इस काम में करीब एक साल हो गया, इस बार उत्पादन अच्छा हुआ और इसी खेती से अब करीब 3 साल तक फल मिलेंगे.
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आगर मालवाः मन में हौसला और व्यक्ति काबिल हो तो लॉकडाउन की परेशानियों में भी पैसा कमाया जा सकता है. ऐसा ही कुछ कर दिखाया आगर मालवा निवासी एक शख्स ने, जिनका नाम युवराज पाटीदार हैं. पांच साल प्राइवेट कंपनियों में काम करने के बाद पिछले साल लॉकडाउन में घर आ गए और यहीं पर खेती शुरू कर दी. नतीजा यह रहा कि जिस खेत में दो बीघा पर उनके पिता 60-70 हजार रुपए कमा रहे थे, वहां अब उन्हें हर साल 5-6 लाख रुपए मिलेंगे.
5 साल से कर रहे थे नौकरी
आगर मालवा जिले के सलियाखेड़ी गांव में रहने वाले युवराज बताते हैं कि वह ल्युपिन कंपनी में सीनियर क्वालिटी कंट्रोलर के पद पर काम कर रहे थे. इससे पहले उन्होंने दमन में एल्केम फार्मा में भी काम किया. पांच साल तक नौकरी करने के बाद 2020 के लॉकडाउन में वो घर आ गए. उन्हें लगा कुछ समय में परिस्थिति सामान्य हो जाएगी, लेकिन वो तो गांव में ही फंस गए.
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आपदा को बनाया अवसर, शुरू की खेती
घर पर बिना काम के बैठे युवराज ने खेती करने की ठानी और पारंपरिक खेती के बजाय पपीता की खेती शुरू की. मोबाइल पर खेती की नई तकनीक के बारे में जानकारी जुटाई और बारीकियां जानीं. पिता के 22 बीघा खेत में से 2 बीघा पर उन्होंने काम शुरू किया और ऑर्गेनिक तरीके से पपीता की खेती शुरू की.
इस तकनीक से की खेती
युवराज के पिता ओंकारलाल अपने खेत में सोयाबीन, गेहूं, चने और अन्य फसलों का उत्पादन करते आए थे. लेकिन युवराज ने पिता से बात की और 2 बीघा जमीन पर पौधे लगाकर पपीता की खेती शुरू कर दी. ड्रिप लाइन डाली और पानी की मात्रा बढ़ाई, खेत में समय-समय पर जैविक खाद व जैविक केमिकल डालकर पौधों को बड़ा करना शुरू किया.
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शुरुआत में आईं परेशानियां
युवक ने बताया कि शुरुआत में कई परेशानियां आईं, नौकरी करने के बाद एकदम से खेती करना भी अजीब लग रहा था. लेकिन समय के साथ आदत हुई और काम में मजा आने लगा. इस काम में करीब एक साल हो गया, इस बार उत्पादन अच्छा हुआ और इसी खेती से अब करीब 3 साल तक फल मिलेंगे. लेकिन फलों को बेचने में भी परेशानी आई, मंडियों में इनका बहुत कम भाव मिल रहा था.
नया आइडिया लगाकर बेचना शुरू किया
बेचने में आ रहीं परेशानियों के बीच युवराज ने नया आइ़डिया निकाला. खेत हाईवे के पास आता है, उन्होंने सड़क किनारे ही फलों को बेचना शुरू कर दिया. ग्राहकों को ऑफर दिया कि खेत में जो भी पपीता पसंद आए, उसे ले जा सकते हैं. बाहर से आने वाले खरीदारों ने अच्छा रिस्पॉन्स दिखाया. ग्राहकों को ऑर्गेनिक पपीता मिल गए और दुकानदार को घर बैठे खरीदार.
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दो बीघा से मिलेंगे 6 लाख
युवराज ने बताया कि पिताजी पहले से पारंपरिक खेती करते आए, जहां उन्हें एक बीघा पर तीस से चालीस हजार रुपए मिल पाते थे. लेकिन 2 बीघा पपीता की खेती पर अब उन्हें 5 से 6 लाख रुपए का सालाना फायदा पहुंचेगा. खेती करने के साथ ही उच्च शिक्षा प्राप्त युवक नई तकनीक से अब डेयरी फार्मिंग करने की योजना पर भी काम कर रहा है.
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