नई दिल्ली: प्रधानमंत्री मोदी इस हफ्ते के अंत में मंत्रिमंडल का विस्तार कर सकते हैं. मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि 27 या 28 अगस्त को मोदी कैबिनेट का विस्तार हो सकता है. कहा जा रहा है कि मुज़फ्फरनगर रेल हादसा और ओरैया रेल हादसे के बाद इस्तीफे की पेशकश करने वाले रेल मंत्री सुरेश प्रभु को भी उसी दिन पद मुक्त किया जा सकता है. सुरेश प्रभु द्वारा इस्तीफे की पेशकश किए जाने पर पीएम नरेंद्र मोदी ने उन्हें इंतजार करने के लिए कहा है. सूत्रों के मुताबिक सुरेश प्रभु का रेल मंत्री पद से इस्तीफा स्वीकार कर उन्हें कोई दूसरी जिम्मेदारी भी दी जा सकती है.


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प्रभु का इस्तीफा स्वीकार करना विरोधियों को हमले का हथियार थमा सकता है. अगर ऐसा होता है तो रेल मंत्री की जिम्मेदारी किसे दी जाएगी? कहा जा रहा है कि इसके लिए दो नाम सबसे आगे हैं. पहला नाम है मनोज सिन्हा का जो इस वक्त रेल राज्य मंत्री हैं. दूसरा नाम है कद्दावर मंत्री नितिन गडकरी का जिनके ऊपर सड़क एवं परिवहन मंत्रालय का जिम्मा है. वह अपना काम बखूबी से अंजाम भी दे रहे हैं. 


रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने अपने इस्तीफे की पेशकश की


बता दें कि लगातार हो रहे रेल हादसों के बाद रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने हादसों की नैतिक जिम्मेदारी ली है. ओरैया रेल हादसे के बाद इससे आहत प्रभु प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मिलने पहुंचे. उन्होंने अपने इस्तीफे की पेशकश की. मुलाकात के बाद प्रभु ने बताया कि पीएम ने उन्हें इंतजार करने को कहा. प्रभु ने ट्वीट कर कहा कि वह इन हादसों के बाद बहुत आहत हैं.


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इसके अलावा परफॉर्मेंस के आधार पर कुछ मंत्रियों की छुट्टी भी हो सकती है. ऐसे ही किसी मंत्रालय में प्रभु को भेजा जा सकता है.इतना ही नहीं इस बार के कैबिनेट विस्तार में जेडीयू और AIADMK कोटे से भी कुछ लोगों को शामिल किया जा सकता है.


रक्षा मंत्री को लेकर भी फैसला किया जा सकता है


माना जा रहा है कि इस बार के कैबिनेट विस्तार में फुल टाइम रक्षा मंत्री को लेकर भी फैसला किया जा सकता है. बता दें कि पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने अपना पद छोड़कर गोवा के मुख्यमंत्री का पद संभाल लिया है. जिसके बाद से रक्षा मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार वित्त मंत्री अरुण जेटली के पास है.


कैबिनेट विस्तार में कुछ नए मंत्री शामिल होंगे और कुछ के विभाग में फेरबदल की संभावना है. इसी दौरान सुरेश प्रभु का इस्तीफा स्वीकार कर उन्हें नई जिम्मेदारी दी जा सकती है. वेंकैया नायडू और मनोहर पर्रिकर के जाने के बाद शहरी विकास मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय में फुलटाइम मंत्री नहीं हैं. ऐसे में प्रभु को इनमें से कोई एक जिम्मेदारी मिल सकती है.


जानकार बताते हैं इस बार के फेरबदल में पीएम मोदी 2019 के लोकसभा चुनाव और आगामी विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखकर बदलाव करेंगे.कहा जा रहा है कि कुछ मंत्रियों को संगठन के काम में लगाया जा सकता है, वहीं संगठन से कम से कम दो पदाधिकारियों को सरकार में शामिल किया जा सकता है. 


लोकसभा चुनाव से पहले यह आखिरी फेरबदल हो सकता है


अगले लोकसभा चुनाव से पहले यह आखिरी फेरबदल हो सकता है. केंद्र सरकार में लगभग आधा दर्जन प्रमुख मंत्रालय दूसरे मंत्रियों के पास अतिरिक्त रूप से हैं. वित्त मंत्री अरुण जेटली के पास रक्षा, स्मृति ईरानी के पास सूचना प्रसारण, डा हर्षवर्धन के पास पर्यावरण व वन, नरेंद्र सिंह तोमर के पास शहरी विकास की अतिरिक्त जिम्मदारी है. चीन के साथ सीमा विवाद व तनातनी के बीच नए रक्षा मंत्री की नियुक्ति की जा सकती है.


विस्तार में उत्तर प्रदेश व बिहार से आने वाले कुछ मंत्रियों को सरकार से हटाया जा सकता है. जल संसाधन राज्यमंत्री संजीव बालियान के नाम उत्तर प्रदेश के नए अध्यक्ष के लिए भी चर्चा में है. बिहार के सांसद आर के सिंह को नई जिम्मेदारी मिल सकती है. वेंकैया नायडू के उप राष्ट्रपति बनने के बाद दक्षिण भारत से किसी बड़े नेता को सरकार में शामिल किया जा सकता है.विस्तार में जद (यू) से दो मंत्री शामिल किए जाने की संभावना है.