Maharashtra Politics: महाराष्ट्र (Maharashtra) में शिवसेना (Shiv Sena) के उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) और एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) गुट के बीच चल रही राजनीतिक जंग अभी थमी नहीं है. असेंबली में विश्वासमत प्रस्ताव जीतने के बाद अब शिंदे गुट ने ठाकरे खेमे के 14 विधायकों को अयोग्य घोषित करवाने की कार्रवाई शुरू कर दी है. इसके लिए शिंदे गुट के करीबी विधायक और मुख्य सचेतक भरत गोगावले की ओर से उन्हें नोटिस जारी किया गया. शिंदे गुट का आरोप है कि ठाकरे खेमे के विधायकों ने व्हिप का पालन करते हुए शिंदे गुट के पक्ष में मतदान नहीं किया. 


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ठाकरे खेमे के 14 विधायकों को नोटिस जारी


महाराष्ट्र असेंबली में शिवसेना के कुल 55 विधायक हैं. इनमें से 39 विधायक एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) के साथ थे, जबकि 16 ठाकरे (Uddhav Thackeray) खेमे से जुड़े थे. विश्वास मत प्रस्ताव के दौरान ठाकरे खेमे का एक और विधायक टूट कर शिंदे गुट के साथ जुड़ गया. इसके साथ ही ठाकरे खेमे में आदित्य ठाकरे समेत केवल 15 विधायक शेष बचे रह गए. जबकि उद्धव ठाकरे MLC हैं. असेंबली के नए स्पीकर राहुल नार्वेकर ने रविवार को गोगावले को शिवसेना के मुख्य सचेतक के रूप में मान्यता दी थी. इसके बाद शिंदे गुट ने आदित्य ठाकरे (Aditya Thackeray) को छोड़कर ठाकरे खेमे के बाकी 14 विधायकों को अयोग्य ठहराने के लिए नोटिस जारी किया है. 


आदित्य ठाकरे का नाम लिस्ट में शामिल नहीं


इन नोटिस में आदित्य ठाकरे का नाम शामिल न करने की वजह भी शिंदे गुट (Eknath Shinde) ने स्पष्ट की है. पार्टी के चीफ व्हिप भरत गोगावले ने कहा कि बाला साहब ठाकरे के प्रति सम्मान की वजह से उनके पोते आदित्य ठाकरे (Aditya Thackeray) का नाम इस सूची में नहीं डाला गया है. गोगावले ने कहा कि अगर नोटिस पाने वाले 14 विधायकों ने उचित जवाब पेश नहीं किया तो उन्हें विधायक पद से अयोग्य ठहराने की कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी. 


पार्टी पर कब्जे को लेकर नई जंग हुई शुरू


पार्टी सूत्रों के मुताबिक महाराष्ट्र में सरकार बनाने के बाद एकनाथ शिंदे की नजर अब पार्टी पर अपना कब्जा बनाने की है. इसी को लेकर शिंदे गुट (Eknath Shinde) और ठाकरे खेमे (Uddhav Thackeray) में खाई और चौड़ी हो गई है. माना जा रहा है कि अगले कुछ दिनों में पार्टी के कुछ सांसद भी टूटकर शिंदे खेमे में शामिल हो सकते हैं. साथ ही पार्टी के कई जिला प्रमुख और जिला संपर्क प्रमुख भी शिंदे गुट के साथ अपना दामन जोड़ सकते हैं. अगर ऐसा होता है तो यह उद्धव ठाकरे के लिए बहुत बड़ा झटका होगा. सरकार के समर्थन में 164 वोट पड़े जबकि विपक्ष में 99 लोगों ने मतदान किया. कई विधायक सदन से अनुपस्थित रहे.


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