मुंबई. महाराष्ट्र राज्य सरकार के शिव छत्रपति राज्य खेल अवॉर्ड विवादों में घिर गया है. इस बार साइक्लिंग के लिए यह पुरस्कार राज्य के रवींद्र करांडे को दिया गया है. महाराष्ट्र के ही साइक्लिस्ट अभिषेक आंबडसकर ने आरोप लगाया है कि ये पुरस्कार नियमों को ताक पर रखकर दिए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि रविंद्र को यह पुरस्कार गलत जानकारी के आधार पर मिला है. इतना ही नहीं, सरकार से इसकी शिकायत करने पर भी अब तक इस मामले में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. 

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

इस बार साल 2017-18 का साइक्लिंग के लिए छत्रपति शिवाजी पुरस्कार रविंद्र करांडे को दिया गया है. अभिषेक आंबडसकर का आरोप है कि आर्मी के जवान रवींद्र ने साइक्लिंग के किसी भी कॉम्पिटीशन में महाराष्ट्र का एक बार भी प्रतिनिधित्व नहीं किया है. फिर उन्हें कैसे विजेता घोषित किया गया. नियम के मुताबिक विजेता को महाराष्ट्र सरकार का प्रतिनिधित्व करना जरूरी है.

अभिषेक आंबडसकर ने इसकी शिकायत महाराष्ट्र सरकार से की है. उन्होंने लिखा है कि रविंद्र ने अपने बारे में पुरस्कार प्राप्त करने के लिए सरकार को गलत जानकारी दी है. रविंद्र ने जानकारी दी थी कि 2017-2018 में उन्होंने कोई साइक्लिंग नहीं की. साथ ही 2012-13 और 2014-15 का अपना कोई अनुभव नहीं दिखाया है. वहीं, साइक्लिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (cycling fedrarion Of INDIA) से जो लिखित जानकारी अभिषेक को प्राप्त हुई है, उसके मुताबिक राष्ट्रीय स्तर पर 2017-18 में  रविंद्र ने आंध्र प्रदेश राज्य के लिए साइक्लिंग की है. साल 2012-13 में उन्होंने बिहार से राष्ट्रीय स्तर पर साइक्लिंग के लिए प्रतिनिधित्व किया था. साल 2014-15 में राष्ट्रीय स्तर के साइक्लिंग कॉम्पिटीशन में केरल में हिस्सा लिया था.

वहीं, रविंद्र करांडे ने अभिषेक के आरोपों पर कहा कि उन्होंने ‘पुरस्कार के लिए कड़ी परिश्रम की थी, तब जाकर उन्हें यह अवॉर्ड मिला. साथ ही उनका कहना है कि वे महराष्ट्र को रिप्रेजेंट कर चुके हैं. रविंद्र ने यह भी कहा की अगर वह गलत जानकारी देते तो राज्य सरकार उनको पुरस्कार क्यों देती.’

हमने इस मामले में मंत्री विनोद तावड़े से भी बात की. उनसे रविंद्र पर लगे आरोपों के बारे में पूछा गया. इस पर मंत्री तावड़े ने कहा ‘नियम कानून को ध्यान मे रखकर ही इनाम दिए गए हैं. फिर भी यदि अभिषेक को अगर और कुछ जानकारी देनी है तो हमको मिलकर दे सकते हैं. हम उसकी छानबीन करेंगे. फिलहाल इस पुरस्कार का वितरण भी हो गया है. खिलाड़ी को यह पुरस्कार जीवन में एक बार दिया जाता है और यह अभिषेक का आखिरी चांस था. ऐसे में अभिषेक काफी मायूस है.’