Kashmir: कश्मीर में घुसने के लिए आतंकियों ने खोला पुराना रास्ता, LOC पर हाई अलर्ट
Kashmir News: जम्मू-कश्मीर में सुरक्षाबलों के लिए एक नई चुनौती ने जन्म लिया है. आतंकवादी घुसपैठ के पुराने पारंपरिक मार्गों पर वापस लौट आए हैं.
Kashmir News: जम्मू-कश्मीर में सुरक्षाबलों के लिए एक नई चुनौती ने जन्म लिया है. आतंकवादी घुसपैठ के पुराने पारंपरिक मार्गों पर वापस लौट आए हैं. आंकड़ों से पता चलता है कि एलओसी और अंतरराष्ट्रीय सीमा के करीब पुराने पारंपरिक मार्गों से घुसपैठ की कोशिशों में अचानक वृद्धि हुई है. आतंकवाद से जुड़ी घटनाओं में वृद्धि से संकेत मिलता है कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में अच्छी संख्या में विदेशी आतंकवादी घुसपैठ कर चुके हैं.
पुराने रास्ते अपना रहे आतंकवादी
जम्मू और पुलिस के डीजीपी ने पहले कहा था कि इस क्षेत्र में 70-80 से अधिक विदेशी आतंकवादी सक्रिय हैं. जम्मू और कश्मीर पुलिस के डीजीपी ने स्वीकार किया कि पुराने पारंपरिक मार्गों को फिर से सक्रिय कर दिया गया है और पीओके में एलओसी के पार एक अच्छा आतंकी ढांचा बरकरार है. डीजीपी जम्मू कश्मीर आर आर स्वैन ने कहा, "यह स्पष्ट वास्तविकता है, इसमें कोई संदेह नहीं है कि वहां (पाकिस्तान में) मैं हमेशा कहता हूं कि यह सच है कि वहां शिविर हैं, वहां आतंकवाद की फैक्टरियां हैं, वहां ऐसे संगठन काम कर रहे हैं और उनका कारोबार यहां खून-खराबे पर चल रहा है, अगर वे ऐसा नहीं कर पाते हैं तो उनका पैसा बंद हो जाता है."
एलओसी पर हाई अलर्ट
उन्होंने कहा, "यह एक चुनौती है और हमने इसे पहले भी देखा है और आपके सवाल का जवाब है कि उन्होंने नए रूट शुरू किए हैं जो पहले बंद थे और फिर से खोले गए हैं, इसका जवाब "हां" है, क्या वे इसे सक्रिय करने की कोशिश कर रहे हैं, इसका जवाब "हां" है, इसका कारण हम सभी जानते हैं." सुरक्षाबलों का कहना है कि आतंकी गतिविधियों में वृद्धि के कारण पूरे एलओसी और अंतर्राष्ट्रीय सीमा को हाई अलर्ट पर रखा गया है. जम्मू क्षेत्र पुंछ राजौरी बेल्ट और कश्मीर क्षेत्र के उत्तरी कश्मीर बेल्ट में आतंकवादियों की मौजूदगी में वृद्धि हुई है, कई विदेशी आतंकवादी मौजूद हैं. हाल ही में एलओसी पर सुरक्षाबलों द्वारा घुसपैठ की दो बड़ी कोशिशों को नाकाम कर दिया गया था.
कश्मीरी युवाओं की भर्ती में भी कमी आई
दशकों में पहली बार, सुरक्षाबलों ने कुछ संदिग्ध गतिविधियों की सूचना मिलने के बाद उत्तरी कश्मीर के बारामूला जिले के प्रसिद्ध पर्यटक स्थल गुलमर्ग क्षेत्र की ऊपरी पहाड़ियों में तलाशी अभियान चलाया. हालांकि सुरक्षाबलों ने स्थानीय सक्रिय आतंकवादियों की संख्या को कम करने में सफलता हासिल की है और साथ ही आतंकवादी रेंको में स्थानीय कश्मीरी युवाओं की भर्ती में भी कमी आई है. डीजीपी जम्मू कश्मीर आर आर स्वैन ने कहा, "यह अब एक सच्चाई है कि हमारे युवा आतंकवाद में बहुत कम शामिल हो रहे हैं, हमारे युवाओं की भागीदारी का आखिरी सबसे कम आंकड़ा 2013 में था, लेकिन इस बार यह उससे भी कम है."
किसी भी तरह की स्थिति से निपटने के लिए तैयार
सुरक्षाबलों का कहना कि वे किसी भी तरह की स्थिति से निपटने के लिए तैयार हैं और सीमा पार आतंकवादियों और उनके आकाओं को मुंहतोड़ जवाब देंगे. डीजीपी जम्मू कश्मीर आर आर स्वैन ने कहा, "हम तैयार हैं, मैं लगातार कहता हूं कि हमारे सबसे बड़े स्रोत लोग हैं, वो कोशिश कर रहे हैं, लेकिन सफल नहीं हो रहे हैं." इस बीच सुरक्षा बलों ने एक मजबूत काउंटर-घुसपैठ ग्रिड के लिए सैनिकों की तैनाती बढ़ाना जारी रखा है. सूत्रों के अनुसार, भारी बर्फबारी न होने के कारण सभी पुराने घुसपैठ मार्ग खुले रहे हैं और घुसपैठ की कोशिशें जारी हैं.
जम्मू-कश्मीर में आतंकी घटनाओं में तेजी आई है, जहां सर्दियों की शुरुआत से पहले घुसपैठ चरम पर होती है. जिसने सुरक्षाबलों को केंद्र शासित प्रदेश में अपनी आतंकवाद विरोधी रणनीति का पुनर्मूल्यांकन करने के लिए मजबूर किया है. सूत्रों ने कहा कि संशोधित आतंकवाद विरोधी रणनीति इस बात पर विचार करेगी कि सर्दियों से पहले घाटी में घुसपैठ की कोशिशें बढ़ने की संभावना है. क्योंकि भारी बर्फबारी के कारण ऐसी कोशिशें मुश्किल हो जाती हैं.
प्राकृतिक गुफाओं वाले घने जंगल
सुरक्षा विशेषज्ञ आतंकी हमलों में वृद्धि के लिए कई कारकों को जिम्मेदार मानते हैं, जैसे कि दक्षिण कश्मीर में पीर पंजाल की पहाड़ी और उत्तर कश्मीर में शमसावरी पहाड़ियां नियंत्रण रेखा के निकट हैं कि टॉपोग्रैपी है, यह पारंपरिक रास्ते हैं और आसान घुसपैठ मार्ग भी और प्राकृतिक गुफाओं वाले घने जंगल है. विशेषज्ञों ने कहा कि पाकिस्तान अपनी रणनीति बदलता रहता है. कुछ जगहों जो काफी समय से निष्क्रिय थीं और उस निष्क्रियता ने सुरक्षाबलों को थोड़ा लापरवाह बना दिया. उन्होंने ( आतंकों ) ने स्थिति का फायदा उठाया और ठीक यही अब हो रहा है.