लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव के नतीजों में बीजेपी (BJP) स्पष्ट बहुमत हासिल करने के बाद अपना किला बचा चुकी है. बीते 5 साल में काफी हद तक अपनी ताकत बढ़ा चुकी समाजवादी पार्टी (SP) के साथ बीजेपी का एक और चुनावी घमासान होने जा रहा है. अब बीजेपी की नजर यहां भी सपा का वर्चस्व तोड़ते हुए बहुमत हासिल करने पर लगी है. दरअसल देश के सबसे बड़ी सियासी सूबे यूपी में अब विधान परिषद (UP MLC Election) की 36 सीटों पर चुनाव होने हैं जिसके लिए रणनीति बन रही है. 


दिलचस्प मुकाबले के आसार


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MLC चुनाव के लिए अधिसूचना मंगलवार को जारी होगी. इन चुनावों के लिए वोटिंग 9 अप्रैल को होगी और नतीजे 12 अप्रैल को आएंगे. विधान सभा में बहुमत हासिल करने बाद बीजेपी की नजर अब विधान परिषद में बहुमत के साथ अपना दबदबा बनाने पर है. वहीं सपा विधान परिषद की सीटों को बचाए रखने की तैयारी में है. इस बीच दोनों दलों के हारे दिग्गज भी विधान परिषद की सीढ़ी के सहारे सदन में पहुंचने का सपना सजोए हैं. 


दो चरण में मुकाबला


विधान परिषद चुनाव के पहले चरण में 30 और दूसरे चरण में छह सीटों पर चुनाव है. पहले चरण का नामांकन 15 मार्च से शुरू होकर 19 मार्च तक चलेगा. 21 मार्च को नामांकन पत्रों की जांच होगी जबकि 23 मार्च तक नामांकन वापस लिए जा सकेंगे. वहीं, दूसरे चरण में छह सीटों के लिए नामांकन 15 मार्च से शुरू होंगे और 22 मार्च नामांकन पत्र जमा करने की अंतिम तिथि है. 23 मार्च को नामांकन पत्रों की जांच होगी. 25 मार्च को नामांकन पत्र वापस लिए जाएंगे. दोनों ही चरणों के लिए नौ अप्रैल को मतदान होगा जबकि 12 अप्रैल को नतीजे आएंगे.


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फिलहाल सपा का वर्चस्व


उत्तर प्रदेश विधान परिषद में कुल 100 सदस्य हैं, जिनमें बहुमत के लिए 51 का आंकड़ा चाहिए. उत्तर प्रदेश के विधान परिषद में सपा को बहुमत है. उच्च सदन में सपा की 48 सीटें हैं, जबकि बीजेपी के पास 36 सदस्य हैं. हालांकि, विधान सभा चुनाव के दौरान सपा के 8 MLC बीजेपी में चले गए थे. वहीं, बसपा (BSP) के एक एमएलसी भी बीजेपी में आ गए हैं. ये पहला मौका होगा जब बीजेपी को विधान सभा के उच्च सदन में भी बहुमत मिल सकता है. सौ सीटों वाली विधान परिषद में स्थानीय निकाय क्षेत्रों की 36 सीटों पर 2016 के चुनाव में SP ने 31 सीटें जीती थीं जबकि 2 सीटों पर BSP जीती थी. 


चुने जाएंगे 36 एमएलसी


यूपी में स्थानीय निकाय कोटे की विधान परिषद की 35 सीटें हैं. इसमें एटा-मथुरा-मैनपुरी सीट से 2 विधान परिषद प्रतिनिधि चुने जाते हैं इसलिए 35 सीटों पर 36 सदस्यों का चयन होता है. यूपी में विधान परिषद चुनाव इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि बीजेपी इसमें ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतकर विधान परिषद में भी बहुमत हासिल करना चाहेगी, यानी अब सपा अपनी सीटें बचाने में जुटेगी. ऐसे में एमएलसी चुनाव के जोड़तोड़ का खेल शुरू हो चुका है. 



कौन डालता है वोट?


सूबे के विधान परिषद की स्थानीय निकाय कोटे की 36 सीटों पर होने वाले चुनाव में जिला पंचायत सदस्य, क्षेत्र पंचायत के सदस्य, ग्राम प्रधान, शहरी निकायों, नगर निगम, नगर पालिका व नगर पंचायत के सदस्यों के साथ ही कैंट बोर्ड के निर्वाचित सदस्य भी वोटर होते हैं. इसके अलावा स्थानीय विधायक और स्थानीय सांसद भी वोटर होते हैं. ऐसे में सूबे की सत्ता में रहने वाली पार्टी को एमएलसी चुनाव में फायदा मिलता रहा है. 


ऐसा होता है विधान परिषद का प्रारूप 


यूपी में परिषद की कुल 100 सीटें हैं. जिसमें 36 सीटें स्थानीय निकाय के प्रतिनिधि के द्वारा चुनी जाती हैं. कुल 100 सीटों में से 1/12 यानी 8-8 सीटें शिक्षक और स्नातक क्षेत्र के लिए आरक्षित रहती हैं. 10 विधान परिषद सदस्य को राज्यपाल मनोनीत करते हैं, जो अलग-अलग क्षेत्रों के विशेषज्ञ होते हैं. बाकी बची 38 सीटों पर विधान सभा के विधायक वोट करते हैं और विधान परिषद के विधायक चुने जाते हैं.