Maharashtra Royal Families In Elections: महाराष्ट्र चुनाव में महामुकाबला अपने बड़े दावेदारों के कारण और भी ज्यादा दिलचस्प हो गया है. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के लिए राजनीतिक दल आगे बढ़कर पुराने राजघरानों पर दांव लगा रहे हैं. हालांकि, चुनावों को अक्सर संसदीय लोकतंत्र की अग्निपरीक्षा के रूप में पेश किया जाता है, लेकिन महाराष्ट्र में राजनीतिक दल आगामी विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के लिए पूर्व राजघरानों पर निर्भर हैं.


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सतारा और आसपास की सीटों पर छत्रपति शिवाजी महाराज के वंशज दावेदार


सतारा विधानसभा में सतारा के शाही परिवार और छत्रपति शिवाजी महाराज के वंशज शिवेंद्रराजे भोसले भाजपा उम्मीदवार के रूप में पांचवीं बार अपनी विधानसभा सीट बचाने के लिए मैदान में उतरे हैं. उनके पिता अभयसिंहराजे भोसले जनता पार्टी, कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) जैसी पार्टियों से छह बार विधायक रहे चुके हैं. बाबाराजे के नाम से मशहूर शिवेंद्रराजे पहले एनसीपी के साथ थे और 2019 के विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा में चले गए थे. 


शिवेंद्रराजे भोसले के चचेरे भाई और सतारा के कथित मौजूदा राजा छत्रपति उदयनराजे भोसले सतारा लोकसभा सीट से भाजपा के सांसद हैं. पड़ोसी फलटन सीट अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित है. यहां नाइक निंबालकर राजघराने के सदस्य एनसीपी विधायक दीपक चव्हाण को विधानसभा में भेजने के लिए काम कर रहे हैं.


कोल्हापुर उत्तर से मैदान में छत्रपति शाहू महाराज की पुत्रवधू और कांग्रेस सांसद


कोल्हापुर उत्तर में,  कोल्हापुर के राजा छत्रपति शाहू महाराज की पुत्रवधू और कांग्रेस सांसद मधुरिमाराजे छत्रपति (कांग्रेस) का मुकाबला मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अगुआई वाली शिवसेना के राजेश क्षीरसागर से है. शाहू महाराज छत्रपति शिवाजी महाराज के छोटे बेटे छत्रपति राजाराम के वंशज हैं. वहीं, सतारा राजघराने शिवाजी महाराज के बड़े बेटे छत्रपति संभाजी के वंशज हैं.


मधुरिमाराजे के पति मालोजीराजे 2004 से 2009 के बीच कोल्हापुर उत्तर से विधायक थे और उनके पिता पूर्व मंत्री दिग्विजय खानविलकर हैं. मालोजीराजे के बड़े भाई और युवराज युवराज संभाजीराजे पूर्व में राज्यसभा सांसद रह चुके हैं. वे अपनी खुद की पार्टी स्वराज्य का नेतृत्व करते हैं. वह छोटे दलों और किसान समूहों के रूप में बने तीसरे मोर्चे का हिस्सा हैं, जिससे कुछ विधानसभा सीटों पर खेल बिगाड़ने की उम्मीद है.


मधुरिमाराजे के नाम वापस लेने से कोल्हापुर उत्तर में बेहद शर्मिंदा हुई कांग्रेस


इंडिया टूडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एक नाटकीय घटनाक्रम में नामांकन वापस लेने की आखिरी तारीख 4 नवंबर को मधुरिमाराजे ने चुनाव मैदान से अपना नामांकन वापस ले लिया. इससे नाराज कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री सतेज (बंटी) पाटिल ने सार्वजनिक रूप से अपना गुस्सा जाहिर किया है. राजेश लाटकर को पहले इस सीट से उम्मीदवार बनाया गया था, लेकिन स्थानीय कांग्रेस नेताओं के विरोध के बाद मधुरिमाराजे को कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में नामित किया गया. हालांकि, उनके नाम वापसी के कदम से कांग्रेस को शर्मिंदगी उठानी पड़ी है, क्योंकि कांग्रेस को अब निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ रहे राजेश लाटकर का ही फिर से समर्थन करना पड़ा.


कागल में एनसीपी के दोनों गुटों में एक शाही परिवार के मुखिया, दूसरे शिंदे के मंत्री 


पास के कागल में, कागल (वरिष्ठ) राजपरिवार के नाममात्र के मुखिया राजे समरजीतसिंह घाटगे, उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के नेतृत्व वाले एनसीपी गुट के उम्मीदवार और चिकित्सा शिक्षा मंत्री हसन मुश्रीफ के खिलाफ एनसीपी (शरदचंद्र पवार) के उम्मीदवार हैं. घाटगे प्रतिष्ठित राजर्षि छत्रपति शाहू महाराज के परिवार से हैं, जिनका जन्म यशवंतराव घाटगे के रूप में हुआ था और उन्हें कोल्हापुर के शाही परिवार ने गोद लिया था. 1922 तक शासन करने वाले शाहू महाराज अपनी रियासत में जाति-आधारित आरक्षण (1902 में) लागू करने वाले पहले व्यक्ति थे.


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वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र में शाही परिवार के तीन सदस्यों का त्रिकोणीय मुकाबला


विदर्भ के सुदूर आदिवासी बहुल गढ़चिरौली जिले में अहेरी के शाही परिवार के तीन सदस्य त्रिकोणीय मुकाबले में एक-दूसरे के खिलाफ खड़े हैं. एनसीपी के मंत्री धर्मरावबाबा आत्राम को अपनी बेटी एनसीपी (एससीपी) की भाग्यश्री आत्राम हलगेकर से चुनौती मिल रही है, जबकि भाजपा के पूर्व मंत्री और राजसी परिवार के राजे अम्बरीशराव आत्राम वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र की इस सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं.


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