Uddhav Thackeray Dussehra Rally: दशहरा के मौके पर शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे ने मुंबई के दादर में शिवाजी पार्क में रैली की. मैदान में मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और बीजेपी पर निशाना साधा. उन्होंने कहा, बीजेपी ने मेरी पीठ में छुरा घोंपा और उसे सबक सिखाने के लिए मैंने कांग्रेस और एनसीपी के साथ गठबंधन किया. 


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उद्धव ठाकरे ने कहा, हमारी वार्षिक परंपरा के अनुसार, रावण दहन समारोह होगा, लेकिन इस वर्ष का रावण अलग है. समय के साथ रावण भी बदल जाता है... वह अब तक 10 सिर वाला हुआ करता था... उसके पास अब कितने सिर हैं? वह 50 गुना अधिक विश्वासघाती है.



उन्होंने कहा, मुझे केवल एक ही बात बुरी लगी और गुस्सा आता है कि जब मुझे अस्पताल में भर्ती कराया गया, तो जिन लोगों को मैंने (राज्य की) जिम्मेदारी दी, वे कटप्पा बन गए और हमें धोखा दिया. वे मुझे धोखा दे रहे और सोच रहे थे कि मैं अस्पताल से कभी नहीं लौटूंगा.


सीएम शिंदे ने दिया जवाब


उधर मुख्यमंत्री शिंदे ने भी दशहरा के मौके पर एक रैली को संबोधित किया और पूर्व सीएम को जवाब दिया. उन्होंने कहा, वे मुझे 'कटप्पा' कहते हैं.  मैं आपको बताना चाहता हूं, कि 'कटप्पा' में भी स्वाभिमान था, आप जैसा दोहरा मापदंड नहीं था. सीएम ने कहा, यह आपकी (उद्धव ठाकरे) प्राइवेट लिमिटेड कंपनी नहीं है. शिवसेना उन शिवसैनिकों की है, जिन्होंने इसके लिए अपना पसीना बहाया है. आप जैसे लोगों के लिए नहीं, जिन्होंने पार्टनरशिप की और उसे बेच दिया.


उद्धव के भाई जयदेव ने मुख्यमंत्री शिंदे की रैली में शामिल हुए


शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के बड़े भाई जयदेव ठाकरे, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की मुंबई के बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स (बीकेसी) में हुई दशहरा रैली में बुधवार को शामिल हुए. शिंदे शिवसेना के बागी गुट की अगुवाई करते हैं. बीकेसी के एमएमआरडीए मैदान में हुई शिंदे की अगुवाई वाले गुट की रैली में जयदेव ठाकरे की उनसे अलग रह रही पत्नी स्मिता भी मौजूद थीं. साथ में उद्धव ठाकरे के सबसे बड़े भाई दिवंगत बिंदूमाधव ठाकरे के बेटे निहार भी रैली में मौजूद थे.


इनके अलावा शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे के 27 साल तक करीबी सहयोगी रहे चंपा सिंह थापा भी रैली में मौजूद थे.पत्रकारों से बातचीत करते हुए स्मिता ठाकरे ने कहा कि शिंदे ने उन्हें रैली के लिए आमंत्रित किया था. बताया जाता है कि बाल ठाकरे के बेटे जयदेव ठाकरे के अपने छोटे भाई उद्धव ठाकरे के साथ मधुर संबंध नहीं हैं. शिंदे और उद्धव ठाकरे, दोनों ने ही अपने-अपने गुट को ‘असली’ शिवसेना बताया है. उद्धव ठाकरे के नेतृत्व के खिलाफ शिंदे की बगावत की वजह से शिवसेना की अगुवाई वाली महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार जून में गिर गई थी.



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