाये गये हैं. आइए देखते हैं मंदिर की खास तस्वीरें...
बालोद जिले के आस्था के प्रमुख केंद्र मां गंगा मैया मंदिर में आज से हिंदू नववर्ष और नवरात्रि उत्सव की शुरुआत हो गई है. आज विशेष पूजा-अर्चना के साथ गंगा मैया मंदिर में 900 और शीतला माता मंदिर में 100 आस्था के ज्योति कलश जलाये गये हैं.
सुबह से ही मंदिर में भक्तों की भीड़ लगी रही और देवी भजन भी गाए गए. आपको बता दें कि मां गंगा मैया की स्थापना का इतिहास ब्रिटिश शासन काल से जुड़ा हुआ है. यहां देश-विदेश से श्रद्धालु आते हैं.
श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए पुलिस प्रशासन भी तैनात है और पूड़ी से लेकर सब्जी और फ्री ठेले तक की व्यवस्था की गई है. आज आरती में सैकड़ों श्रद्धालु शामिल हुए और ट्रस्ट की ओर से आज से ही सभी सुविधाएं शुरू कर दी गई हैं.
मान्यता के अनुसार एक दिन सिवनी गांव का एक नाविक मछली पकड़ने के लिए बांधा तालाब पर गया था. तभी जाल में मछली की जगह एक पत्थर की मूर्ति फंस गई. केवट ने अज्ञानतावश उसे साधारण पत्थर समझकर वापस तालाब में फेंक दिया.
इसके बाद गांव के गोड़ जाति के बैगा को सपने में मां ने दर्शन दिए और कहा कि मैं पानी के अंदर पड़ी हूं, मुझे जल्दी से बाहर निकालो और मेरा प्राण प्रतिष्ठा कराओ. बैगा ने मालगुजार और गांव के अन्य लोगों को सपना के बारे में जानकारी दी. जिसके बाद दोबारा तालाब में जाल डाला गया और फिर वही मूर्ति मिल गई.
कहा जाता है कि गांव में नहर निर्माण के दौरान अंग्रेजों ने गंगा मैया की मूर्ति को वहां से हटाने का काफी प्रयास किया था. अंग्रेज एडम स्मिथ की काफी कोशिशों के बावजूद भी इस मूर्ति को हटाया नहीं जा सका.
आपको बता दें कि यहां राज्य के कोने-कोने से लोग मुंडन संस्कार कराने भी आते हैं. नवरात्रि के दौरान यहां मुंडन संस्कार के लिए लोगों की भीड़ लगती है.
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