अनिश्चित भूख हड़ताल का बैनर लगाकर धरने पर बैठी लीलाबाई ने आरोप लगाया कि उसकी एक जमीन थी जिसके सहारे वह परिवार गुजर-बसर करती थी. लेकिन गांव के पटवारी ने यह जमीन गांव के दबंग बालू के नाम पर कर दी.
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मनीष पुरोहित, मंदसौरः मध्यप्रदेश के मंदसौर में उस समय अजीबोगरीब स्थिति उत्पन्न हो गई जब जमीन विवाद के चलते धरने पर बैठे परिवार की महिला ने बातचीत करने आए तहसीलदार के पैर पकड़ लिए और उनसे दबंगों के कब्जे में गई अपनी जमीन वापस दिलाने की मांग करने लगी.मध्यप्रदेश के मंदसौर के गांधी चौराहे पर ग्राम रिंडा की लीला बाई अपने परिवार के साथ धरने पर बैठी थी.
अनिश्चित भूख हड़ताल का बैनर लगाकर धरने पर बैठी लीलाबाई ने आरोप लगाया कि उसकी एक जमीन थी जिसके सहारे वह परिवार गुजर-बसर करती थी. लेकिन गांव के पटवारी ने यह जमीन गांव के दबंग बालू के नाम पर कर दी. कागजों की हेराफेरी की शिकायत करने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई जिसके बाद हताश परिवार धरने पर बैठ गए.
धरने पर बैठे इन लोगों को समझाने के लिए नायब तहसीलदार वैभव जैन आए तो महिला लीलाबाई उनके पैर पकड़कर अपनी जमीन वापस दिलाने की मांग करने लगी. तहसीलदार वैभव जैन का कहना है, 'जमीन विवाद के चलते धरने पर बैठे इन लोगों को वह समझाने आए थे इनकी बात उन्होंने सुनी है और जांच कर के नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी.'
गौरतलब है कि यह पहला मामला नहीं है पहले भी ग्रामीण इलाकों में कई गरीब बेसहारा परिवारों की कब्जे की जमीन पटवारियों द्वारा दबंगों के नाम पर किए जाने की आरोप लगते रहे हैं अब देखना यह है कि गांधीजीकी प्रतिमा के सामने प्रशासन के पैर पड़ती इस पीड़ित महिला की कितनी सुनवाई हो पाती है और क्या दबंगों से इसे इसकी जमीन वापस मिल पाती है.
क्या है पूरा मामला
ग्राम रिंडा की लीला बाई का आरोप है कि एक शासकीय जमीन पर उसका लंबे समय से कब्जा था और उसी के सहारे उसके परिवार का गुजर-बसर चल रहा था लेकिन कुछ समय पहले गांव के ही दबंग बालू राठौर के नाम पर पटवारी कैलाश सूर्यवंशी ने जमीन कागजों में हेराफेरी कर कर दी जिसके बाद से सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने के बावजूद इन इंसाफ नहीं मिल रहा है यह चाहते हैं कि जमीन का कब्जा है ने वापस मिले ताकि यह परिवार का गुजर-बसर कर कर सके.