President Mohamed Muizzu China: मालदीव में सरकार बदलने के बाद से ही भारत विरोधी रुख दिखाई दे रहा है. हिंद महासागर में मौजूद यह खूबसूरत द्वीपीय देश अब चीन के करीब जाता दिख रहा है. 'टाइम्स ऑफ इंडिया' ने राजधानी माले में अपने सूत्र के हवाले से खबर दी है कि नए राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू चीन जाने की योजना बना रहे हैं. अगर आने वाले दिनों में ऐसा होता है तो मोइज्जु लोकतांत्रिक तरीके से चुने गए पहले मालदीवी राष्ट्रपति होंगे जो भारत आने से पहले चीन जाएंगे. इससे पहले मालदीव के राष्ट्रपति देश से बाहर सबसे पहले भारत आना पसंद करते थे लेकिन मोइज्जु दुबई में COP28 समिट में पहुंचने से पहले तुर्की उतर गए थे.


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हिंद महासागर का यह महत्वपूर्ण देश भारत के लिए काफी अहम है. यहां राष्ट्रपति बने भारत-विरोधी नेता भी पहले नई दिल्ली ही आते थे. 2012 में मोहम्मद वहीद और दो साल बाद अब्दुल्ला यामीन ने भी ऐसा ही किया. भारत मालदीव को काफी तवज्जो देता रहा है और जरूरत के समय पहले पहुंचता है. मालदीव के लिए भी भारत सर्वप्रथम रहा है लेकिन नए राष्ट्रपति अलग राह पर चल रहे हैं. 


मालदीव का मैसेज


वैसे, मालदीव के राष्ट्रपति बीजिंग जाते भी हैं तो चीन उनके लिए तीसरा देश होगा, जहां वह बतौर राष्ट्रपति गए हैं. जब मोइज्जु तुर्की गए थे तो इसे भारत और चीन दोनों देशों के लिए एक संकेत या कहें कि मैसेज के रूप में देखा गया था कि मालदीव अपनी तरक्की के लिए अब केवल दो देशों पर ही निर्भर नहीं रहना चाहता है. 


चीन को पहले मना किया


मोइज्जु से पहले राष्ट्रपति रहे इब्राहिम सोलिह भारत समर्थक माने जाते थे. बताते हैं कि मोइज्जु के राष्ट्रपति बनते ही फौरन चीन ने न्योता भेज दिया था लेकिन नए राष्ट्रपति के सलाहकारों ने मना कर दिया. वे नहीं चाहते थे कि मीडिया में उनकी छवि चीन समर्थक नेता की बने. हालांकि अभी स्पष्ट नहीं है कि मोइज्जु को ऐसा न्योता भारत से मिला है या नहीं. हालांकि मोइज्जु और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात पर भारत की पैनी नजर रहेगी. चीन जाने वाले मालदीव के अंतिम राष्ट्रपति यामीन थे. 


इससे पहले मालदीव ने भारत से अपने सैनिकों को वापस बुलाने को कह दिया है. भारत ने मालदीव को गिफ्ट में नौसेना के हेलिकॉप्टर दिए थे. मोइज्जु ने सीओपी28 में पीएम नरेंद्र मोदी से मिलने के बाद कहा था कि भारत अपने सैनिकों को वापस बुलाने पर राजी हो गया है. हाल में मालदीव ने भारत के साथ उस एग्रीमेंट से भी बाहर निकलने की घोषणा कर दी, जो मालदीव के समुद्री क्षेत्र में हाइड्रोग्राफिक सर्वे के लिए हुआ था. सोलिह के समय 2019 में मोदी की माले यात्रा के दौरान इस समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे.