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महाशिवरात्रि 2021: कहां हैं देश के 12 ज्योतिर्लिंग और उनकी क्या विशेषता है, जानिए

नई दिल्ली: फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि (Mahashivratri) का त्योहार देशभर में धूमधाम से मनाया जा रहा है . इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना की जाती है. हमारे देश में वैसे तो शिव जी के कई प्रसिद्ध मंदिर और शिवालय हैं लेकिन भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों का अपना अलग ही महत्व है. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक भारत में 12 स्थानों पर जो शिवलिंग मौजूद हैं उनमें ज्योति के रूप में स्वयं भगवान शिव विराजमान हैं. यही कारण है कि इन्हें ज्योतिर्लिंग कहा जाता है. जानिए देशभर में कहा-कहा पर हैं ये 12 ज्योतिर्लिंग यहां देखें...

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग

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सोमनाथ ज्योतिर्लिंग

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग को पहला ज्योतिर्लिंग माना जाता है. यह मंदिर गुजरात राज्य के सौराष्ट्र क्षेत्र में स्थित है. यह मंदिर लोगों की आस्था का बड़ा केंद्र है.

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग

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मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग

आंध्र प्रदेश में कृष्णा नदी के किनारे श्रीशैल पर्वत पर स्थित है मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग. इस मंदिर का महत्व भगवान शिव के कैलाश पर्वत के समान कहा गया है. 

महाकाल ज्योतिर्लिंग

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महाकाल ज्योतिर्लिंग

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश की धार्मिक राजधानी कही जाने वाली उज्जैन नगरी में स्थित है.ये एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है जहां रोजाना होने वाली भस्म आरती विश्व भर में प्रसिद्ध है.

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग

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ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश खंडवा शहर के पास ही स्थित है. जिस स्थान पर यह ज्योतिर्लिंग स्थित है, उस स्थान पर नर्मदा नदी बहती है. मान्‍यता है कि तीर्थ यात्री सभी तीर्थों का जल लाकर ओंकारेश्वर में अर्पित करते हैं तभी उनके सारे तीर्थ पूरे माने जाते हैं.

केदारनाथ ज्योतिर्लिंग

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केदारनाथ ज्योतिर्लिंग

केदारनाथ ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के 12 प्रमुख ज्योतिर्लिंगों में आता है. यह उत्तराखंड में स्थित है. केदारनाथ ज्योतिर्लिंग उत्तराखंड में अलखनंदा और मंदाकिनी नदियों के तट पर केदार नाम की चोटी पर स्थित है. मान्‍यता है कि भगवान केदारनाथ के दर्शन किए बिना बद्रीनाथ की यात्रा अधूरी और निष्‍फल है. 

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग

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भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के पुणे जिले में स्थित है. भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग को मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है. यह पश्चिमी घाट के सह्याद्रि पर्वत पर स्थित है. यहीं से भीमा नदी भी निकलती है. 

बाबा विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग

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बाबा विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग

विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग यह उत्तर प्रदेश के काशी (वाराणसी) नामक स्थान पर स्थित है. बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं. ऐसी मान्‍यता है कि कैलाश छोड़कर भगवान शिव ने यहीं अपना स्थाई निवास बनाया था. कहते हैं, काशी तीनों लोकों में न्यारी नगरी है, जो भगवान शिव के त्रिशूल पर विराजती है.

त्र्यबंकेश्वर ज्योतिर्लिंग

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त्र्यबंकेश्वर ज्योतिर्लिंग

अष्टम ज्योतिर्लिंग को ‘त्र्यम्बक’ के नाम से भी जाना जाता है. त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्‍ट्र के नासिक से 30 किलोमीटर दूर पश्चिम में स्थित है.  यहां से सबसे ज्यादा ब्रह्म गिरि पर्वत है, यहीं से गोदावरी नदी का उद्गम है. त्र्यंबकेश्‍वर ज्योर्तिलिंग में ब्रह्मा, विष्‍णु और महेश तीनों ही विराजित हैं.

वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग

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वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग

श्री वैद्यनाथ शिवलिंग का समस्त ज्योतिर्लिंगों की गणना में नौवां स्थान बताया गया है.  यह झारखंड के देवघर में स्थित है.  कहा जाता है कि एक बार रावण ने तप के बल से शिव को लंका ले जाने की कोशिश की, लेकिन रास्ते में व्यवधान आ जाने से शर्त के अनुसार शिव जी यहीं स्थापित हो गए.

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग

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नागेश्वर ज्योतिर्लिंग

नागेश नामक ज्योतिर्लिंग, गुजरात के बड़ौदा क्षेत्र में गोमती द्वारका के समीप है. इस स्थान को दारूकावन भी कहा जाता है. धार्मिक पुराणों में भगवान शिव को नागों का देवता बताया गया है और नागेश्वर का अर्थ होता है नागों का ईश्वर कहते हैं कि भगवान शिव की इच्छा अनुसार ही इस ज्योतिर्लिंग का नामकरण किया गया है.

 

रामेश्वर ज्योतिर्लिंग

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रामेश्वर ज्योतिर्लिंग

रामेश्वरतीर्थ को ही सेतुबंध तीर्थ कहा जाता है. यह स्थान तमिलनाडु के रामनाथम जनपद में स्थित है. यहां समुद्र के किनारे भगवान रामेश्वरम का विशाल मंदिर शोभित है. यह हिंदुओं के चार धामों में से एक धाम है. ऐसी मान्‍यता है कि रावण की लंका पर चढ़ाई से पहले भगवान राम ने जिस शिवलिंग की स्थापना की थी, वही रामेश्वर के नाम से विश्व विख्यात हुआ.

 

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग

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घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग

घृष्णेश्वर महादेव का प्रसिद्ध मंदिर महाराष्ट्र के संभाजीनगर के दौलताबाद के पास स्थित है. इसे घृसणेश्वर या घुश्मेश्वर के नाम से भी जाना जाता है.  भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से यह अंतिम ज्योतिर्लिंग है. एलोरा की प्रसिद्ध गुफाएं इस मंदिर के पास ही स्थित हैं.