भोपाल: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में कमलनाथ सरकार के सभी मंत्रियों के इस्तीफा देने के बाद सारी निगाहें ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) पर अटक गई हैं. अब सबको सिर्फ यही इंतजार है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया क्या फैसला लेंगे. बता दें कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक 17 विधायक बेंगलुरु में हैं. मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार बचेगी या फिर नई सरकार सत्ता पर काबिज होगी अब बहुत हद तक ये ज्योतिरादित्य सिंधिया ही तय करेंगे.


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सूत्रों के हवाले से खबर है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया अगर कांग्रेस छोड़ने के बाद अगर बीजेपी में शामिल नहीं होते हैं तो कांग्रेस उन्हें राज्यसभा में निर्दलीय सांसद बनाकर भेज सकती है. वैसे सूत्र बता रहे हैं कि बीजेपी ने भी उन्हें राज्यसभा के साथ-साथ कैबिनेट मंत्री बनने का ऑफर दिया है. अब देखना ये है कि आज अपने पिता माधव राव सिंधिया की जयंती के अवसर पर क्या पिता की ही तरह कांग्रेस को छोड़ने का फैसला करेंगे. पर लगता है कि ज्योतिरादित्य अपने पिता की तरह अलग पार्टी बनाने की भूल नहीं करेंगे.


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1993 में पिता माधवराव कांग्रेस से हुए अलग


जैसे मध्य प्रदेश में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार से नाराजगी की वजह से ज्योतिरादित्य सिंधिया पार्टी छोड़ सकते हैं, वैसे ही साल 1993 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता स्व. माधवराव सिंधिया दिग्विजय सिंह की सरकार से अलग हो गए थे. माधवराव सिंधिया ने पार्टी में उपेक्षा के कारण कांग्रेस को छोड़ दिया था. फिर बाद में उन्होंने मध्य प्रदेश विकास कांग्रेस पार्टी बनाई था. हालांकि बाद में माधवराव सिंधिया कांग्रेस पार्टी में वापस लौट आए थे.


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