Kannauj Ravana Dahan News in Hindi: आस्था पर अंधविश्वास जब हावी हो जाता है तो इंसान ना सिर्फ दूसरों की जान लेने पर उतारू हो जाता है बल्कि अपनी जान को जोखिम में डालने से भी पीछे नहीं हटता. ऐसा ही एक नजारा उत्तर प्रदेश के कन्नौज में देखने को मिला, जब शरण पूर्णिमा के दिन रावण दहन के दौरान लोग आग के शोलों में कूद पड़े और रावण के पुतले की जली हुई लकड़ियों को लूटने की होड़ मच गई. लेकिन आखिर क्यों? 


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लकड़ी को लेकर भाग रहे लोगों से पुलिस की बहस


कन्नौज में हर साल की तरह शरद पूर्णिमा के दिन रावण दहन हुआ. रावण के पुतले का दहन होते ही उसकी जलती हुई लकड़ियों की लूट मच गई. रावण का पुतला अभी ठीक से जला भी नहीं. लोग जलती हुई लकड़ियों में टूट पड़े. आग के शोलों के बीच कूदकर रावण के पुतले की लकड़ियां लूटते रहे. जलती हुई लकड़ियों को उठाकर भागते हुए लोगों को रोकने के लिए पुलिस कर्मियों ने कोशिश की तो भीड़ धक्के देकर भागने लगी.


जान जोखिम में डालकर लकड़ियां बटोरते रहे लोग


लोग अपनी जान पर खेलकर आग के बीच से लकड़ियां बटोरते रहे. क्योंकि इन लोगों के लिए रावण दहन आस्था का विषय है और रावण दहन के बाद जलती हुई लकड़ियों की लूट अंधविश्वास की पराकाष्ठा है. इन लोगों के लिए रावण के पुतले की लकड़ियां नहीं बल्कि रावण की अस्थियां हैं. ये हर साल की बात है. शरद पूर्णिमा के दिन रावण दहन होते ही पुतले की लकड़ियों को लूटने की होड़ मचती है. 


ऐसा करने के पीछे लोगों का क्या है तर्क?


एक मान्यता ये है कि रावण के पुतले की राख से माथे पर तिलक करने से बौद्धिक क्षमता बढ़ती है. एक मान्यता ये भी है कि रावण के पुतले की जली हुई लकड़ियों को घर में रखने से भूत-प्रेत बाधाएं दूर रहती हैं. हद तो ये है कि लोगों को लगता है कि इन लकड़ियों से खटमल भाग जाते हैं. इसलिए वो अंगारों पर चलकर जलती हुई लकड़ियां ले जाते हैं. रावण के पुतले की लकड़ियों को रावण की अस्थियां मानकर उनके लिए अपनी जान पर खेल जाना. ये अंधविश्वास नहीं तो और क्या है.