नगर निगम में हुए भ्रष्टाचार को लेकर जिम्मेदार नेता एक-दूसरे पर छींटाकशी करते नजर आए. बीजेपी से स्मार्ट सिटी डायरेक्टर सुशील सिंह और शहर की महापौर ममता पाण्डेय दोनों ही मामले की जिम्मेदारी लेते नहीं दिखे.
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सतनाः 2 अक्टूबर 2014, गांधी जयंती पर देश में शुरू हुए स्वच्छ भारत अभियान ने आज व्यापक रूप ले लिया है. हर साल देश के सबसे स्वच्छ शहर को सरकार द्वारा नवाजा जाता है, जिसमें मध्य प्रदेश का इंदौर लगातार पिछले चार सालों से नंबर एक का खिताब जीत रहा है. लेकिन इसी प्रदेश का एक शहर और भी है, जहां स्वच्छता के नाम पर बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया.
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45 वार्डों को कागजों में बता दिया ODF
मामला सतना शहर से सामने आया, जहां नगर निगम के 45 वार्डों को कागजों में न केवल ODF (Open Defecation Free) घोषित किया. बल्कि उसे सरकारी कागज में लिख कर जानकारी को आगे भी पहुंचा दिया. खुले में शौच मुक्त बनने पर अधिकारी-कर्मचारियों ने वाहवाही तो लूट ली. लेकिन असलीयत को बदल नहीं पाए.
जी मीडिया की पड़ताल में हुआ खुलासा
नगर निगम के खुले में शौच मुक्त होने के दावे की पड़ताल करने के लिए जैसे ही जी मीडिया की टीम पहुंची, वहां हकीकत कुछ और ही नजर आई. यहां गांव तो दूर शहरी इलाके तक में शौचालय निर्माण का काम अधूरा पड़ा है. जिस कारण नगर निगम के सैकड़ों लोग अभी भी शौचालय का इस्तेमाल न करते हुए खुले में शौच करने के लिए जा रहे हैं. इस नजारे को देखने के बाद आप खुद ही अंदाजा लगा सकते हैं कि गांवों की स्थिति कैसी होगी.
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क्या बोले जिम्मेदार
बीजेपी के पूर्व पार्षद और स्मार्ट सिटी के डायरेक्टर सुशील सिंह और सतना से बीजेपी की महापौर ममता पाण्डेय से नगर निगम में हुए फर्जीवाड़े के संबंध में बात की गई. आइए जानते हैं उन्होंने क्या कहा-
"सभी वार्डों को ODF घोषित करने में न केवल बड़ा भ्रष्टाचार हुआ, बल्कि सरकारी मंशा पर भी पानी फेरा गया है." - सुशील सिंह, बीजेपी पूर्व पार्षद और स्मार्ट सीटी डायरेक्टर
"मैं महापौर भले रही पर नगरनिगम के भ्रष्ट अधिकारी पर जोर नहीं चल सका इसलिए नगरनिगम के अधिकारी अपनी मन मर्जी से कागजों में घोड़े दौड़ाते हुए सरकारी मंशा पर पानी फेरते सरकारी योजनाओं पर पलीता लगाते रहते हैं. नगर निगम में हुए भ्रष्टाचार की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए." - ममता पाण्डेय, महापौर
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