दिल-दिल्ली की दूरी खत्म होनी चाहिए, J&K में सबके लिए सुरक्षित माहौल होना जरूरी: PM मोदी
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक बैठक में पीएम मोदी ने सभी नेताओं द्वारा लोकतंत्र और संविधान पर भरोसा जताने पर खुशी जताई. पीएम ने कहा कि वो `दिल की दूरी` और `दिल्ली की दूरी` को खत्म करना चाहते हैं.
नई दिल्ली: पिछले लगभग दो वर्षों में पहली बार जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक नेतृत्व के साथ वार्ता का हाथ बढ़ाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने इस केंद्रशासित प्रदेश के भविष्य की रणनीति का खाका तैयार करने के लिए गुरुवार को वहां के 14 नेताओं के साथ एक अहम बैठक की.
खत्म होगी 'दिल की दूरी' और 'दिल्ली की दूरी'!
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक बैठक में पीएम मोदी ने सभी नेताओं द्वारा लोकतंत्र और संविधान पर भरोसा जताने पर खुशी जताई. पीएम ने कहा कि वो 'दिल की दूरी' और 'दिल्ली की दूरी' को खत्म करना चाहते हैं. उन्होंने ये भी कहा कि हमारे बीच राजनीतिक मतभेद हो सकते हैं लेकिन सभी को देशहित में काम करना चाहिए ताकि जम्मू-कश्मीर को फायद हो.
सूत्रों ने बताया कि बैठक में पीएम ने नेताओं से कहा कि जब लोगों तो भ्रष्टाचार मुक्त शासन मिलता है तो लोगों में भरोसा पैदा होता है और लोगों का सहयोग मिलता है. ये जम्मू-कश्मीर में आज दिख रहा है. पीएम ने विकास कार्यों पर संतुष्टी जताई और कहा कि प्रदेश के लोगों में आशा जगा रही है.
सूत्रों ने बताया कि पीएम ने बैठक में जम्मू-कश्मीर के युवाओं का जिक्र करते हुए कहा कि उन्हें मौका मिलना चाहिए, वो देश को बहुत कुछ दे सकते हैं. J&K में एक जान जाना भी दुखद है और युवाओं की सुरक्षा हम सबकी जिम्मेदारी है.
गृह मंत्री अमित शाह ने कही अहम बात
जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक दलों की पीए मोदी के साथ हुई सर्वदलीय बैठक के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि परिसीमन की प्रक्रिया और शांतिपूर्ण चुनाव जम्मू-कश्मीर में पूर्ण राज्य की बहाली के प्रमुख मील के पत्थर हैं. उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘जम्मू-कश्मीर पर आज की बैठक बहुत ही सौहार्दपूर्ण वातावरण में हुई. सभी ने संविधान और लोकतंत्र के प्रति प्रतिबद्धता जाहिर की. जम्मू-कश्मीर में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत करने पर जोर दिया गया. हम जम्मू-कश्मीर के सर्वांगीण विकास को लेकर कटिबद्ध हैं.’
धारा 370 पर कोई समझौता नहीं: महबूबा मुफ्ती
पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने बैठक खत्म होने के बाद कहा, 'मैंने बैठक में प्रधानमंत्री से कहा कि अगर आपको धारा 370 को हटाना था तो आपको जम्मू-कश्मीर की विधान सभा को बुलाकर इसे हटाना चाहिए था. इसे गैरकानूनी तरीके से हटाने का कोई हक नहीं था. हम धारा 370 को संवैधानिक और कानूनी तरीके से बहाल करना चाहते हैं.' उन्होंने आगे कहा, 'मैंने बैठक में कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोग धारा 370 के रद्द होने से नाराज हैं. हम जम्मू-कश्मीर में धारा 370 को फिर से बहाल करेंगे. इसके लिए हम शांति का रास्ता अपनाएंगे. इस पर कोई समझौता नहीं होगा.'
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि बैठक में PM ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में सभी जगह विकास पहुंचे इसके लिए साझेदारी हो. विधान सभा चुनाव के लिए डिलिमिटेशन की प्रक्रिया को तेजी से पूरा करना होगा ताकि हर क्षेत्र प्राप्त राजनीतिक प्रतिनिधित्व विधान सभा में प्राप्त हो सकें.
उमर अब्दुल्ला ने कहा, 'हमने बैठक में कहा कि 5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार के द्वारा 370 को खत्म करने के फैसले को हम स्वीकार नहीं करेंगे. हम अदालत के जरिए 370 के मामले पर अपनी लड़ाई लड़ेंगे. लोग चाहते हैं कि जम्मू-कश्मीर को पूर्ण रूप से राज्य का दर्जा दिया जाए.'
J&K में जल्द होंगे विधान सभा चुनाव?
बैठक संपन्न होने के बाद पूर्व उपमुख्यमंत्री व भाजपा नेता कविंद्र गुप्ता ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि प्रधानमंत्री ने सभी राजनीतिक दलों को विश्वास दिलाया कि परिसीमन की प्रक्रिया समाप्त होते ही पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने और विधान सभा चुनाव की प्रक्रिया आरंभ की जाएगी.
पीपुल्स कांफ्रेंस के नेता व पूर्व उपमुख्यमंत्री मुजफ्फर हुसैन बेग ने भी कहा कि केंद्र की ओर से बैठक में आश्वासन दिया गया कि परिसीमन की प्रक्रिया खत्म होते ही चुनाव की प्रक्रिया आरंभ की जाएगी. उन्होंने कहा, ‘अधिकांश राजनीतिक दलों ने बैठक में पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने और विधान सभा चुनाव कराने की मांग उठाई.’
गुलाम नबी आजाद ने PM से की ये मांग
वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद ने बैठक के बाद अपने आवास पर पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि पांच अगस्त को अनुच्छेद 370 निरस्त करने के दौरान केंद्र की ओर से आश्वासन दिया गया था कि उपयुक्त समय पर जम्मू-कश्मीर के राज्य के दर्जे को बहाल कर दिया जाएगा. उन्होंने कहा, ‘हमने कहा कि अब समय आ गया है कि कि पूर्ण राज्य के दर्जे को बहाल किया जाए. अभी शांति भी है और चुनाव कराने का इससे अनुकूल समय नहीं हो सकता.’
उन्होंने कहा कि सरकार लोकतंत्र को मजबूत कराने की बात करती है तो उसे राज्य में तुरंत विधान सभा चुनाव कराना चाहिए. आजाद ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि केंद्र सरकार राज्य का दर्जा बहाल करने और चुनाव कराने को लेकर वचनबद्ध है लेकिन उससे पहले परिसीमन की प्रक्रिया समाप्त होना जरूरी है.
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के अधिकांश प्रावधान हटाए जाने और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित किए जाने के बाद यह पहली ऐसी बैठक है जिसकी अध्यक्षता खुद प्रधानमंत्री मोदी ने की.