Azadi Ka Amrit Mahotsav: आजादी के 75 साल की 75 कहानियों में आज हम आपको बताएंगे एक ऐसे मुस्लिम स्वतंत्रता सेनानी के बारे में जिनके बारे कहा जाता है कि उन्होंने अंग्रेज़ों के खिलाफ फतवा जारी कर दिया था. अंग्रेज़ों की फौज में भर्ती होना हराम है. उस स्वतंत्रता सेनानी का नाम मौलाना हुसैन अहमद मदनी है. इस घटना के बाद अंग्रेज़ी हुकूमत ने मौलाना के खिलाफ मुकदमा दायर कर दिया. मुकदमें की सुनवाई हुई. और जब मौलाना हुसैन अहमद मदनी से पूछा गया कि 'क्या आपने फतवा दिया है कि अंग्रेज़ी फौज में भर्ती होना हराम है?' तो उन्होंने जवाब दिया ‘हां फतवा दिया है और सुनो, यही फतवा इस अदालत में अभी दे रहा हूं और याद रखो आगे भी ज़िंदगी भर यही फतवा देता रहूंगा.’ इस पर जज ने कहा, 'मौलाना इसका अंजाम जानते हो? सख्त सज़ा होगी.' जज की बात सुनकर मौलाना मदनी ने कहा कि फतवा देना मेरा काम है और सज़ा देना तेरा काम. इतना सुनकर जज गुस्सा हो गए और मौलाना को फांसी की सजा सुना दी. इस पर मौलाना ने मुस्कुराते हुए अपनी झोली से एक कपड़ा निकाल कर मेज पर रख दिया और जज के पूछने पर बोले 'यह मेरा कफन है'. इस घटना के बाद लोगों में ऐसी आग लगी कि हजारों लोगों ने फौज की नौकरी छोड़कर देश की आजादी में शामिल हो गए. तो यह थी उस स्वतंत्रता सेनानी मौलाना हुसैन अहमद मदनी की कहानी, जिनके एक फतवे ने हजारों लोगों को आजादी की जंग में लड़ने के लिए प्ररित किया.