Indian Rebellion of 1857: मुगलों (Mughals) ने कई सौ साल तक भारत में राज किया. तमाम युद्ध जीते और दुश्मन को संधि करने के लिए मजबूर कर दिया. लेकिन मुगलों में एक बादशाह (Emperor) ऐसा भी था, जिसे अंग्रेजों की तरफ दी जा रही पेंशन पर पलना पड़ा. उसको भारत में दफ्न होने के लिए 2 गज जमीन तक नहीं मिली. और तो और उसके तीन बेटों का कत्ल उसकी आंखों के सामने कर दिया गया, लेकिन वह कुछ ना कर सका. इसके बाद उसको भारत से निर्वासित कर दिया गया था. मरते दम तक वह कभी भारत नहीं लौट सका. उसकी ये चाहत अधूरी रह गई. ये मुगल बादशाह एक शायर भी था. उनकी ये शायरी 'कितना है बद-नसीब जफर दफ्न के लिए, दो गज जमीन भी न मिली कू-ए-यार में' उनके दर्द को बयां करती है. आइए इस मुगल बादशाह के बारे में जानते हैं.


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बादशाह के सामने उसके बेटों की हत्या


बता दें कि बदनसीब कहा जाने वाला ये शख्स मुगलों का आखिरी बादशाह बहादुर शाह जफर था. 1857 की क्रांति को रोकने के बाद अंग्रेजों ने बहादुर शाह जफर और उनके बेटों को गिरफ्तार कर लिया था. इसके बाद बहादुर शाह जफर के सामने ही उनके तीन बेटों को गोली मार दी गई. बहादुर शाह जफर की उम्र तब 80 को पार कर चुकी है. बुढ़ापे में उनको अपने ही बेटों की हत्या देखनी पड़ी थी.


नहीं पूरी हो पाई मुगल बादशाह की आखिरी इच्छा


बहादुर शाह जफर के बेटों की हत्या के बाद अंग्रेजों ने उनको भारत से निर्वासित कर दिया था. बहादुर शाह जफर को अंग्रेजों ने रंगून भेज दिया था. वहां, उनको हर वक्त डर रहता था कि कहीं उन्हें कोई मार ना दे. बहादुर शाह जफर की आखिरी इच्छा थी कि मौत के बाद उनको दिल्ली के महरौली में दफ्न किया जाए. लेकिन उनकी ये आखिरी इच्छा पूरी नहीं हो पाई.


जफर को चुकानी पड़ी बड़ी कीमत


दरअसल, आखिरी मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर से 1857 में विद्रोहियों ने क्रांति का नेतृत्व करने के लिए कहा था और फिर उनको अपना राजा घोषित कर दिया था. लेकिन क्रांति कामयाब नहीं हो पाई और इसकी बड़ी कीमत बहादुर शाह जफर को चुकानी पड़ी.


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