Manoj Jarange Patil on Maratha Reservation: मराठा आरक्षण के लिए संघर्ष करने वाले कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने कहा कि उन्हें उन उम्मीदवारों के बारे में जानकारी मिल गई है, जिन्हें वह अक्टूबर में होने वाले महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के लिए संभावित रूप से मैदान में उतार सकते हैं. उन्होंने कहा कि 29 अगस्त को समुदाय के नेताओं की एक बैठक होगी, जिसमें 288 सदस्यीय विधानसभा के चुनावों में उम्मीदवारों को मैदान में उतारने का फैसला किया जाएगा. जरांगे ने दोहराया कि वह और उनके समर्थक राजनीति में नहीं आना चाहते हैं, लेकिन अगर राज्य सरकार मराठा समुदाय की आरक्षण मांगों को स्वीकार करने में विफल रहती है तो उन्हें ऐसा करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा. 


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'मराठा समुदाय को मिले कुनबी आरक्षण'


मनोज जरांगे पाटिल ने कहा कि मराठा समुदाय को कुनबी प्रमाण पत्र दिया जाना चाहिए ताकि वे ओबीसी समुदाय के तहत आरक्षण का लाभ उठा सकें. जरांगे ने कहा कि वह पूर्व मुख्यमंत्री एवं भाजपा नेता नारायण राणे का सम्मान करते हैं, क्योंकि उन्होंने समुदाय को 16 प्रतिशत आरक्षण दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जिसे बाद में अदालतों ने रद्द कर दिया था. 


'फडणवीस के इशारे पर काम न करें राणे'


जरांगे ने कहा, ‘हालांकि, उन्हें और उनके बेटे नितेश राणे को उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के इशारे पर काम नहीं करना चाहिए. अगर वे ऐसा ही करते रहेंगे तो मराठा समुदाय उन्हें कभी माफ नहीं करेगा.’ जरांगे ने कहा कि महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रमुख राज ठाकरे को भी अपने ‘सागर बंगले वाले दोस्त’ (फडणवीस और दक्षिण मुंबई में उनके आधिकारिक आवास की ओर संकेत) को मराठों की आरक्षण संबंधी मांगों का विरोध न करने की सलाह देनी चाहिए.


मराठों को ओबीसी कोटे में न मिले आरक्षण


इस बीच, एक ओबीसी समुदाय से जुड़े एक आरक्षण कार्यकर्ता नवनाथ वाघमरे ने राज्य सरकार को ओबीसी से मराठों को आरक्षण देने के खिलाफ चेतावनी दी. इस मुद्दे पर कांग्रेस की जालना जिला इकाई के अध्यक्ष शेख महमूद ने कहा कि एकनाथ शिंदे सरकार इस मुद्दे को हल करने में विफल रही है. 


'आरक्षण पर गलत सूचनाओं को दूर करेगी बीजेपी'


उन्होंने दावा किया, ‘इसका असर लोकसभा चुनावों पर देखा गया है और विधानसभा चुनावों पर भी असर देखने को मिलेगा.’ भाजपा नेता अशोक पांगारकर ने दावा किया कि उनकी पार्टी आरक्षण के मुद्दे पर फैलाई जा रही गलत सूचनाओं को दूर करेगी. उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनावों के बाद भाजपा ने आत्मचिंतन किया है. मराठा आरक्षण मुद्दा फीका पड़ता जा रहा है और इसका भविष्य के चुनावों पर बहुत कम प्रभाव पड़ेगा.


(एजेंसी भाषा)