Coronavirus: क्या है मेडिकल ऑक्सीजन? जानें, किन मरीजों के लिए बेहद जरूरी
देश के कई अस्पतालों में कोरोना महामारी के दौरान ही ऑक्सीजन की कमी का सामना करना पड़ा. जिसकी वजह से बहुत सारे लोगों की जान भी चली गई.
मेडिकल ऑक्सीजन
नई दिल्ली: कोरोना महामारी के दूसरे और खतरनाक दौर में हर रोज लाखों लोग कोरोना पॉजिटिव हो रहे हैं. कुछ की हालत बेहद खराब भी हो जा रही है, तो कईयों की अस्पतालों में मौत हो रही है. लेकिन इस सबके बीच आप लगातार सुन रहे होंगे कि फलां अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से मरीजों की मौत हो गई. क्या आप जानते हैं कि मेडिकल इमरजेंसी में इस्तेमाल होने वाली ऑक्सीजन अलग क्यों है? क्यों कोरोना के मरीजों की उखड़ती सांसों को जोड़ने के लिए ये जरूरी है?
आम हवा से अलग क्यों है?
हम जिस आम हवा में सांस लेते हैं, उसमें ऑक्सीजन के अलावा नाइट्रोजन, कार्बन डाई ऑक्साइड, हाइड्रोजन जैसी गैसें होती हैं. लेकिन 'मेडिकल ऑक्सीजन' एकदम शुद्ध होती है. इसे सिर्फ चिकित्सकीय कामों में ही इस्तेमाल किया जाता है. मेडिकल ऑक्सीजन ऐसे ही किसी को नहीं मिल जाता, इसके लिए डॉक्टर की पर्ची की जरूरत होती है. ये गैस सिलेंडर में भरी होती है.
इंडस्ट्रियल ऑक्सीजन से किस तरह अलग है मेडिकल ऑक्सीजन?
ऑक्सीजन का इस्तेमाल इंडस्ट्रीज में भी होता है. जिसे कंबस्टेशन, ऑक्सीडेशन, कटिंग और केमिकल रिएक्शन में इस्तेमाल किया जाता है. दोनों में सिर्फ इतना ही अंतर होता है, कि इंडस्ट्रियल ऑक्सीजन मेडिकल ऑक्सीजन जितनी शुद्ध नहीं होती और उसका इस्तेमाल मेडिकल के कामों में नहीं हो सकता है. मेडिकल ऑक्सीजन जिस सिलेंडर में भरी जाती है, वो बिल्कुल साफ होनी चाहिए.
मेडिकल ऑक्सीजन का इस्तेमाल
मेडिकल ऑक्सीजन का इस्तेमाल अस्पतालों, मेडिकल कॉलेजों और क्लीनिक्स में होता है. इसका इस्तेमाल एनीस्थीसिया के दौरान, लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखे गए मरीजों को सांस देने के लिए और ऑक्सीजन थेरेपी में होता है. इसके अलावा एथलीट्स भी ट्रेनिंग के दौरान इसका इस्तेमाल करते हैं.
भारत में मेडिकल ऑक्सीजन के लिए मारामारी
देश के कई अस्पतालों में कोरोना महामारी के दौरान ही ऑक्सीजन की कमी का सामना करना पड़ा. जिसकी वजह से बहुत सारे लोगों की जान भी चली गई. सरकार ने ऑक्सीजन का आयात भी शुरू कर दिया है, वहीं कई देशों से मदद के तौर पर भी मेडिकल ऑक्सीजन लगातार भारत पहुंच रही है.