Science News in Hindi: ब्रह्मांड की सबसे पुरानी घूमने वाली आकाशगंगा की खोज ने वैज्ञानिकों को हैरान कर दिया है. यह अब तक खोजी गई सबसे दूरस्थ आकाशगंगा है जो ब्रह्मांडीय विकास की समझ को चुनौती देती है. ब्रह्मांड के बेहद शुरुआती दौर में इतनी तेजी से घूमने वाली आकाशगंगा का पाया जाना आश्‍चर्यजनक है. यही नहीं, इस आकाशगंगा की हमारी 'मिल्की वे' जैसी भुजाएं भी हैं जो 'आधुनिक' आकाशगंगाओं में पाई जाती हैं.


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खगोलविदों ने इस आकाशगंगा को REBELS-25 नाम दिया है. इसे बिग बैंग के सिर्फ 700 मिलियन साल बाद देखा गया है. उस दौर में आकाशगंगाओं के बेहद छोटा और अस्त व्यस्त होने का अनुमान लगाया जाता है. हालांकि, अपने नाम को चरितार्थ करते हुए REBELS-25 एकदम अलग है और उस ट्रेंड से बगावत करती दिखती है. यह आकाशगंगा अव्यवस्थित होने के बजाय सुव्यवस्थित है.


बगावती आकाशगंगा की खोज कैसे हुई?


REBELS-25 की खोज Atacama Large Millimeter/submillimeter Array (ALMA) की मदद से की गई. यह उत्तरी चिली के अटाकामा रेगिस्तान में मौजूद 66 रेडियो टेलीस्कोप का समूह है. एक बयान में, नीदरलैंड्स की लीडेन यूनिवर्सिटी में एस्ट्रोनॉमर जैकलीन हॉज ने कहा, 'आकाशगंगा निर्माण के बारे में हमारी समझ के अनुसार, हम उम्मीद करते हैं कि अधिकांश प्रारंभिक आकाशगंगाएं छोटी और अव्यवस्थित दिखाई देंगी.' लेकिन रिबेल्स-25 की खोज, जब ब्रह्मांड अपनी वर्तमान आयु का मात्र 5% था, बेहद हैरान करती है.


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मिल्की वे जैसी आधुनिक आकाशगंगाओं को वर्तमान रूप लेने में अरबों साल लगे हैं. लीडेन यूनिवर्सिटी की ही लूसी रॉलैंड ने कहा, 'हमारी अपनी आकाशगंगा से इतनी समानता रखने वाली एक आकाशगंगा को देखना, जो मजबूती से रोटेशन करती है, हमारी इस समझ को चुनौती देती है कि प्रारंभिक ब्रह्मांड की आकाशगंगाएं कितनी जल्दी आज के ब्रह्मांड की व्यवस्थित आकाशगंगाओं में विकसित हुईं.'


अपनी रिसर्च में लूसी और उनकी टीम ने पाया कि REBELS-25 में मौजूद गैस पृथ्वी की ओर और उससे दूर, दोनों ओर जा रही है. ऐसा ब्लूशिफ्ट और रेडशिफ्ट नामक घटना के कारण संभव हुआ. हमारे तरफ बढ़ रहे प्रकाश स्रोत को 'ब्लूशिफ्ट' कहते हैं, जबकि दूर जाने वाले प्रकाश स्रोत को 'रेडशिफ्ट' कहा जाता है.


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नई स्टडी इस बात की पुष्टि करती है कि REBELS-25 एक रिकार्ड तोड़ने वाली आकाशगंगा है. यह अब तक देखी गई सबसे प्राचीन, सबसे दूर स्थित, सबसे तीव्र घूर्णन करने वाली आकाशगंगा है. लूसी और उनकी टीम की रिसर्च के नतीजे Monthly Notices of the Royal Astronomical Society में छपे हैं.


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