भारत ने चीन की चालबाजी का जवाब ढूंढकर इलाज शुरू कर दिया है. चीन की नज़रें हमेशा भारत की सीमावर्ती इलाकों पर रहती है, लेकिन केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के नए फैसले के बाद अब वो हिमाकत की जुर्रत करने से पहले सौ बार सोचेगा. केंद्र सरकार ने ITBP के 7 नए बटालियन का गठन करने का आदेश दिया है. क्या ये फैसला चीन के लिए सीधी चुनौती है? इस सवाल का जवाब जानने के लिए मोदी सरकार के 3 साल पहले के फैसले को जानना जरूरी हो जाता है.


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जनवरी 2020 में मोदी सरकार ने 47 बॉर्डर आउटपोस्ट यानी BOP बनाने का फैसला लिया था. बॉर्डर आउटपोस्ट मतलब, सीमा की निगरानी के लिए और घुसपैठ पर नजर रखने के लिए बनाई गई चौकी. अब इन्हीं BOP की निगरानी और एक्शन लेने वाले पोस्ट पर तैनाती के लिए मोदी कैबिनेट ने ITBP के 7 नए बटालियन के गठन को मंज़ूरी दी है. इसके लिए करीब 9400 जवान भर्ती किए जाएंगे. इन जवानों के लिए अलग से सेक्टोरियल हेडक्वार्टर भी बनाया जाएगा.


मोदी सरकार का ये फैसला हमारी सीमाओं को सुरक्षित रखने को लेकर बेहद अहम माना जा रहा है. ITBP यानी इंडो-तिब्बत बॉर्डर पुलिस, भारत-चीन सीमा की निगरानी करती है. भारत-चीन सीमा पर पहले से ही 176 पोस्ट मौजूद हैं, लेकिन जिस तरीके से चीन लगातार अलग-अलग जगहों पर नापाक हरकतों की कोशिश करता रहता है, उसे देखते हुए ये 176 पोस्ट काफी नहीं थे. इसीलिए सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति ने 47 BOP बढ़ाने का फैसला लिया. 


इसमें तैनाती के लिए ITBP के 7 नए बटालियन बनेंगे और उनमें करीब 9400 जांबाजों की तैनाती होगी. इस पूरी प्रक्रिया को 2025-26 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. इसके अलावा भारत-चीन सीमा पर पहुंचने के लिए जो सबसे बड़ी मुश्किल पहले सुरक्षाबलों के सामने आती थी, वो थी रोड नेटवर्क का नहीं होना.


10 वर्ष पहले की बात करें तो, यहां की सड़कें तब ऐसी थी कि सर्दियों में बिल्कुल इस्तेमाल नहीं कर सकते थे. पर मोदी सरकार ने पिछले 8 सालों में चीन सीमा पर पहुंचने के लिए ऑल वेदर सड़कों का नेटवर्क खड़ा कर दिया है. अभी यहां 5 टनल बनाए जा रहे हैं, जिनसे किसी भी मौसम में गाड़ियां गुजर सकती हैं.


जोजिला टनल का निर्माण अंतिम चरण में है. अटल टनल का तो लोग इस्तेमाल भी कर रहे हैं. बाकी 3 टनल DPR के स्टेज में है. मोदी सरकार ने एक और टनल बनाने का निर्णय लिया है. सरकार करीब 4 किलोमीटर लंबा शिनकुना ला टनल बनवाएगी और इसका निर्माण दिसंबर 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य है.


कुल मिलाकर, चीनी सीमा पर अब चीन को हर जगह भारतीय सुरक्षाबलों की मजबूत मौजूदगी दिखेगी. इसका मकसद सिर्फ एक है, चीन को उसी की भाषा में जवाब देना. चीन को बार-बार ये एहसास दिलाना जरूरी है कि ये 1962 का भारत नहीं है, बल्कि 2023 का भारत है, जो संप्रभुता को चुनौती देने वालों को उसी की भाषा में जवाब देता है.


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