Pending Cases in High Court: देश के सुप्रीम कोर्ट में 69 हजार से ज्यादा और 25 हाई कोर्ट में 59 लाख से ज्यादा केस पेंडिंग हैं. यह जानकारी मोदी सरकार ने संसद में दी है. उच्चतम न्यायालय की वेबसाइट के ब्यौरे का हवाला देते हुए एक सवाल के लिखित जवाब में कानून मंत्री किरेन रिजीजू ने कहा कि एक फरवरी तक सुप्रीम कोर्ट में 69,511 केस पेंडिंग थे. राज्यसभा में रिजिजू ने कहा, 'एक फरवरी, 2023 को राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड (एनजेडीजी) पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार देश भर के हाई कोर्ट में 59,87,477 मामले पेंडिंग हैं.' उन्होंने कहा कि इनमें से 10.30 लाख मामले देश के सबसे बड़े हाई कोर्ट यानी इलाहाबाद हाई कोर्ट में पेंडिंग हैं. सिक्किम हाई कोर्ट में सबसे कम 171 मामले हैं. रीजिजू ने कहा कि सरकार ने न्यायपालिका द्वारा मामलों के तुरंत निपटान के मकसद से ‘‘अच्छा माहौल’’ देने के लिए कई पहल की हैं.


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'जूडिशरी में आरक्षण का प्रावधान नहीं'


दूसरी ओर मोदी सरकार ने संसद में यह भी कहा कि मौजूदा नीति के तहत जूडिशरी में आरक्षण का प्रावधान नहीं है, लेकिन न्यायाधीशों, खास कर कॉलेजियम सदस्यों से कहा गया है कि जजों की नियुक्ति के लिए अपनी सिफारिशें करते समय वे उन वर्गों को ध्यान में रखें जिनका पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है. किरेन रिजिजू ने यह जानकारी दी है. द्रविड़ मुनेत्र कषगम सदस्य तिरुचि शिवा ने सवाल किया था कि क्या सरकार जजों की नियुक्ति में आरक्षण नीति लाने की संभावना पर विचार करेगी?


'नामों की सिफारिश के दौरान रखें ध्यान'


कानून मंत्री ने कहा, 'मौजूदा नीति और प्रावधान के अनुसार, भारतीय जूडिशरी में कोई आरक्षण नहीं है. हालांकि, मैंने पहले ही सभी माननीय न्यायाधीशों, विशेष रूप से कॉलेजियम सदस्यों को याद दिलाया है कि नामों की सिफारिश करते समय वे न्यायपालिका में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं करने वाले पिछड़े समुदायों, महिलाओं और अन्य श्रेणियों के सदस्यों को शामिल करने का ध्यान रखें.' गुजरात की अदालतों में लंबित मामलों से जुड़े एक अलग सवाल का जवाब देते हुए कानून राज्य मंत्री एस पी सिंह बघेल ने कहा कि राज्य में लगभग 14,47,459 मामले लंबित हैं.


(एजेंसी इनपुट के साथ)


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