Sharad Pawar and Ajit Pawar meeting: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) में चल रही गुटबाजी को लेकर आज का दिन बेहद अहम है. महाराष्ट्र में दो खेमों में बंटी एनसीपी के संस्थापक शरद पवार (Sharad Pawar) और डिप्टी सीएम बने उनके ही भतीजे अजित पवार (Ajit Pawar) के गुटों ने आज अलग-अलग बैठकें बुलाई हैं. शरद पवार ने पार्टी के सभी प्रतिनिधियों को दोपहर एक बजे बैठक में शामिल होने के लिए कहा है. वहीं अजित पवार ने NCP के सभी सांसदों, विधायकों और MLC, जिला प्रमुख और दूसरे सदस्यों को बैठक में शामिल होने को कहा गया है. अजित पवार खेमे की बैठक सुबह 11 बजे होगी. वहीं, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने भी आज शाम 7 बजे पार्टी विधायकों और सांसदों की मीटिंग बुलाई है.


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बैठक के बाद तय होगा किसमें कितना है दम?


शरद पवार (Sharad Pawar) और अजित पवार (Ajit Pawar) की आज होने वाली बैठक के साथ ही यह साफ हो जाएगा कि किसमें कितना दम है. अजित पवार ने दावा किया था कि उनके पास 42 विधायकों का समर्थन है और पार्टी के नाम पर और सिंबल पर अपना दावा करेंगे. वहीं शरद पवार ने कहा था कि वो पार्टी को दोबारा से खड़ा करेंगे.


महाराष्ट्र में अजित पवार (Ajit Pawar) के शिंदे सरकार (Shinde Govt) में शामिल होने और डिप्टी सीएम बनने के बाद उनके समर्थन करने वाले विधायकों की सटीक संख्या को लेकर कन्फ्यूजन बना हुआ है, जिसको लेकर आज तस्वीर साफ हो सकती है. शरद पवार (Sharad Pawar) के नेतृत्व वाली NCP के खेमे में कितने विधायक है, आज यह भी पता चल जाएगा. शरद पवार ने आज दोपहर 1 बजे दक्षिण मुंबई के वाईबी चव्हाण सेंटर पर विधायकों, सांसदों और पार्टी पदाधिकारियों की बैठक बुलाई है, जबकि अजित पवार का गुट सुबह 11 बजे बांद्रा में मौजूद मुंबई एजुकेशन ट्रस्ट में बैठक करेगा.


8 विधायकों के साथ अजित पवार ने ली थी शपथ


एक जुलाई को अजित पवार (Ajit Pawar) के साथ आठ NCP विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली थी. उस वक्त दावा किया गया था कि 40 विधायक अजित पवार का समर्थन कर रहे हैं, जबकि मंगलवार को भी अजित पवार गुट ने 40 से ज्यादा विधायकों के समर्थन का दावा किया है. इस बीच शरद पवार खेमे के जितेंद्र आव्हाड ने अजित पवार पर निशाना साधते हुए कहा है कि जिस पद पर अजित पवार ने हाथ रखा वो उन्हें दिया गया, इस बात से वे भी इंकार नहीं कर सकते.


अजित पवार खेमे के अमोल कोल्हे ने किया शरद पवार का समर्थन


दूसरी तरफ एनसीपी सांसद अमोल कोल्हे (Amol Kolhe) ने शरद पवार (Sharad Pawar) से मिलकर सांसद पद से इस्तीफा देने की इच्छा जाहिर की है. दरअसल, अमोल कोल्हे अजित पवार खेमे में शामिल हुए थे, लेकिन बाद में ट्वीट कर वापस शरद पवार के पास चले आए थे. अमोल कोल्हे ने एक चिट्ठी लिखकर शरद पवार को मौजूदा राजनीतिक माहौल को देखते हुए इस्तीफा देने की बात कही है.


चाचा-भतीजे का शक्ति प्रदर्शन


इससे पहले मंगलवार को भी दिन भर बैठकों का दौर चलता रहा. मगर, चाचा-भतीजे की लड़ाई में असली विजेता कौन बनता है, ये आज की मीटिंग के बाद ही पता चल पाएगा, क्योंकि सही मायने में आज महाराष्ट्र की सियासत का असली शक्ति परीक्षण होगा, जिसमें पवार फैमिली के दोनों दिग्गज अपनी पावर टेस्ट करेंगे. इस बैठक में ही ये साफ होगा कि एनसीपी का कौन सा नेता किस गुट के साथ है.


सीएम शिंदे ने भी बुलाई विधायकों-सांसदों की बैठक


आज की मीटिंग के लिए एक तरफ एनसीपी के दोनों गुट एक्टिव दिखे तो दूसरी तरफ शिवसेना से अलग होकर महाराष्ट्र में सरकार बना चुका शिंदे गुट भी मंगलवार को फुल एक्शन में रहा. सूत्रों के मुताबिक, सीएम एकनाथ शिंदे ने अपने कुछ विधायकों को बीती रात खास बातचीत के लिए बुलाया था और आज शाम 7 बजे पार्टी विधायकों और सांसदों की बैठक भी बुलाई है.


5 पाइंट में समझें NCP बनाम NCP का क्या होगा नतीजा


1. दो जुलाई को 8 विधायकों के साथ शपथ लेने के बाद अजित पवार और बागियों को शरद पवार ने NCP से निकाल दिया था. इसके बाद अजित पवार ने NCP पर ही दावा ठोंक दिया. अजित पवार ने मंगलवार को मुंबई में मंत्रालय के सामने अपने नए पार्टी दफ्तर का ऐलान कर दिया. अभी दोनों गुटों की संख्या पर असमंजस बरकरार है.


2. अजित पवार ने सभी NCP सांसदों, विधायकों, विधानसभा परिषद के सदस्यों, पार्टी पदाधिकारियों और नेताओं के साथ बांद्रा में बैठक की.


3. अजित पवार के पास दल-बदल विरोधी कानून की कार्रवाई से बचने के लिए दो-तिहाई बहुमत होना जरूरी है. अगर उनके पास पर्याप्त नंबर हैं तो वह पार्टी के नाम और प्रतीक पर दावा कर सकते हैं.


4. आज NCP के दोनों गुटों के अलावा उद्धव ठाकरे गुट और कांग्रेस ने भी बैठकें बुलाई हैं. इसमें NCP संकट को लेकर आगे की दिशा तय होनी है. संजय राउत ने कहा है कि शरद पवार अकेले नहीं पड़े हैं, हम उनके साथ हैं.


5. NCP के कुल 53 विधायक हैं, यदि 37 से ज्यादा विधायक अजित पवार के साथ जाते हैं तो वे दल-बदल कानून से बच सकते हैं.