Nidhivan History: कृष्ण की धरती कहा जाने वाला वृंदावन धाम अपने आप में बड़ा ही सुंदर है. यहां पर कई प्रकार के रहस्य छिपे हुए हैं. इन रहस्य के बारे में जानकर आप भी काफी हैरान हो जाएंगे. आज भी वृंदावन में श्री कृष्ण की छवि देखने को मिलती है. कृष्ण के भक्त बड़ी संख्या में हर रोज वृंदावन आते हैं. वृंदावन का इतिहास जानकर आप भी काफी प्रभावित होंगे, क्योंकि यहां पर श्री कृष्ण का बचपन बीता है और श्रीकृष्ण से जुड़ी तमाम यादें यहां आज भी लोग संजोए हुए हैं. आज हम आपको वृंदावन के निधिवन के बारे में बताएंगे, जहां पर आज भी श्री कृष्ण रासलीला करने आते हैं और रासलीला करने के बाद वही सोते हैं. सूरज निकलने से पहले वह चले जाते हैं, लेकिन कोई भी उन्हें देख नहीं पाता है. मंदिर के पट बंद होने के बाद लोगों को खूब नाच गाने की आवाज मंदिर के अंदर से आती है. आज हम इसके पीछे के कई रहे आपको बताएंगे.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

शायर आरती के बाद काेई नहीं रुकता मंदिर में


निधिवन मंदिर में शयन आरती के बाद सभी श्रद्धालुओं को बाहर कर दिया जाता है और इसकी गर्भ गुफा में भगवान के लिए नीम की दातुन, पान का बीड़ा, लड्डू और श्रृंगार का सामान रख दिया जाता है. इसके बाद इस पूरे मंदिर को 7 तालों से बंद कर दिया जाता है, लेकिन जब सुबह पट खोले जाते हैं तो दातुन की हुई, पान चबाया हुआ, लड्डू खाया हुआ और श्रृंगार का सामान बिखरा हुआ मिलता है. मान्यता है कि इस मंदिर को तानसेन के गुरु संत हरिदास ने अपने भजन से राधा कृष्ण के युगल रूप को साक्षात प्रकट किया था. यहां कृष्ण और राधा विहार करने प्रतिदिन आते थे. यहीं पर स्वामी जी की समाधि भी बनी है. रात में यहां कोई नहीं रुकता है. कहते हैं जिसने भी इस रहस्य को देखना चाहा. उसकी दो से तीन दिन के अंदर मौत हो जाती है. कहते हैं कि यदि किसी ने छिप करके रासलीला देखने का प्रयास किया तो वह दूसरे दिन पागल हो जाता है.


यहां के लोगों का कहना है कि इस मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण स्वयं रोज रात में शयन करने आते हैं. उनके सोने के लिए मंदिर के पुजारी रोज पलंग लगाते हैं, लेकिन जब मंदिर खुलता है तो बिस्तर की हालत देखकर सभी अचंभित हो जाते हैं, क्योंकि वह उलझे हुए पड़े होते हैं. मंदिर में रोज माखन मिश्री का भोग लगाया जाता है और वही भोग लोगों को प्रसाद के रूप में दिया जाता है, जो बच जाता है उसे वही रख दिया जाता है. सुबह वह माखन मिश्री साफ मिलता है.


गाेपियां बनकर नाचते है पेड़ पाैधे


इस मंदिर में तुलसी के 2 पौधे एक साथ लगे हैं. रात के समय जब राधा कृष्ण रास रचाते हैं तो यही तुलसी के पौधे गोपियां बनकर उनके साथ नृत्य करती हैं. इस तुलसी का एक भी पत्ता यहां से कोई नहीं ले जा सकता है, जिसने भी ये कार्य किया वह भारी आपदा का शिकार हो जाता है. यहां के पेड़ भी बड़े अजीब है. पेड़ की शाखाएं नीचे की ओर बढ़ती है. कहा जाता है कि रात में ये सभी गोपियां बनकर राधा कृष्ण के साथ नृत्य करती हैं. सुबह होते ही ये पेड़ बन जाते हैं. इन सभी पेड़ों को गोपियां माना जाता है. रात में मंदिर की तरफ भी कोई नहीं देखता है, जिनके घरों में खिड़कियां लगी हैं वह अपनी खिड़कियों को शयन आरती के बाद बंद कर लेते हैं.


हिंदी ख़बरों के लिए भारत की पहली पसंद ZeeHindi.com - सबसे पहले, सबसे आगे