Delhi MCD Chunav Natije: आम आदमी पार्टी के नेता महेश खींची दिल्ली के मेयर बन गए हैं. उनको 133 वोट मिले जबकि बीजेपी के किशन लाल को 130 वोट हासिल हुए. पीठासीन अधिकारी सत्या शर्मा ने चुनाव के नतीजे घोषित करते हुए कहा कि कुल 265 वोट पड़े, जिसमें से 2 वोट अवैध पाए ग‌ए. इससे पहले दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव के लिए गुरुवार को वोटिंग हुई. आम आदमी पार्टी (आप) के सांसद संजय सिंह और एन.डी. गुप्ता ने भी अपने वोट डाले साथ ही बीजेपी के सभी सात लोकसभा सांसदों ने भी अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया है.


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चुनावों के बीच कांग्रेस पार्षद सबीला बेगम ने गुरुवार को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देते हुए कहा कि वह आप उम्मीदवार को वोट देंगी. उनके पति ने उनका त्यागपत्र ‘एक्स’ पर पोस्ट किया. बेगम इससे पहले 2022 में आप में शामिल हो गई थीं और बाद में कांग्रेस में वापस आ गई थीं. आमतौर पर अप्रैल में होने वाले चुनाव सत्तारूढ़ आप और विपक्षी भाजपा के बीच झगड़े के कारण विलंबित हो गए और नए महापौर को केवल पांच महीने का कार्यकाल मिलने की संभावना है.



कार्यकाल कम करने को लेकर नारेबाजी


इससे पहले MCD सदन में महापौर चुनाव के दौरान अराजकता की स्थिति देखने को मिली जब कांग्रेस पार्षदों ने दलित मेयर के लिए आवंटित कार्यकाल कम किए जाने के मुद्दे पर नारेबाजी की और आसन के करीब आ गए. हंगामा उस समय शुरू हुआ जब पीठासीन अधिकारी सत्या शर्मा ने कार्यवाही शुरू की. कांग्रेस पार्टी की नेता (एलओपी) नाजिया धनीश ने तुरंत आपत्ति जताई और दलित मेयर के लिए निर्धारित छोटे कार्यकाल की आलोचना की. 


उन्होंने वर्तमान मेयर पर निर्धारित समय से अधिक समय तक पद पर बने रहने और दलित समुदाय के पूर्ण प्रतिनिधित्व के अधिकार का उल्लंघन करने का आरोप लगाया. धनीश अन्य कांग्रेस पार्षदों के साथ सदन में मेयर के आसन के सामने चले गए और पीठासीन अधिकारी से स्पष्टीकरण की मांग करने लगे.


'उनका सीमित कार्यकाल भी कर रहे खराब'


जवाब में शर्मा ने कांग्रेस पार्षदों से अपनी सीटों पर वापस जाने का अनुरोध करते हुए कहा, “आप उनका सीमित कार्यकाल भी खराब कर रहे हैं”. विरोध तब और बढ़ गया जब कांग्रेस सदस्यों ने आम आदमी पार्टी (आप) को निशाना बनाते हुए “दलित विरोधी केजरीवाल सरकार” का नारा लगाया. इसके जवाब में आम आदमी पार्टी (आप) सदस्यों ने “केजरीवाल जिंदाबाद” के नारे लगाए. गतिरोध जारी रहा और दोनों पक्षों ने एक-दूसरे के खिलाफ नारे लगाए, जिससे चुनाव प्रक्रिया बाधित हुई.