नई दिल्ली: यदि आप भी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल (NSA Ajit Doval) को ट्विटर पर फॉलो करते हैं, तो सावधान हो जाएं क्योंकि NSA ट्विटर पर हैं ही नहीं. विदेश मंत्रालय ने खुद इसकी पुष्टि करते हुए कहा है कि अजीत डोभाल का ट्विटर पर कोई आधिकारिक अकाउंट नहीं है. इसका सीधा मतलब है कि NSA के नाम पर सोशल मीडिया साइट पर जो अकाउंट हैं वो फर्जी हैं. लिहाजा, ऐसे एकाउंट्स को फॉलो करने से बचने में भी भलाई है. 


फर्जी अकाउंट पर Followers की बरसात 


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विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची (Arindam Bagchi) ने बताया कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल (Ajit Doval) ट्विटर पर नहीं हैं. वहां पर उनके नाम से जितने भी अकाउंट चल रहे हैं, वो सभी फर्जी हैं. ऐसे में उनके नाम से जुड़े फर्जी खातों से लोगों को बचने की सलाह दी जाती है. बता दें कि ट्विटर पर अजीत डोभाल के नाम से कई अकाउंट मौजूद हैं, जिनमें से कुछ के फॉलोअर्स की संख्या भी अच्छी-खासी है. 


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अपने काम के लिए मिली Doval को पहचान


NSA अजीत डोभाल अपनी कार्यशैली के चलते काफी लोकप्रिय हैं. हालांकि, उन्हें लाइमलाइट में आने का शौक नहीं है. बहुत ही गंभीर स्वभाव के डोभाल जब तक बहुत जरूरी ना हो, बयानबाजी नहीं करते. उन्हें उनके काम के लिए जाना जाता है. इसलिए बड़ी संख्या में लोग उन्हें ट्विटर पर फॉलो कर रहे हैं, ये जाने बगैर की सोशल मीडिया साइट पर उनका कोई आधिकारिक अकाउंट है ही नहीं.


जासूसी का रहा है लंबा अनुभव


उत्‍तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में जन्‍मे डोभाल का करियर बतौर आईपीएस ऑफिसर शुरू हुआ था. उन्हें जासूसी का भी लंबा अनुभव रहा है. डोभाल ने अंडरकवर रहते हुए पाकिस्‍तान में करीब सात साल बिताए. 90 के दशक की शुरुआत में डोभाल को कश्‍मीर भेजा गया था. उन्हें आतंकियों को समझाने का जिम्मा दिया गया था, जिसमें वह कामयाब हुए और 1996 में जम्‍मू और कश्‍मीर में चुनाव का रास्‍ता साफ हुआ. यह भी बता दें कि 1991 में खालिस्तान लिबरेशन फ्रंट ने रोमानियाई राजनयिक लिविउ राडू को किडनैप कर लिया था. उन्‍हें बचाने का प्‍लान अजीत डोभाल ने ही बनाया था. करीब एक दशक तक उन्होंने खुफिया ब्यूरो की ऑपरेशन शाखा का नेतृत्व किया था. (इनपुट - ANI)