अब बर्दाश्त नहीं करेगा भारत, आंख दिखाएगा तो मुंह की खाएगा चीन; तीनों सेनाएं हुईं तैयार
भारतीय सैनिक लद्दाख में पैंगोंग लेक के दक्षिणी किनारे पर चीन की सेना को पहले ही खदेड़ चुके हैं.अब सबकी नजर इस बात पर है कि चीन क्या करने वाला है.
नई दिल्ली: भारतीय सैनिक लद्दाख में पैंगोंग लेक के दक्षिणी किनारे पर चीन की सेना को पहले ही खदेड़ चुके हैं.अब सबकी नजर इस बात पर है कि चीन क्या करने वाला है. इस इलाके में जल्द ही भीषण सर्दी शुरू होने वाली हैं और चीन को जो कुछ भी करना है उसके लिए उसके पास ज्यादा समय नहीं है.
लद्दाख से अरुणाचल तक तीनों सेनाएं सतर्क
भारतीय सेना इस बात को अच्छी तरह समझती है. यही वजह है कि लद्दाख से अरुणाचल प्रदेश तक भारत की तीनों सेना पूरी तरह से सतर्क है. रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक अपनी विस्तारवादी नीतियों की वजह से बदनाम चीन की सेना इस बार बुरी तरह फंस गई है. दरअसल लद्दाख के ऊंचाई वाले इलाकों में सर्दियों में हाड़ कंपा देने वाली ठंड पड़ती है. ऐसे में सर्दियों में इस इलाके में कोई भी सैन्य ऑपरेशन करना बेहद मुश्किल माना जाता है.
बन सकती है नई LAC
ऐसे में यदि चीनी सेना अगले एक महीने तक कोई सैन्य कार्रवाई नहीं कर पाती है तो अगली गर्मियों तक भारतीय सेना इस इलाके की ऊंची चोटियों पर तैनात रहेगी. इस दौरान भारतीय सेना को अपनी स्थिति मजबूत बनाने का समय मिल जाएगा और फिर इसे ही Line Of Control मान लिया जाएगा.
लद्दाख में 20 हजार सैनिकों के रहने का इंतजाम कर रही है सेना
हालात को देखते हुए भारतीय सेना लगातार अपनी तैयारियां करने में जुटी हुई है. भारतीय सेना लद्दाख में करीब 20 हजार सैनिकों के रहने का इंतजाम कर रही है. पिछले साल तक पूर्वी लद्दाख में लगभग 15 हजार सैनिक तैनात रहते थे. लेकिन इस समय वहां करीब चार गुना अधिक यानी करीब 60 हज़ार सैनिक तैनात हैं. जवानों को लद्दाख की कड़ाके की सर्दी में सुरक्षित रखना सबसे बड़ी चुनौती है.
चुशूल का तापमान शून्य से 30 डिग्री तक नीचे पहुंच जाता है
सर्दियों में चुशूल का तापमान शून्य से 30 डिग्री तक नीचे पहुंच जाता है. इसके लिए खास तरह के थर्मल टेंट की जरूरत होती है, जिसमें रहकर सैनिक मोर्चा संभाल सकें. अक्टूबर के बाद से पूर्वी इलाकों में जरूरी सामान की सप्लाई भी मुश्किल हो जाती है. इसलिए सेना के सैकड़ों ट्रक लगातार रसद आपूर्ति में जुटे हुए हैं. जानकारों के मुताबिक LAC पर मौजूदा हालात फिलहाल भारतीय सैनिकों के लिए अनुकूल हैं और उन्होंने सभी अहम मोर्चों पर वर्चस्व बनाया हुआ है.
थल- वायुसेना अध्यक्ष कर रहे हैं सीमाओं का दौरा
इसी बीच सेनाध्यक्ष जनरल मनोज मुकुंद नरवणे दो दिन के दौरे पर लेह- लद्दाख पहुंचे हुए हैं. जबकि एयरचीफ मार्शल RKS भदौरिया ने पूर्वी सीमा के Forward Air Bases का दौरा किया है. वहीं नेवी लगातार हिंद महासागर में चीन की गतिविधियों पर नजर बनाए हुए है. आशंका जताई जा रही है कि चीन देश की पूर्वी सीमा यानी सिक्किम और अरुणाचल में भी कोई हरकत कर सकता है. इसे देखते हुए सेना और वायु सेना इन इलाकों में लगातार चौकसी बनाए हुए हैं.
हमारी सेनाएं चीन के खतरा का सामना करने में सक्षम: जनरल बिपिन रावत
जनरल बिपिन चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरब बिपिन रावत ने कहा कि सीमा पर शांति बनाए रखने के लिए भारत और चीन में आपसी प्रोटोकॉल हैं. दोनों देशों ने वर्ष 1993 में इस पर हस्ताक्षर किए थे. लेकिन हाल ही में हमने चीन की ओर से LAC पर आक्रामक कार्रवाई देखी है. लेकिन हमारी तीनों सेनाएं सीमा पर मौजूद खतरे से निपटने में सक्षम हैं.
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चीन ने किया यथास्थिति में बदलाव: विदेश मंत्रालय
वहीं विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि पिछले चार महीनों में हमने जो हालात देखे हैं. वे सीधे तौर पर चीन की ओर से ज़मीन पर यथास्थिति बदलने की एकतरफा कार्रवाई का नतीजा है. ये उन द्विपक्षीय समझौतों और प्रोटोकॉल का उल्लंघन है. जिन्होंने तीन दशकों तक सीमावर्ती इलाकों में शांति बरकरार रखी थी.
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