कावेरी जल विवाद: तमिलनाडु का पानी घटाया, कर्नाटक को दिया गया; सुप्रीम कोर्ट के फैसले की खास बातें
दो दशक पुराने कावेरी जल विवाद पर 2007 में सीडब्ल्यूडीटी ने कावेरी बेसिन में जल की उपलब्धता को देखते हुए एकमत से निर्णय दिया था.
नई दिल्ली : कावेरी जल विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए साफ कहा कि 'नदी पर किसी एक राज्य का अधिकार नहीं है'. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले के तहत कावेरी नदी से तमिलनाडु को मिलने वाले पानी में कटौती की है. न्यायालय ने तमिलनाडु को मिलने वाली पानी की मात्रा को कम किया है, जबकि कर्नाटक को अतिरिक्त 14.75 टीमसी पानी देने के आदेश दिए हैं, ताकि बेंगलुरु शहर की पानी की जरूरतों को पूरा किया जा सके.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले की खास बातें...
सुप्रीम कोर्ट ने उच्चतम आदेश दिया कि कर्नाटक अपने अंतरराज्यीय बिलीगुंडलु बांध से कावेरी नदी का 177.25 टीएमसीएफटी जल तमिलनाडु के लिए छोड़े.
कर्नाटक को 14.75 टीएमसीएफटी जल अधिक मिलेगा जो न्यायाधिकरण द्वारा वर्ष 2007 में निर्धारित 270 टीएमसीएफटी कावेरी जल से अधिक होगा.
न्यायालय ने कहा कि वर्ष 2007 में न्यायाधिकरण द्वारा केरल को दिए गए 30 टीएमसीएफटी और पुडुचेरी को दिए गए सात टीएमसीएफटी जल में कोई बदलाव नहीं होगा.
तमिलनाडु को न्यायाधिकरण द्वारा आवंटित 419 टीएमसीएफटी की बजाए अब कावेरी नदी का 404.25 टीएमसीएफटी जल मिलेगा.
न्यायालय ने तमिलनाडु को कावेरी बेसिन के नीचे कुल 20 टीएमसीएफटी जल में से अतिरिक्त 10 टीएमसीएफटी भूजल निकालने की अनुमति दी.
न्यायालय ने कहा कि बेंगलुरु के निवासियों की पेयजल एवं भूजल आवश्यकताओं के आधार पर कर्नाटक के लिए कावेरी जल का आवंटन बढ़ाया गया.
20 सितंबर को हुई थी मामले की पिछली सुनवाई
इससे पहले दक्षिण भारतीय राज्यों तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल के बीच दशकों पुराने कावेरी जल विवाद पर जस्टिस दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने पिछले साल 20 सितंबर को कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल की तरफ से दायर अपील पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
पिछली सुनवाई में तमिलनाडु को 419 टीएमसी फुट पानी
दो दशक पुराने कावेरी जल विवाद पर 2007 में सीडब्ल्यूडीटी ने कावेरी बेसिन में जल की उपलब्धता को देखते हुए एकमत से निर्णय दिया था. फैसले में तमिलनाडु को 419 टीएमसी फुट (हजार मिलियन क्यूबिक फुट) पानी आवंटित किया गया, जबकि कर्नाटक को 270 टीएमसी फुट, केरल को 30 टीएमसी फुट और पुडुचेरी को सात टीएमसी फुट पानी आवंटित किया गया था. शीर्ष अदालत ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि इसके फैसले के बाद ही कोई पक्ष कावेरी से जुड़े मामले पर गौर कर सकता है.
बेंगलुरु में सुरक्षा कड़ी रखी गई...
सुप्रीम कोर्ट द्वारा फैसला दिए जाने की संभावना को देखते हुए बेंगलुरु में सुरक्षा कड़ी कर दी गई. पुलिस आयुक्त टी सुनील कुमार के मुताबिक, 15 हजार पुलिसकर्मियों को ड्यूटी पर तैनात गया. इसके अलावा कर्नाटक राज्य रिजर्व पुलिस के कर्मी और अन्य सुरक्षा बलों को भी तैनात किया गया. मामले की सुनवाई से पहले आयुक्त ने कहा था कि 'विशेष ध्यान संवेदनशील इलाकों पर दिया जाएगा, जहां पहले दंगे हो चुके हैं. कर्नाटक दावा करता रहा है कि कृष्णराज सागर बांध में सिर्फ उतना पानी है जो केवल बेंगलुरु की आवश्यकता को पूरी करता है.'
पुराना है मामला
आपको बता दे कि तीनों राज्यों ने कावेरी जल विवाद अधिकरण (सीडब्ल्यूडीटी) के फैसले के खिलाफ कर्नाटक, तमिलनाडु, और केरल ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी. सुप्रीम कोर्ट ने 20 सितंबर 2017 को फैसला सुरक्षित रख लिया था. खंडपीठ ने इस पूरे मामले में टिप्पणी की थी कि पिछले दो दशकों में काफा भम्र की स्थिति रही है.
जल विवाद पर बनेगा कानून
केंद्र सरकार ने विभिन्न राज्यों के बीच बढ़ते जल विवादों को देखते हुए अंतर्राज्यीय नदी जल विवाद (संशोधन) विधेयक को संसद में फिर पेश करेगी. इसमें अधिकरणों के अध्यक्षों, उपअध्यक्षों की आयु और निर्णय देने की समय सीमा के बारे में कुछ महत्वपूर्ण प्रावधान किए गए हैं. विधेयक को जल्द ही कैबिनेट में मंजूरीके लिए पेश किया जाएगा.