Delhi-NCR में घर बनाना पड़ सकता है महंगा, ढूंढे से भी नहीं मिलेंगी ईंटे!
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने दिल्ली-NCR के प्रदूषण को कंट्रोल करने के लिए ईंट भट्टों के संचालन पर सशर्त रोक लगा दी है. अधिकारियों का कहना है कि क्लीन एनर्जी के इस्तेमाल के बाद ही ईंट भट्टों के संचालन की अनुमति दी जाएगी. वहीं जानकारों ने इस आदेश के चलते ईंटों के दाम बढ़ने और किल्लत होने की आशंका जताई है.
नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली और एनसीआर (Delhi-NCR) के इलाकों में घर बनाना महंगा होने वाला है. राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने गुरुवार को आदेश जारी कर कोयले का इस्तेमाल करने वाले ईंट भट्टों (Brick Kilns) को चलाने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है.
भट्टों द्वारा बेहतर ‘जिग-जैग’ टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किए जाने के बावजूद एनजीटी ने ये आदेश गंभीर वायु प्रदूषण (Air Pollution) की स्थिति के मद्देनजर दिया है. NGT का कहना है कि जब तक ईंट भट्टों को चलाने के लिए क्लीन एनर्जी यानी (PNG) का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा, तब तक एनसीआर में लिमिटेड संख्या से अधिक ईंट भट्टों को चलाने की अनुमति नहीं दी जाएगी.
इन नियमों का करना होगा पालन
एनजीटी अध्यक्ष आदर्श कुमार गोयल (Adarsh Kumar Goyal) की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, ‘जो ईंट भट्टे PNG का इस्तेमाल करेंगे वे मार्च और जून के बाद भी और लिमिटेड संख्या के अधिक होने पर ऑपरेशन क्वालिफिकेशन रखेंगे. हालांकि, यह विषय कानून के अनुपालन पर निर्भर करेगा. अधिकरण ने कहा कि ईंट भट्टों के लिए 500 मीटर की दूरी संबंधी नियम का अनुपालन करना होगा.
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क्या होती है जिग-जैग तकनीक?
गौरतलब है कि एनजीटी ईंट भट्टों के मालिकों की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें उन्होंने ‘जिग-जैग’ टेक्निक से चलने वाले भट्टों को वायु प्रदूषण (Air Pollution) स्तर सामान्य होने तक चलाने की अनुमति का अनुरोध किया था. बताते चलें कि ‘जिग-जैग’ टेक्निक में ईंट-भट्टों में गर्म हवा घुमावदार रास्ते से गुजरती है, जिससे हवा एवं ईंधन का अच्छे से मिश्रण होता है और पूरी तरह से कंबस्टन होता है. इससे कोयले की खपत 20 प्रतिशत तक कम हो जाती है.
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