Devendra Fadnavis: महाराष्ट्र में नई सरकार का गठन हो चुका है, लेकिन मुख्यमंत्री पद को लेकर स्थिति अब भी साफ नहीं है. बीजेपी, शिवसेना (शिंदे गुट), और एनसीपी (अजित पवार गुट) के बीच सियासी समीकरण जटिल बने हुए हैं. चुनाव में भारी जीत के बावजूद भाजपा मुख्यमंत्री के नाम पर अंतिम निर्णय नहीं कर पाई है. फिलहाल सभी की निगाहें दिल्ली में पार्टी के शीर्ष नेतृत्व पर टिकी हैं.


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शिंदे या फडणवीस?


मुख्यमंत्री पद की दौड़ में देवेंद्र फडणवीस सबसे आगे हैं. भाजपा ने 132 सीटें जीतकर सबसे बड़े दल के रूप में अपनी स्थिति मजबूत की है. हालांकि, शिवसेना शिंदे गुट और अजित पवार की एनसीपी का भी मुख्यमंत्री पद पर दावा है. शिंदे गुट का कहना है कि उनके नेतृत्व में गठबंधन ने शानदार जीत दर्ज की, इसलिए मुख्यमंत्री पद उन्हें ही मिलना चाहिए.


क्या बदलेगा समीकरण?


सूत्रों के मुताबिक, भाजपा ने देवेंद्र फडणवीस, एकनाथ शिंदे और अजित पवार को दिल्ली तलब किया है. दिल्ली में होने वाली बैठक के बाद ही मुख्यमंत्री के नाम पर अंतिम मुहर लगेगी. इसके अलावा कैबिनेट गठन में भी 50:50 फॉर्मूला अपनाने की संभावना है, जिसमें आधे मंत्री भाजपा से और बाकी शिंदे व पवार गुट से होंगे.


क्या ढाई-ढाई साल का फॉर्मूला आएगा काम?


राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा भी है कि मुख्यमंत्री पद को लेकर ढाई-ढाई साल का फॉर्मूला अपनाया जा सकता है. यानी पहले ढाई साल भाजपा का मुख्यमंत्री और बाकी समय शिवसेना का मुख्यमंत्री होगा. हालांकि, इस पर भाजपा की सहमति मिलने की संभावना कम है, क्योंकि इससे सत्ता के दो केंद्र बनने का डर है.


अजित पवार की बढ़ी राजनीतिक ताकत


41 सीटों के साथ अजित पवार अब गठबंधन के भीतर एक मजबूत स्थिति में हैं. ऐसी स्थिति में यह मुश्किल है कि वह शिंदे के नेतृत्व में काम करने को तैयार होंगे. उनकी यह राजनीतिक स्थिति भाजपा के लिए एक और चुनौती पेश कर रही है.


भाजपा के लिए दोनों दल अहम


भाजपा वर्तमान हालात में किसी भी पार्टी को नाराज नहीं करना चाहती. शिंदे की नाराजगी का मतलब उद्धव ठाकरे की शिवसेना को फिर से मजबूती मिलना हो सकता है. वहीं, अगर अजित पवार नाराज होते हैं, तो शरद पवार का कद एक बार फिर बढ़ सकता है. भाजपा इस संतुलन को बनाए रखने के लिए फूंक-फूंककर कदम रख रही है.


सीएम पद पर सस्पेंस बरकरार


भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस का कहना है कि गठबंधन के सभी नेता मिलकर मुख्यमंत्री पद पर निर्णय लेंगे. हालांकि, भाजपा के कई नेता फडणवीस को ही मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं. शिवसेना का दावा है कि शिंदे के नेतृत्व में चुनाव लड़ा गया और जीत दर्ज की गई, इसलिए उन्हें ही मुख्यमंत्री रहना चाहिए.


कब होगा अंतिम फैसला?


महाराष्ट्र में सत्ता का संतुलन बनाए रखने के लिए मुख्यमंत्री पद का फैसला करना भाजपा के लिए एक बड़ी चुनौती है. सभी दलों की अपनी-अपनी शर्तें हैं, और इस सियासी खींचतान के बीच भाजपा के शीर्ष नेतृत्व पर दबाव बढ़ रहा है. अगले कुछ दिनों में दिल्ली में होने वाली बैठकों से इस सस्पेंस का अंत होने की संभावना है.