इंदौरः कहते है वक्त कब क्या खेल दिखाए कोई नहीं जानता है. कुछ दिनों पहले इंदौर नगर-निगम के कर्मचारियों द्वारा बेसहारा बुजुर्गों को शिप्रा नदीं के किनारें छोड़ने की हरकत ने पूरे देश में इंदौर की छवि को धूमिल करने का काम किया था. भले ही इस घटना पर सभी ने नाराजगी जताई हो, लेकिन अब इस मामले में एक सुखद पहलू भी सामने आया है. क्योंकि इस घटना ने एक पति को अपनी पत्नी से मिलवा दिया है.


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यह है पूरा मामला
दरअसल, जब बेसहारा बुजुर्गों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुई तो तस्वीरों में एक वृद्ध विकलांग व्यक्ति को देखकर इंदौर के ब्रह्मा बाग क्षेत्र में रहने वाली कुसुम पवार ने दावा किया यह तो उनका भाई प्रदीप पवार है, जिसके बाद नगर-निगम के कर्मचारी बुजुर्ग को उनके घर लेकर पहुंचे, जिसे देखकर कुसुम पवार ने इसे भाई मानने से इंकार कर दिया.


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''यह तो मेरे पति हैं''
कहते है किस्मत के खेल निराले होते हैं. इस बुजुर्ग को लेकर इंदौर नगर निगम में एक बार फिर फोन पहुंचा. इस बार फोन किया इंदौर के दामोदर नगर में रहने वाली पुष्पा सालवी ने. उन्होंने कहा कि वीडियो में दिख रहा यह बुजुर्ग उनका पति अनिल सालवी है. जिसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट उन्होंने डेढ़ माह पहले इंदौर के चंदन नगर थाना क्षेत्र में दर्ज करवा रखी है. मानसिक रूप से कमजोर होने के चलते वे घर से कहीं चले गए थे.


पति को देखकर बहुत खुश हुई पुष्पा
जिसके बाद इंदौर नगर निगम के कर्मचारी बुजुर्ग को पुष्पा सालवी के घर लेकर पहुंचे तो उन्होंने अपने पति को पहचान लिया. पुष्पा ने कहा कि यह अनिल सालवी ही हैं. गुमशुदा पति को देखकर पुष्पा की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. उन्होंने कहा उनके पति अचानक घर से कही चले गए थे, जिसके बाद से ही वह पति को खोज-खोज कर निराश हो चुकी थी. लेकिन किस्मत ने उन्हें अपने पति से फिर मिलवा दिया.


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ऐसे में यह कहा जा सकता है कि इंदौर नगर निगम के कर्मचारियों द्वारा बेसहारा बुजुर्गों को शिप्रा नदीं के किनारें छोड़ने की घटना से भले ही नगर निगम की छवि धूमिल हुई हो. लेकिन इस घटना ने एक पति-पत्नी को जरूर मिलवा दिया. अब अनिल सालवी अपने परिवार में पहुंच चुके हैं, जिसके बाद से ही उनका परिवार बहुत खुश हैं.


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