ब्रह्मांड में कहां से आते हैं ये रहस्यमय सिग्नल? एक और का पता चला, हर 2.9 घंटे पर हो रहा फ्लैश
Advertisement
trendingNow12561160

ब्रह्मांड में कहां से आते हैं ये रहस्यमय सिग्नल? एक और का पता चला, हर 2.9 घंटे पर हो रहा फ्लैश

Mysterious Radio Signal From Space: वैज्ञानिकों ने धरती से लगभग 5,000 प्रकाश वर्ष दूर से आते रहस्यमय सिग्नल का पता लगाया है. यह सिग्नल हर 2.9 घंटे पर 30 से 60 सेकेंड के लिए फ्लैश हो रहा है.

ब्रह्मांड में कहां से आते हैं ये रहस्यमय सिग्नल? एक और का पता चला, हर 2.9 घंटे पर हो रहा फ्लैश

Science News in Hindi: कुछ साल पहले, पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के रेगिस्तान में लगे एक रेडियो टेलीस्कोप ने अंतरिक्ष में कुछ अजीब बात नोटिस की. पृथ्‍वी से कोई 4,000 प्रकाश वर्ष दूर स्थित कोई चीज एक रहस्यमय, चमकदार रेडियो सिग्नल भेज रही थी. हमने ऐसा कोई सिग्नल पहले कभी नहीं देखा था, यह किसी पल्सर की तरह फ्लैश हो रह था लेकिन उसके पल्सेज के बीच लंबा अंतराल था और पल्स भी काफी लंबा था. उस समय, इस सिग्नल के सोर्स का पता लगाना असंभव था, इसलिए वैज्ञानिक ऐसे और सिग्नलों की खोज में जुट गए. इस बार उन्हें 15 हजार प्रकाश वर्ष दूर एक और सिग्नल मिला. लेकिन यह अंतरिक्ष का बेहद घना इलाका था और यहां भी सोर्स ढूंढना लगभग नामुमकिन था. अब वैज्ञानिकों को एक तीसरा रेडियो सिग्नल मिला है जो करीब 5 हजार प्रकाश वर्ष दूर से आया है. दिलचस्प बात यह है इस बार वैज्ञानिकों ने शायद सिग्नल के सोर्स का पता लगा लिया है.

हर 2.9 घंटे में फ्लैश होता है यह सिग्नल

एस्ट्रोनॉमर्स को जो तीसरा सिग्नल मिला है, उसकी अवधि अब तक की सबसे लंबी है. यह सोर्स हर 2.9 घंटे में 30 से 60 सेकंड के लिए चमक उत्सर्जित करता है. खगोलविदों के अनुसार, ये उत्सर्जन एक छोटे, लाल बौने तारे जो एक बाइनरी कक्षा में है और उससे भी छोटे सफेद बौने तारे पर हो रहे हैं. इस सोर्स का पता लगाया है ऑस्ट्रेलिया के इंटरनेशनल सेंटर फॉर रेडियो एस्ट्रोनॉमी रिसर्च (ICRAR) के कर्टिन यूनिवर्सिटी नोड की एस्ट्रोफिजिसिस्ट, नताशा हर्ले-वॉकर ने. उनकी रिसर्च के नतीजे The Astrophysical Journal Letters में छपे हैं.

PHOTOS: हिंद महासागर में 4500 मीटर गहराई पर यह क्या मिला! भारतीय वैज्ञानिकों की बड़ी खोज

तीसरे सिग्नल को GLEAM-X J0704-37 नाम दिया गया है. यह अंतरिक्ष के एक बहुत कम भीड़भाड़ वाले क्षेत्र में है. इस सिग्नल का सोर्स आकाशगंगा के बाहरी क्षेत्र में, दक्षिणी तारामंडल पुप्पीस में स्थित है. इससे रिसर्चर्स को सिग्नल के सोर्स की बेहतर पहचान करने में मदद मिली. उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में लगे MeerKAT रेडियो टेलीस्कोप का मुंह उस ओर किया और पाया कि वहां पर तो केवल एक धुंधला तारा मौजूद है.

यह भी पढ़ें: अरबों एटम बम मानों एक साथ फटेंगे, सूर्य पर होने वाला है सबसे बड़ा धमाका! वैज्ञानिकों की चेतावनी

सफेद बौने तारे से आ रहा यह सिग्नल?

तारे के स्पेक्ट्रम की जांच से पता चला कि यह एक M टाइप का लाल बौना तारा है. लेकिन Milky Way में ऐसे सफेद बौनों की भरमार है. अगर वे ऐसे सिग्नल छोड़ रहे होते तो हमें अधिकांश से ऐसे ही सिग्नल मिलते. इससे वैज्ञानिकों को लगा कि GLEAM-X J0704-37 के साथ कुछ तो अजीब है. रिसर्च टीम को लगता है कि यह अजीब चीज शायद एक सफेद बौना है, ऐसा तारा जो सूर्य जैसे तारों ढह चुके कोर का अवशेष होता है. ये पिंड बेहद घने होते हैं जिनका द्रव्यमान सूर्य के 1.4 गुना तक हो सकता है लेकिन आकार धरती या चंद्रमा के बीच में होता है.

यह भी पढ़ें: इस गैलेक्सी में एक नहीं, दो-दो ब्लैक होल हैं! हबल स्पेस टेलीस्कोप ने देखा गजब नजारा

रिसर्च टीम के अनुसार, इस बाइनरी सिस्टम में जो लाल बौना है, उसका द्रव्यमान सूर्य का 0.32 गुना और सफेद बौने का द्रव्यमान सूर्य का 0.8 गुना है. अगर ये दोनों बेहद नजदीकी कक्षा में हैं, तो सफेद बौना शायद लाल बौने से पदार्थ खींच रहा होगा. इसी वजह से उसके ध्रुवों से ऐसा उत्सर्जन हो रहा होगा. वैज्ञानिक अब रेडियो और अल्ट्रावायलेट वेवलेंथ में यह पुष्टि करने की कोशिश करेंगे कि वहां पर सफेद बौना तारा है. अगर यह कंफर्म हुआ कि GLEAM-X J0704-37 एक सफेद बौना पल्सर है तो यह Milky Way के दुर्लभतम तारों में से एक होगा.

विज्ञान के क्षेत्र की नवीनतम अपडेट्स के लिए ज़ी न्यूज़ से जुड़े रहें! यहां पढ़ें Latest Science News In Hindi और पाएं Breaking News in Hindi देश-दुनिया की हर ख़बर सबसे पहले आपके पास, क्योंकि हम रखते हैं आपको हर पल के लिए तैयार. जुड़े रहें हमारे साथ और बने रहें अपडेटेड!

Trending news