बांग्लादेश टेस्ट सीरीज में होगी इस खूंखार गेंदबाज की वापसी! कातिलाना गेंदबाजी से लगाई आग
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बांग्लादेश टेस्ट सीरीज में होगी इस खूंखार गेंदबाज की वापसी! कातिलाना गेंदबाजी से लगाई आग

बांग्लादेश के खिलाफ दो मैचों की टेस्ट सीरीज के लिए टीम इंडिया का ऐलान जल्द किया जा सकता है. भारत के एक खूंखार गेंदबाज ने दिलीप ट्रॉफी में अपनी कातिलाना गेंदबाजी से आग लगाई हुई है. भारत का ये गेंदबाज क्रिकेट के मैदान पर गेंद से जमकर तबाही मचा रहा है. 

बांग्लादेश टेस्ट सीरीज में होगी इस खूंखार गेंदबाज की वापसी! कातिलाना गेंदबाजी से लगाई आग

भारत और बांग्लादेश के बीच दो मैचों की टेस्ट सीरीज का आगाज 19 सितंबर से होगा. बांग्लादेश के खिलाफ टेस्ट सीरीज में सेलेक्शन का दावा पेश करने के लिए कई भारतीय क्रिकेटर्स इन दिनों दिलीप ट्रॉफी खेल रहे हैं. सेलेक्टर्स की भी इस टूर्नामेंट पर पैनी नजर है. भारत के एक खूंखार गेंदबाज ने दिलीप ट्रॉफी में अपनी कातिलाना गेंदबाजी से आग लगाई हुई है. भारत का ये गेंदबाज क्रिकेट के मैदान पर गेंद से जमकर तबाही मचा रहा है. 

बांग्लादेश टेस्ट सीरीज में होगी इस खूंखार गेंदबाज की वापसी!

बांग्लादेश के खिलाफ दो मैचों की टेस्ट सीरीज के लिए टीम इंडिया का ऐलान जल्द किया जा सकता है. सेलेक्टर्स तेज गेंदबाज आकाश दीप को हर हाल में इस टेस्ट सीरीज में मौका देना चाहेंगे. आकाश दीप बेहद घातक फॉर्म में हैं और उन्होंने दिलीप ट्रॉफी में इंडिया-B के खिलाफ खेले जा रहे मैच में 6 विकेट झटके हैं. आकाश दीप ने इस मैच की पहली पारी में 2 विकेट जबकि दूसरी पारी में 4 विकेट निकाले हैं. आकाश दीप ने इस साल की शुरुआत में इंग्लैंड के खिलाफ 5 मैचों की सीरीज में अपना टेस्ट डेब्यू किया था.

इंग्लैंड के खिलाफ रांची में किया था टेस्ट डेब्यू 

आकाश दीप ने भारत के लिए अभी तक सिर्फ एक ही टेस्ट मैच खेला है, जिसमें उन्होंने 3 विकेट झटके हैं. आकाश दीप ने 23 फरवरी 2024 को इंग्लैंड के खिलाफ रांची टेस्ट में डेब्यू किया था. आकाश दीप का जन्म बिहार के रोहतास जिले में स्थित डेहरी कसबे में हुआ था. 27 साल के आकाश दीप अपनी घातक इनस्विंग गेंदबाजी की वजह से जाने जाते हैं. आकाश दीप के पिता हमेशा से उन्हें सरकारी अधिकारी बनाना चाहते थे, लेकिन क्रिकेट उनका जुनून था. आकाश दीप की मां ने हमेशा उनका साथ दिया. मां उन्हें छुपकर क्रिकेट खेलने भेज देती थी. 

दर्दनाक है आकाश दीप की कहानी 

आकाशदीप के पिता रामजी सिंह सरकारी हाई स्कूल में ‘फिजिकल एजुकेशन’ शिक्षक थे और वह कभी भी अपने बेटे को क्रिकेटर नहीं बनाना चाहते थे. सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें लकवा मार गया और पांच साल तक बिस्तर पर रहे. उन्होंने फरवरी 2015 में अंतिम सांस ली. इसी साल अक्टूबर में आकाशदीप के बड़े भाई धीरज का निधन हो गया. इसके बाद बड़े भाई की पत्नी और उनकी दो बेटियों की जिम्मेदारी भी उनके ही ऊपर आ गई. पूरा परिवार पिता की मासिक पेंशन पर निर्भर था तो आकाशदीप ने क्रिकेट के जुनून को छोड़कर कमाई का साधन जुटाने पर ध्यान लगाना शुरू किया. वह छह भाई बहनों में सबसे छोटे हैं जिसमें तीन बहन बड़ी हैं. पहले आकाशदीप ने धीरज के निधन के बाद डंपर किराए पर लेकर बिहार-झारखंड सीमा पर सोन नदी से रेत बेचने का बिजनेस शुरू किया. तब वह टेनिस बॉल क्रिकेट खेलते थे और उन्हें अपने क्रिकेट के सपने को साकार करने के लिए मदद की जरूरत थी. उनके चचेरे भाई बैभव ने ‘लेदर बॉल’ क्रिकेट में कोचिंग दिलाने में मदद की.

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