Research On Plastic Use: प्लास्टिक एक ऐसी चीज है जिसके बिना आज के दौर में जीना लगभग नामुमकिन है. लेकिन प्लास्टिक को पर्यावरण से खत्म करना या नष्ट करना उतना ही मुश्किल है. ये प्लास्टिक अब बच्चे को जन्म के साथ ही नपुंसक होने के खतरे की ओर ले जा रहा है. इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च (ICMR) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रीशन (NIN) की रिसर्च के मुताबिक प्लास्टिक कंटेनर में स्टोर किए गए खाने को इस्तेमाल करने से गर्भवती महिलाओं को खतरा है. ये खतरा उनके पुरुष बच्चों को भी ट्रांसफर हो रहा है.


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फर्टिलिटी सिस्टम पर बुरा असर
दरअसल, फूड स्टोरेज या लिक्विड स्टोर करने के प्लास्टिक कंटेनर, ये सब आम तौर पर पॉलीकार्बोनेट प्लास्टिक से बनाए जाते हैं. इस प्लास्टिक को लचीला बनाने के लिए उसमें बिस्फेनॉल ए (बीपीए) डाला जाता है जो एक इंडस्ट्रियल केमिकल है. दिल्ली के आईसीएमआर और हैदराबाद के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रिशन (एनआईएन) के रिसर्चर्स ने पाया है कि गर्भावस्था के दौरान बीपीए केमिकल पुरुष संतान के फर्टिलिटी सिस्टम पर बुरा असर डाल सकता है. ये रिसर्च चूहों पर की गई है. इसके लिए प्रेगनेंट चूहों को दो ग्रुप में बांटा गया.


रिसर्च चूहों पर की गई
रिसर्च के लिए एक ग्रुप को प्रेगनेंसी के दौरान चार से 21 दिन के लिए बीपीए केमिकल के संपर्क में रखा और दूसरे ग्रुप को इससे अलग रखा गया. बीपीए के नजदीक रहने वाले चूहों में फैटी एसिड जमने लगे, स्पर्म की ग्रोथ के लिए जरुरी मेंब्रेन के आसपास इस फैटी एसिड से नुकसान होता पाया गया. इस रिसर्च को इंटरनेशनल जर्नल ऑफ मॉलिक्यूलर साइंसेज में प्रकाशित किया गया है. बीपीए को लेकर पहले भी कई रिसर्च बता चुकी हैं कि ये केमिकल हॉर्मोन्स को प्रभावित करता है और कैंसर और इन्फर्टिलिटी का कारण बन सकता है. लेकिन अब जन्म से पहले ही प्लास्टिक के बीमार कर देने वाले खतरे भी सामने आ रहे हैं.


बाज़ार का हर सामान प्लास्टिक में
जान लीजिए कैसे आप प्लास्टिक के खतरे को कम से कम कर सकते हैं. आपके किचन में खाने की कितनी चीजें प्लास्टिक में बंद हैं और ये भी जरुर सोचिएगा कि आप उसमें से कितने प्लास्टिक को दूसरी चीजों से बदलकर छुटकारा पा सकते हैं. लंच प्लास्टिक में बंद, पानी प्लास्टिक में बंद, दूध प्लास्टिक में बंद यहां तक कि बाज़ार का हर सामान प्लास्टिक में बंद है. बाज़ार से राशन आया तो प्लास्टिक पैकेजिंग में और घर में सामान स्टोर हुआ तो वो भी प्लास्टिक में है. नोएडा की रहने वाली अंशु प्लास्टिक को सही तरीके से रिसाइकल करने की कैंपेन से जुड़ी हैं लेकिन प्लास्टिक से छुटकारा पाना इनके लिए भी मुश्किल है.


दो तरह का प्लास्टिक मोटे तौर पर
NIN की रिसर्च के मुताबिक सभी लोगों को खासतौर पर प्रेगनेंट महिलाओं को प्लास्टिक कंटेनर के इस्तेमाल से बचना चाहिए. क्योंकि ऐसे कंटेनर में देर तक स्टोरेज करने से, खासतौर पर गर्म तापमान में या माइक्रोवेव के समय प्लास्टिक से बीपीए केमिकल के खाने में घुलने का खतरा बढ़ जाता है. NIN की लीड रिसर्चर डॉ संजय बसाक का मानना है कि किचन में दो तरह का प्लास्टिक मोटे तौर पर मौजूद रहता है. वन टाइम यूज जैसे पानी की डिस्पोज़ेबल बॉटल्स या पैकेजिंग वाला प्लास्टिक और दूसरा वो प्लास्टिक कंटेनर जिन पर फूड ग्रेड या बीपीए फ्री लिखा रहता है.


मिट्टी और पानी का हिस्सा
कंपनियां दावा करती हैं कि बीपीए फ्री फूड ग्रेड प्लास्टिक नुकसान नहीं करता है. लेकिन एक्सपर्टस इस बात से इत्तेफाक नहीं रखते हैं पैकेजिंग के डिब्बे, मिनरल वॉटर बॉटल्स, जूस या पर्सनल केयर प्रोडक्टस वाले प्लास्टिक में आमतौर पर BPA मिला ही रहता है. गर्म करने के अलावा प्लास्टिक की रिसाइकलिंग ठीक से ना होने की वजह से ये सामान नालियों और नदियों के जरिए समंदर तक पहुंच जाता है और मिट्टी और पानी का हिस्सा हो जाता है. हमने कई महिलाओं से बात की जो फैमिली प्लानिंग की अलग अलग स्टेज में हैं. वो अपने स्तर पर तो प्लास्टिक से तौबा कर ही चुकी हैं.


