नई दिल्ली: ज्योतिरादित्य सिंधिया को कांग्रेस पार्टी छोड़कर भारतीय जनता पार्टी का दामन थामे साल भर हो गए हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि वह राहुल गांधी के मन से अभी भी नहीं निकल पाएं हैं. शायद यही कारण है कि राहुल गांधी ने कभी खुलकर सिंधिया के फैसले पर सवाल नहीं उठाए. बीते सोमवार को राजधानी दिल्ली में राहुल गांधी ने सिंधिया को लेकर पहली बार अपनी चुप्पी तोड़ी. उनके दिए एक बयान ने भोपाल तक हलचल मचा दी है. दरअसल 8 मार्च को यूथ कांग्रेस के एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा, "सिंधिया जो कांग्रेस में निर्णायक भूमिका में थे, अब वह बीजेपी में पिछली सीट (बैकबेंचर)  पर बैठे हुए हैं.''


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मुख्यमंत्री बनने के लिए सिंधिया को कांग्रेस में लौटना होगा: राहुल गांधी
राहुल गांधी यहीं नहीं रुके. उन्होंने कहा कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के पास कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ काम करके संगठन को मजबूत करने का विकल्प मौजूद था. यहां तक कि मैंने उनसे कहा भी था कि वह एक दिन मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बनेंगे. लेकिन वह नहीं मानें, उन्होंने दूसरा रास्ता चुना और बीजेपी में शामिल हो गए. राहुल गांधी ने कहा, ''मुझसे लिखकर ले लीजिए, सिंधिया भाजपा में रहते हुए कभी भी मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री नहीं बन सकते. इसके लिए उन्हें कांग्रेस में फिर लौटना  होगा.''


ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत ने गिरा दी थी कमलनाथ की सरकार
आपको बता दें कि मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ से टकराव के बीच ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 10 मार्च 2020 को अपने पिता माधवराव सिंधिया की जयंती पर बड़ा राजनीतिक फैसला लेते हुए कांग्रेस पार्टी छोड़ दी थी. उन्होंने इसके अगले दिन भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया था. उनके साथ 22 कांग्रेस विधायकों ने भी कमलनाथ सरकार का साथ छोड़ दिया. बाद में विधायकी से इस्तीफा देकर सभी भाजपा में शामिल हो गए और मध्य प्रदेश में सिर्फ 15 महीने चलने के बाद कांग्रेस सरकार गिर गई थी. 


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बीते साल नवंबर में 28 सीटों पर हुए उपचुनाव में बीजेपी ने 19 सीटें जीतकर विधानसभा में पूर्ण बहुमत हासिल कर ली. दूसरी ओर जून महीने में बीजेपी उम्मीदवार के रूप में ज्योतिरादित्य सिंधिया राज्यसभा के सदस्य चुने गए. ऐसी अटकलें हैं कि मोदी सरकार जल्द ही उन्हें केंद्र में कोई बड़ी जिम्मेदारी दे सकती है. जो सिंधिया संसद में कभी भाजपा की नीतियों की आलोचना करते थे, अब कांग्रेस पर हमलावर रहते हैं. हाल में उन्होंने कृषि कानूनों को लेकर राज्यसभा में भाजपा का पक्ष रखा था और कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों की जमकर आलोचना की थी. कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह और सिंधिया के बीच मजाकिया कटाक्ष भी सुनने को मिला था.


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