प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने सोमवार को आरोप लगाया कि देश के सामर्थ्य को हमेशा से कम आंका गया क्योंकि पहले की सरकारों में ‘विकृत वैचारिक राजनीति’ वाली प्रवृत्ति रही जिसकी वजह से ‘आत्मविश्वास की कमी और हीनभावना’ रही. पीएम मोदी ने कहा कि पहले की सरकारों ने महत्वहीन मानते हुए पूर्वोत्तर के राज्यों की उपेक्षा की और इस वजह से वहां विकास के कार्य नहीं हो सके. 


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नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जन्‍मदिन के मौके पर आज पीएम मोदी ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के 21 सबसे बड़े द्वीपों का नाम परमवीर चक्र विजेताओं के नाम पर रखा. इसके बाद अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि देश की आजादी के इतने बड़े नायक को भुला देने की कोशिश की गई.


पीएम मोदी ने अपने संबोधन में दिल्ली के इंडिया गेट पर नेताजी की प्रतिमा स्थापित करने, आजाद हिंद फौज की सरकार के गठन के 75 वर्ष पूरे होने के मौके पर लाल किले पर तिरंगा फहराने और उनके जीवन से जुड़ी फाइलों को सार्वजनिक करने समेत एनडीए सरकार के कई कदमों का उल्लेख किया.


नेताजी को आजादी के बाद भुला देने की कोशिश की गई


पीएम मोदी ने कहा, ‘जिन नेताजी सुभाष चंद्र बोस को आजादी के बाद भुला देने की कोशिश की गई, आज उन्हें देश हर पल याद कर रहा है.’ पीएम मोदी वीडियो कांन्फ्रेंसिंग में जरिए इस कार्यक्रम में शामिल हुए. उन्होंने नेताजी द्वीप पर बनाए जाने वाले राष्‍ट्रीय स्‍मारक के प्रतिरूप का भी उद्घाटन किया.


पीएम मोदी ने कहा, ‘पूर्वोत्तर के राज्य हों, हिमालयी राज्य हों या फिर समुद्री द्वीप क्षेत्र, इन्हें लेकर पहले की सरकारों में यह सोच रहती थी कि ये तो महत्वहीन क्षेत्र हैं. सरकारों की इसी सोच के कारण इन इलाकों की सालों तक उपेक्षा हुई. उनके डेवलपमेंट पर किसी ने ध्यान नहीं दिया. अंडमान भी इसका भी उपेक्षा की शिकार रहा है.’


उन्होंने कहा कि सिंगापुर, मालदीव की तरह ही भारत के द्वीपों को भी विश्व के पटल पर सुंदर बनाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि इन द्वीपों का विकास करने की जगह यहां तक भी ध्यान नहीं दिया गया कि भारतीय क्षेत्र में कितने टापू हैं.


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