नई दिल्ली (आशिफ एकबाल): दिल्ली सरकार के द्वारा मैथिली भाषा को सम्मान दिया जाना और उस भाषा को दूसरी भाषा में शामिल करना आप पार्टी की सियासी जमीन को मजबूत करने के तौर पर देखा जा रहा है. ऐसा इसलिए है, क्योंकि राज्य सरकार ने मैथिली भाषा को पाठ्यक्रम में जोड़ने का यह फैसला विधानसभा चुनावों से 6 महीने पहले लिया है. अब सरकार के इस फैसले पर राजनीति शुरू हो गई है. 


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राजद ने की दिल्ली सरकार की तारीफ
दिल्ली सरकार की इस क़दम की राजद ने जमकर तारिफ़ की. आरजेडी के राज्यसभा सासंद मनोज झा ने कहा कि दिल्ली सरकार को बहुत बहुत बधाई जो उन्होंने ये सम्मान दिया मैथिली को अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया ने तारिफ़ के लायक़ काम किया. उन्होंने कहा, हम तो हमेशा से ये मानते रहे हैं कि भाषा कि लकीर तोड़नी चाहिए हिन्दुस्तान तभी और फलीभूत होगा, जब हर भाषा को उसके हिसाब से सम्मान दिया जाएगा. हिन्दुस्तान का सहकारी संघवाद भी तभी बेहतर होगा जब सबको हिस्सा बराबर मिलेगा.


बीजेपी ने बोला सरकार पर हमला
लेकिन राजद की तारिफ़ को सिरे से ख़ारिज करते हूए बीजेपी ने जमकर हमला बोला और बीजेपी पुर्वांचल मोर्चा के अध्यक्ष मनीष चंदेल ने कहा कि आम आदमी पार्टी की सरकार सिर्फ़ वादों पर चल रही है, क्योंकि आम आदमी पार्टी ने सरकार बनने के छह महीने के अंदर ही कहा था कि वह उर्दू को प्राथमिकता देंगे और उर्दू भाषा और पंजाबी भाषा को पढ़ने वालों को बेहतर सुविधा मुहैया कराएंगें, लेकिन आज भी कई हज़ार शिक्षकों की कमी है उर्दू और पंजाबी पढने वाले बच्चों के लिए. उन्होंने कहा कि अब ज़रा सोचिए के साढ़े चार साल तक अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया को पूर्वांचल की कोई सुध नहीं मिली अब चुनाव के 6 महीने पहले उन्हें लगता है कि मैथिली भाषा को प्राथमिकता देने की बात पर पूरा पूर्वांचल उन्हें हाथोहाथ उठा लेगा.


महाबल मिश्रा ने कही यह बात
बीजेपी ने भले ही आप पार्टी को खुब खरी खोटी सुनाई लेकिन कांग्रेस की राय उससे इतर थी. कांग्रेस के पूर्व सांसद महाबल मिश्रा ने दिल्ली सरकार के क़दम की जमकर तारीफ़ की और कहा कि यह काम बहुत बेहतर किया है. दिल्ली की सरकार से महाबल ने कहा कि कि वह कांग्रेस विधायक रहते हूए इसकी प्रस्तावना दिल्ली सरकार को 2002 में दी थी जो अब जाकर दिल्ली की आप पार्टी की सरकार ने पूरी की है. ये बहुत ही बेहतर काम किया है. मिश्रा ने कहा कि इससे मैथिली का मान सम्मान और बढ़ेगा.


राजनीतिक पार्टियों के अपने स्वार्थ हो सकते हैं इस फ़ैसले के मानने और ना मानने के पीछे लेकिन जो लोग मैथिली के उत्थान के लिए काम कर रहे हैं. वह भी इस फ़ैसले के सफल होने पर आशंका ज़ाहिर कर रहे हैं. आप पार्टी की दिल्ली सरकार के पिछले ट्रैक रिकार्ड देखते हूए मैथली संघ के प्रभारी राजकुमार ने सवाल खड़ा किया दिल्ली सरकार की निष्ठा पर कहा कि क्या वाक़ई सरकार गंभीर है. इस मसले पर मैथली भाषा में बोलते हुए कहा कि इस सरकार की तो मनसा कभी रही नहीं है कि वो पूर्वांचल को मैथिली को भोजपुरी को मगही को सम्मान दें, क्योंकि जिसको सम्मान देना होता है वो ईमानदारी से काम करके दिखाता है लेकिन ये सरकार सिर्फ़ वादे करती है और तमाम मसलों पर अपना चुनावी फ़ायदा देखती है.