LIVE: महंत नरेंद्र गिरि के शव का पोस्टमार्टम जारी, 12 बजे दी जाएगी भू समाधि
महंत नरेंद्र गिरि के मौत मामले में आनंद गिरि और आद्या तिवारी को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. आज दोपहर दो बजे आरोपियों को कोर्ट में पेश किया जाएगा.
नई दिल्ली: अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की मौत को लेकर जांच चल रही है. महंत नरेंद्र गिरि के शव का पोस्टमॉर्टम जारी है. पांच डॉक्टरों की टीम पोस्टमार्टम कर रही है. जानकारी के मुताबिक MLN मेडिकल कॉलेज के दो डॉक्टर, जिला अस्पताल के दो और सीएमओ ऑफिस से अटैच एक डॉक्टर पोस्टमार्टम कर रहे हैं. आज दोहपर 12 बजे महंत नरेंद्र गिरि की भू समाधि होगी और आज ही उनके उत्तराधिकारी का चुनाव होगा.
बता दें कि महंत नरेंद्र गिरि के मौत मामले की जांच के लिए 18 सदस्यों की SIT का गठन किया गया है. अब तक इस मामले में आनंद गिरि और आद्या तिवारी की गिरफ्तारी हो चुकी है. आज दोपहर दो बजे आरोपियों की कोर्ट में पेशी होगी.
ब्लैकमेलिंग ने ली महंत नरेंद्र गिरि की जान?
महंत नरेंद्र गिरि के परिजन, उनके शुभचिंतक संत समाज उनकी मौत की सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं. लेकिन फिलहाल महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध मौत की जांच के मामले में SIT का गठन किया गया है. प्रयागराज के सीओ अजीत चौहान के नेतृत्व में 18 सदस्यीय टीम पूरे मामले की जांच करेगी. और उस वीडियो की भी पड़ताल होगी, जो महंत नरेंद्र गिरि की मौत के बाद से सुर्खियों में है. कहा जा रहा है कि इस वीडियो का ब्लैकमेलिंग कनेक्शन भी हो सकता है.
12 पन्नों के सुसाइड नोट में क्या लिखा है?
भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की मौत के मामले में लगातार बड़े खुलासे हो रहे हैं. जी मीडिया के पास 12 पन्नों का वो सुसाइड नोट है, जो महंत नरेंद्र गिरि के शव के पास मिला था.
दो लिफाफो में मिले इस सुसाइड नोट में महंत नरेंद्र गिरि ने अपनी मौत के लिए तीन लोगों को जिम्मेदार बताया है. ये तीन लोग हैं, उनके शिष्य महंत आनंद गिरी, प्रयागराज के बड़े हनुमान मंदिर के मुख्य पुजारी आद्या तिवारी और उनका पुत्र संदीप तिवारी. यूपी पुलिस महंत आनंद गिरि और पुजारी आद्या तिवारी को गिरफ्तार कर चुकी है और संदीप तिवारी को भी हिरासत में ले लिया गया है.
इस सुसाइड नोट के कुछ पन्नों पर 13 सितंबर 2021 की तारीख लिखी थी, जिसे काट कर, 20 सितंबर 2021 किया गया है. इसमें लिखा है कि महंत नरेंद्र गिरि ने 13 सितंबर को आत्महत्या करने की कोशिश की थी, लेकिन तब वो इसके लिए हिम्मत नहीं जुटा पाए. अगर ये दावा सही है तो इस हिसाब से महंत नरेंद्र गिरि ने ये नोट 13 सितंबर को ही लिख लिया था. लेकिन इसी नोट के कुछ पन्ने ऐसे हैं, जिन पर तारीख को पेन से काटा नहीं गया है और ये तारीख 20 सितंबर है. इसलिए ये कहना मुश्किल है कि ये नोट एक ही तारीख को लिखे गए, या अलग-अलग तारीख पर लिखे गए.
इस सुसाइड नोट में महंत आनंद गिरी के नाम का जिक्र 14 बार किया गया है, जो कि सबसे ज्यादा है. इसमें लिखा है कि महंत नरेंद्र गिरि को हरिद्वार से ये सूचना मिली थी कि आनंद गिरि ने कम्प्यूटर के माध्यम से उनकी तस्वीरों को एडिट करके वायरल कर दिया है और वो उन्हें ब्लैकमेल भी कर रहे हैं.
इसी नोट में आगे लिखा है कि मठ के दान और सम्पत्ति में हेराफेरी के झूठे और मनगढ़ंत आरोप लगा कर आनंद गिरि, आद्या तिवारी और उनके पुत्र संदीप तिवारी ने महंत नरेंद्र गिरि की बदनामी की, जिससे वो डरे हुए थे.
सुसाइड नोट में लिखा गया है कि सोशल मीडिया और समाचार पत्रों में उनपर उनके परिवार से संबंध रखने के जो आरोप लगाए गए, वो भी गलत थे और उन्होंने मंदिर और मठ के दान का गलत इस्तेमाल नहीं किया. इसमें कहा गया है कि 2004 में बाघम्बरी गद्दी के महंत बनने से पहले और फिर बाद में उन्होंने सारा पैसा मंदिर और मठ के विकास पर खर्च किया.
इसमें ये भी लिखा है कि महंत नरेंद्र गिरि इन आरोपों से आहत थे और मानसिक दबाव में थे. उन्होंने अपनी आत्महत्या के लिए आनंद गिरि, आद्या तिवारी और उनके पुत्र संदीप तिवारी को दोषी बताया है और पुलिस से उन्हें सजा देने की भी मांग की है.
सुसाइड नोट में ये भी अनुरोध किया है कि उनके बाद महंत बलवीर गिरि को बाघम्बरी मठ का उत्तराधिकारी बनाया जाए और धनंजय नाम का उनका शिष्य उनके कमरे की चाभी बिना किसी विरोध के महंत बलवीर गिरि को सौंप दी जाए.
इसके अलावा इस सुसाइड नोट में ये भी लिखा है कि आदित्य मिश्रा और शैलेंद्र सिंह नाम के रियल एस्टेट कारोबारियों से उन्हें 25-25 लाख रुपये लेने हैं और बड़े हनुमान मंदिर में सुमित तिवारी और मनीष शुक्ला नाम के दो लोगों को दुकानें दी गई हैं.
हालांकि इस सुसाइड नोट के सामने आने के बाद महंत नरेंद्र गिरि को करीब से जानने वाले उनके शिष्यों और संतों ने बड़ा दावा किया है. उनका कहना है कि महंत नरेंद्र गिरी कभी भी लिखने पढ़ने का काम खुद नहीं करते थे.
बाघम्बरी मठ और प्रयागराज में उनके कई शिष्य ये भी कहते हैं कि महंत नरेंद्र गिरि ने अपने जीवन में कभी एक लाइन नहीं लिखी. इसलिए अब ये भी सवाल उठ रहा है कि जब उन्होंने कभी कुछ नहीं लिखा तो फिर 12 पन्नों का ये सुसाइड नोट कहां से आया?