प्लास्टिक में Phthalate (थैलेट्स) और  Bisphenol A (BPA) (बाइसफिनोल ए) दो तरह के केमिकल पाए जाते हैं, जो हार्मोनल बदलाव कर सकते हैं इन बदलावों की वजह से डिप्रेशन, एग्जाइटी इनफर्टिलिटी और ब्रेन डिसऑर्डर का खतरा रहता है. इससे पहले की रिसर्च में भी ये पता चला है कि प्लास्टिक में मौजूद कई केमिकल्स पुरुषों की पिता बनने की क्षमता को प्रभावित कर सकते हैं, थैलेट्स का ही एक प्रकार डीईएचपी या डाई एथिलहेक्सिल थैलेट है जो पुरुषों के हॉर्मोन टेस्टोस्टेरोन के उत्पादन के लिए जिम्मेदार सेल्स को तेजी से बूढ़ा कर सकता है.


इसे समझने के लिए किए गए एक प्रयोग में शामिल किए गए चूहों के टेस्टिकल्‍स छोटे हो गए और उनके जननांगों का विकास खराब हो गया.


ऐसे में करना क्या चाहिए?
- प्लास्टिक के डिब्बों में पके हुआ खाना ना रखें.
- प्लास्टिक को माइक्रोवेव करने से बचें.
- प्लास्टिक की जगह पानी की बॉटल्स के लिए कांच, स्टील या तांबे का इस्तेमाल करें.
- प्लास्टिक को अपने घर के कूड़े में ना डालें और उसे रिसाइकल करने वाली संस्थाओं को दे दें या प्लास्टिक कचरा अलग फेंके.
- प्लास्टिक के कचरे में मिल जाने से उसे रिसाइकल करना मुश्किल हो जाती है.


सरकार के आंकड़ों के मुताबिक भारत में हर साल साढ़े तीन मिलियन टन प्लास्टिक पैदा होता है जबकि हमारी प्लास्टिक को रिसाइकिल करने की क्षमता इसकी आधी ही है. 1 जुलाई 2022 से प्लास्टिक की ऐसी 21 सिंगल यूज आइटम्स पर सरकार ने बैन लगाया था जिन्हें रिसाइकल करना मुश्किल है. आप ये लिस्ट देखकर खुद समझ सकते हैं कि प्लास्टिक पर लगा बैन कितना असरदार साबित हो रहा है.


- प्लास्टिक स्टिक्स और स्ट्रॉ 
- पैकेजिंग और रैपिंग फिल्म्स  
- प्लास्टिक के चम्मच कटोरियों जैसी कटलरी 
- प्लास्टिक के झंडे 
- 100 माइक्रोन से कम के प्लास्टिक शीट्स और पीवीसी बैनर, 
- आइसक्रीम की प्लास्टिक की डंडी और कप 
- गुब्बारों के लिए प्लास्टिक की डंडिया, कैंडी स्टिक 
- पान मसाले के पैकेट  
- इन्विटेशन कार्ड 
- मिठाई के डिब्बे 
- सिगरेट के पैकेट पर लपेटी प्लास्टिक की फिल्म 


अब आप खुद ही सोचिए कि ये बदलाव कितना हो पाया है और अपनी सेहत के लिए प्लास्टिक से निपटने और प्लास्टिक को निपटाने की जिम्मेदारी आप खुद भी उठाइए. सरकार ने प्लास्टिक कचरे से निपटने के लिए इसके निर्माण, आयात, स्टॉकिंग, वितरण, बिक्री और उपयोग पर बैन लगाया है. 31 दिसंबर, 2022 से केवल 120 माइक्रोन की मोटाई के कैरी बैग ही इस्तेमाल किए जा सकेंगे.


बैन होंगी ये चीजें?
सिंगल यूज प्लास्टिक के तहत प्लास्टिक के कप, प्लेट, ग्लास, कटोरी, कांटा, चम्मच, थर्मोकोल के कप, प्लेट, ग्लास, कटोरी, छोटे-बड़े झंडे, सजावटी सामग्री, कागज के प्लेट, कप, गुब्बारों के लिए प्लास्टिक की डंडिया, कैंडी स्टिक, आइसक्रीम की प्लास्टिक की डंडी और कप, ईयर बड्स की प्लास्टिक स्टिक, 100 माइक्रोन से कम मोटाई वाले प्लास्टिक या पीवीसी बैनर, मिठाई के डिब्बे, निमंत्रण कार्ड और सिगरेट पैकेट के इर्द-गिर्द लपेटने या पैक करने वाली प्लास्टिक फिल्म पर बैन लगेगा. इन चीजों में छूट रहेगी- दूध के पैकेट, पैकेज्ड फूड, बोतल बंद पानी, सॉफ्ट या कोल्ड ड्रिंक की बोतल शामिल हैं.