Maharashtra Politics: महाराष्ट्र की सियासत में एक बार फिर बड़ा खेला हो सकता है. लोकसभा चुनावी नतीजों के बाद लगातार ऐसे दावे किए जा रहे हैं. दरअसल कहा जा रहा है कि बीजेपी अजित पवार से अपसेट दिख रही है. अगर ऐसा है तो इसकी वजह चाहे जो भी हो, लेकिन लोकसभा चुनावी नतीजे आने के बाद येो चर्चा जरूर तेज हो गई कि किस राजनीतिक पार्टी को किसका साथ महंगा पड़ा? और किससे दोस्ती करना किसके लिए फायदे में रहा. 'आया राम गया राम' जैसा मामला हो या किसी दल में फूट के बाद सत्ता सुख भोगने के लिए हुआ सियासी दलबदल, पूरब में बिहार और पश्चिम में महाराष्ट्र का नाम सबसे पहले जेहन में आता है. हालांकि भारतीय राजनीति में बीते कुछ दशकों में यूं तो कई बेमेल गठबंधन हुए हैं, लेकिन इन राज्यों में सरकार बनाने के लिए एंट्री और EXIT का 'खुला खेल फरुक्काबादी' देखने को मिला वो अभूतपूर्व ही था.


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बात महाराष्ट्र की जहां लगातार ये संकेत मिल रहे हैं कि महायुति वाली सरकार में अंदरखाने खटपट होने के साथ कुछ ऐसी सियासी खिचड़ी पक रही है, जिसके बारे में जानकर एक बार फिर लोग हैरान रह जाएंगे. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक महाराष्ट्र में बीजेपी सर्वे करा रही है. उसके नतीजों की पड़ताल करने के बाद केंद्र की सत्ता में बैठी दुनिया की सबसे बड़ी पॉलिटिकल पार्टी आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर कोई चौंकाने वाला फैसला ले सकती है. ऐसे कयास इसलिए भी लगाए जा रहे हैं कि सियासत हो या असल जिंदगी, दूध का जला छांछ भी फूंक-फूंक कर पीता है. 


महाराष्ट्र सरकार में खटपट!


ऐसी अटकलों को हाल ही में तब बल मिला जब लोकसभा चुनाव परिणाम में अजित पवार के गुट वाली पार्टी ने महाराष्ट्र में सिर्फ एक सीट जीती. और शरद पवार के गुट वाली NCP ने 8 लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज की. वहीं अजित पवार के गुट के किसी भी नेता को केंद्र में मंत्री भी नहीं बनाया गया. हाल ही में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी NCP (शरद पवार) के नेता रोहित पवार ने दावा किया कि महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार के नेतृत्व वाली सत्तारूढ़ NCP के करीब 19 विधायक आगामी मानसून सत्र के बाद उनके पाले में आ जाएंगे. 


रोहित पवार का ये भी कहना है कि अजित गुट (NCP) के अधिकांश विधायकों  ने जुलाई 2023 में पार्टी में हुए विभाजन के बाद कभी भी पार्टी के संस्थापक शरद पवार और अन्य बड़े नेताओं के खिलाफ कुछ भी बुरा भला नहीं कहा है. 


शायद उनका भी मानना है कि अजित का बार-बार बीजेपी जाने से उनका आगे का करियर खत्म कर सकता है. वहीं बीजेपी की हालत इसलिए खस्ता हुई क्योंकि शिवसेना और एनसीपी में फूट की वजह से पैदा हुई सहानुभूति उद्धव ठाकरे और शरद पवार गुट के फेवर में गई.


अजित की पार्टी पर प्रफुल्ल पटेल का कंट्रोल?


वहीं रोहित पवार ने ये भी कहा, 'शरद पवार और अन्य एनसीपी नेता इस बारे में फैसला लेंगे कि वे वापस पार्टी में किसे शामिल करें और किसे न करें? रोहित पवार ने ये भी बताया कि एनसीपी के राज्यसभा सांसद प्रफुल्ल पटेल कह रहे हैं कि जब अगला केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार होगा, तब वो मंत्री बनेंगे, इससे साफ है कि अजित पवार की पार्टी पर प्रफुल्ल पटेल का पूरा कंट्रोल है.'


जाहिर बात है कि जब अजित के साथ विधायक ही नहीं होंगे तो महायुति की सरकार में उनकी भूमिका और जगह समझी जा सकती है. यानी साफ है कि बीजेपी वेट एंड वाच के मोड में है और गेंद अब शरद पवार के पाले में है जिनकी हरी झंडी मिलने के बाद महाराष्ट्र की सियासत में एक बार फिर से कोई चौंकाने वाला खेला हो सकता है.