साथ बैठे नजर आए मोहन भागवत और मुलायम सिंह, यूपी में बढ़ा सियासी पारा
2019 के लोक सभा चुनाव से पहले संसद में दिया मुलायम सिंह यादव का वह बयान सभी को याद होगा, जिसमें उन्होंने कहा था कि नरेंद्र मोदी फिर से देश के प्रधानमंत्री बनें. इस बयान को लेकर देश में सियासी उबाल आ गया था.
नई दिल्ली: 2019 के लोक सभा चुनाव से पहले संसद में दिया मुलायम सिंह यादव का वह बयान सभी को याद होगा, जिसमें उन्होंने कहा था कि नरेंद्र मोदी फिर से देश के प्रधानमंत्री बनें. इस बयान को लेकर देश में सियासी उबाल आ गया था. अब ऐसा कोई बयान तो नहीं लेकिन 2022 के यूपी चुनाव से पहले एक तस्वीर जरूर सामने आई है जिसे देखकर कई तरह की सियासी अटकलें लगना शुरू हो गई हैं.
एक तस्वीर से बढ़ा सियासी पारा
बढ़ती सर्दी में इस तस्वीर ने यूपी की सियासत में गर्मी बढ़ा दी है. ये तस्वीर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और समाजवादी पार्टी के संरक्षक और पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की है. उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू की पोती की शादी के कार्यक्रम में दोनों नेता एक ही सोफे पर बैठे नजर आ रहे हैं. इस फोटो के सार्वजनिक होने के बाद सियासत गर्माना लाजमी है.
यूपी कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी को घेरते हुए ट्वीट किया, 'नई सपा में 'स' का मतलब 'संघवाद' है? जवाब में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव ने कहा कि जो लोग शिष्टाचार नहीं जानते, भारतीय संस्कृति नहीं जानते. वो इसके मायने निकालते रहें. यूपी बीजेपी ने ट्वीट किया कि तस्वीर कुछ बोलती है तो समाजवादी पार्टी ने जवाब में अखिलेश यादव की रथयात्रा की तस्वीरों को ट्वीट कर लिखा कि तस्वीर कुछ बोलती है और ये राज खोलती है कि कोई बताने आये थे, अनुपयोगी जाने वाले हैं और साइकिलवाले आनेवाले हैं.
भागवत-मुलायम की मुलाकात के मायने?
साफ है कि लड़ाई सिर्फ वोट की है. चुनाव से पहले हर पार्टी वोटरों को अपने-अपने अंदाज में संकेत दे रही है. लेकिन सवाल तो ये है कि आखिर भागवत और मुलायम सिंह के बीच क्या बातचीत हुई. यह सिर्फ शिष्टाचार मुलाकात ही थी, जैसा बताया जा रहा है या फिर इसमें कोई बड़ा सियासी संदेश छिपा है?
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अब इस तस्वीर ने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के सामने सबसे बड़ी मुश्किल खड़ी कर दी है. एक तरफ उनके पिता और पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव हैं और दूसरी तरह बीजेपी से उनका सियासी बैर. यूपी चुनाव से ठीक पहले सामने आई इस तस्वीर के सियासी मायने सभी अपने हिसाब से और अपने फायदे के लिए जरूर निकाल रहे हैं. लेकिन यह कोई नहीं जानता कि आखिर दोनों के बीच किस मुद्दे पर बातचीत हुई है.
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