Nagaland Assembly Elections: नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले जनता दल युनाइटेड (जेडीयू) इस समय अंदरुनी कलह के दौर से गुजर रही है. बिहार में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और आरजेडी के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है. वहीं, नागालैंड विधानसभा चुनाव (Nagaland Assembly Election) से पहले पार्टी को यहां भी बड़ा झटका लगा है. नीतीश कुमार की पार्टी ने नागालैंड चुनाव में कितोहो एस रोतोका को अपनी पार्टी का उम्मीदवार बनाया था, लेकिन रोतोका ने जेडीयू को झटका देते हुए पार्टी से इस्तीफा दे दिया और उन्होंने चिराग पासवान (Chirag paswan) की लक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) का दामन थाम लिया.


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जेडीयू ने कितोहो एस रोतोका को नागालैंड के 'घासपानी टू' विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया था. लेकिन उन्होंने पार्टी का दामन छोड़ दिया है. रोतोका सुबह जेडीयू में और शाम होते-होते एलजेपीआर में शामिल हो गए. रोतोका के साथ बड़ी संख्या में वहां के स्थानीय नेता जेडीयू छोड़कर एलजेपीआर में शामिल हो गए.


रोतोका ने क्यों छोड़ी जेडीयू?


रोतोका ने पार्टी छोड़ने को लेकर कहा कि जेडीयू के महासचिव इम्सुमोंगबा पोंगेन ने गुरुवार को प्रदेश के पार्टी नेताओं की बैठक बुलाई थी. ये एक आपात बैठक थी, जिसमें रोतोका के पार्टी छोड़ने और उनके इस्तीफे पर फैसला हुआ. इस दौरान उन्होंने नागालैंड जेडीयू अध्यक्ष लोथा के काम करने के तरीके पर सवाल खड़े किए और कहा कि उन्हें जेडीयू अध्यक्ष लोथा पर बिलकुल विश्वास नहीं है.


इस पूरे मामले जेडीयू की तरफ से कहा गया कि रोतोका को पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त पाए जाने की वजह से जेडीयू से निष्कासित कर दिया गया है. जेडीयू के राष्ट्रीय महासचिव अफाक अहमद खान ने कहा कि गुरुवार को बुलाई गई बैठक कोई आधिकारिक बैठक नहीं थी क्योंकि उसे महासचिव पोंगेन की अध्यक्षता में नहीं बुलाई गई थी. नागालैंड मे पोंगेन जेडीयू के प्रमुख नेता माने जाते हैं.


खान ने कहा कि जेडीयू के राष्ट्रीय दफ्तर में रोतोका के साथ आने वाले दूसरे कार्यकर्ताओं को अधिकार नहीं था. इसलिए उन सभी कार्यकर्ताओं की नियुक्तियां भी अमान्य हो जाती हैं. बताया जाता है कि ये सभी वही नेता हैं जो रोतोका के साथ एलजेपीआर में शामिल हुए हैं. रोतोका ने मीडिया से बातचीत में कहा कि जेडीयू छोड़ने की वजह से वो काफी दुखी हैं. उन्होंने कहा कि पार्टी के अंदर कुछ ऐसी चीजें हो गई थी जिसकी वजह से उन्हें ये फैसला लेना पड़ा. इस दौरान उन्होंने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पर तानाशाही रवैया अपनाने का आरोप लगाया.


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