MP Politics: मध्य प्रदेश में दो विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव होने वाले हैं. भारतीय जनता पार्टी दोनों स्थानों के लिए उम्मीदवार घोषित कर चुकी है मगर पार्टी के लिए अब अपने ही चुनौती बनने लगे हैं. बुधनी विधानसभा क्षेत्र में तो पार्टी के उम्मीदवार रमाकांत भार्गव का विरोध भी शुरू हो गया है. राज्य की दो विधानसभा क्षेत्र सीहोर जिले की बुधनी और श्योपुर जिले की विजयपुर सीट पर 13 नवंबर को मतदान होना है. भाजपा ने बुधनी विधानसभा क्षेत्र के लिए रमाकांत भार्गव और विजयपुर के लिए वन मंत्री रामनिवास रावत को उम्मीदवार बनाया है. लेकिन दोनों ही प्रत्‍याशियों का विरोध हो रहा है.


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बुधनी
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के विदिशा लोकसभा सीट से निर्वाचित होने के बाद बुधनी विधानसभा सीट से इस्तीफा देने के कारण उपचुनाव हो रहा है. केंद्रीय कृषि मंत्री चौहान ने 2006 में मुख्यमंत्री बनने के बाद लगातार पांच बार और 1990 में एक बार बुधनी का प्रतिनिधित्व किया. बुधनी विधानसभा क्षेत्र विदिशा लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है. बीजेपी ने उपचुनाव के लिए पूर्व सांसद रमांकात भार्गव को टिकट दिया है. भाजपा हलकों में भार्गव को चौहान का करीबी माना जाता है. बुधनी विधानसभा क्षेत्र के शाहगंज निवासी भार्गव ने 2019 से 2024 के बीच विदिशा लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व किया था. इस सीट पर बीजेपी को अंदरखाने से बगावत देखने को मिल रही है.


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दरअसल बीजेपी के पूर्व विधायक राजेंद्र सिंह ने बुधनी सीट पर अपनी दावेदारी ठोक दी है. उनका कहना है कि रमाकांत भार्गव के बजाय उनको विधानसभा सीट से मैदान में उतारा जाए अन्‍यथा वो अपने समर्थकों के साथ चुनाव में नोटा विकल्‍प पर बटन दबा देंगे. राजेंद्र सिंह 2003 में सीहोर जिले की बुधनी सीट से विधायक चुने गए थे लेकिन उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री चौहान के राज्य विधानसभा में जाने के वास्ते मार्ग प्रशस्त करने के लिए 2005 में इस्तीफा दे दिया था. उस समय चौहान विदिशा लोकसभा सीट से सांसद थे.


मंगलवार को राजेंद्र सिंह ने भैरुंदा कस्बे में अपने समर्थकों के साथ बैठक की जिसमें भार्गव की जगह उन्हें मैदान में उतारने की मांग उठाई गई. सिंह के समर्थकों ने नारे भी लगाए कि अगर उम्मीदवार नहीं बदला गया तो वे ‘उपरोक्त में से कोई नहीं’ (नोटा) का विकल्प चुनेंगे. राजेंद्र सिंह ने कहा कि वह पार्टी कार्यकर्ताओं की मांग पर बैठक में आए हैं. उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैं पार्टी कार्यकर्ताओं को शांत करने के लिए आया हूं. मैं पार्टी का समर्पित कार्यकर्ता हूं. मैं 70 साल का हूं और अपनी छवि खराब नहीं करना चाहता. मैं तभी चुनाव लड़ूंगा जब पार्टी उम्मीदवार बदलकर ऐसा करने के लिए कहेगी. मैं पार्टी के निर्देशों का पालन करूंगा.’'


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बैठक स्थल पर पूर्व मंत्री रामपाल सिंह भी पहुंचे और राजेंद्र सिंह के समर्थकों ने उनके सामने यह मांग रखी. रामपाल सिंह पूर्व विधायक के समर्थकों से अकेले में बात करने की बात कहते सुने गए, लेकिन समर्थक बुधनी सीट से उम्मीदवार बदलने की मांग को खुलकर बोलते दिखे. बाद में रामपाल सिंह ने संवाददाताओं से कहा कि वह पार्टी कार्यकर्ताओं की बात वरिष्ठ नेताओं तक पहुंचाएंगे. 


इससे पहले केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के निवास पर उम्मीदवार रमाकांत भार्गव सहित बुधनी क्षेत्र के नेताओं की बैठक बुलाई गई. इस बैठक में भी राजपूत नहीं पहुंचे थे. कुल मिलाकर राजपूत और उनके समर्थकों के तेवर आक्रामक हैं और यही स्थिति पार्टी के लिए चिंता का विषय बनी हुई है. बुधनी में विपक्षी कांग्रेस ने भार्गव के खिलाफ पूर्व मंत्री राजकुमार पटेल को मैदान में उतारा है. 


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विजयपुर
दूसरी और कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए रामनिवास रावत को पार्टी ने विजयपुर से उम्मीदवार बनाया है. रावत के खिलाफ भी पार्टी के कई नेता हैं और वे चुनाव प्रचार करने को तैयार नहीं हैं. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राज्य में भाजपा की सरकार है और उपचुनाव ज्यादा मुश्किल भरे नहीं होते हैं, फिर भी पार्टी के भीतर असंतोष और विरोध मुसीबत तो खड़ा कर ही सकता है. बुधनी में जातीय समीकरण भाजपा के लिए चुनौती बन सकता है तो वहीं विजयपुर में कभी भाजपा में रहे मुकेश मल्होत्रा मुसीबत बन सकते हैं. आदिवासी मतदाताओं की संख्या को देखते हुए कांग्रेस ने उन्हें उम्मीदवार बनाया है. कुल मिलाकर दोनों उपचुनाव रोचक होने की संभावना को नकारा नहीं जा सकता.


(इनपुट: एजेंसियां)